मानव संसाधन पर संकट
अंतरराष्ट्रीय संबंध और श्रम मामलों की नेपाली संसद की उप-समिति की ताजा रिपोर्ट में मानव तस्करी रोकने के मामले में सरकार के उपायों को पूरी तरह विफल बताते हुए तस्वीर को अत्यंत निराशाजनक बताया गया है।...
अंतरराष्ट्रीय संबंध और श्रम मामलों की नेपाली संसद की उप-समिति की ताजा रिपोर्ट में मानव तस्करी रोकने के मामले में सरकार के उपायों को पूरी तरह विफल बताते हुए तस्वीर को अत्यंत निराशाजनक बताया गया है। सऊदी अरब, कतर, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात में किए गए जमीनी सर्वेक्षणों के आधार पर प्रस्तुत यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करने में किस तरह विफल साबित हुई है। रिपोर्ट यह दुर्भाग्यपूर्ण खुलासा भी करती है कि नेपाली विदेश मंत्रालय ने किस तरह खाड़ी के देशों में तैनात नेपाली मिशन की उन रिपोर्टों की लगातार अनदेखी की, जिनमें दर्जनों कंपनियों और लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर मानव तस्करी के महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए थे। अनदेखी का आलम यह रहा कि इन रिपोर्टों को गृह मंत्रालय तक को फॉरवर्ड नहीं किया गया, कि इसमें शामिल तत्वों पर कुछ कार्रवाई शुरू हो पाती। इसमें देश की एक हजार महिलाओं से बातचीत के आधार पर खाड़ी देशों में फंसे लाखों नेपाली नागरिकों की बदहाली का बयान है। रिपोर्ट इनके शोषण की दास्तान बताती है कि किस तरह इनसे बिना अवकाश काम कराया जाता है और पूरा वेतन तक नहीं दिया जाता। ये शारीरिक, मानसिक ही नहीं, यौन शोषण के भी शिकार हैं। इतना सब होने के बावजूद सरकार को ऐसे प्रताड़ित अपने नागरिकों की सही-सही स्थिति और संख्या तक का अंदाजा नहीं है। कमेटी की रिपोर्ट देश की उस महत्वाकांक्षी विदेश नीति योजना के लोकार्पण अवसर पर जारी की गई, जिसका मकसद विश्व में नेपाल के अंतरराष्ट्रीय कद को बढ़ा हुआ देखना है। प्रवासी नेपालियों के शोषण की बात पहली बार सामने आने पर तैयार की गई इस योजना का एक मकसद विदेश में नेपालियों के हितों की रक्षा के बारे में कदम सुझाना भी था। सच है कि प्रवासी नेपालियों के खाड़ी में काम करने पर प्रतिबंध इस समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि उनकी सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बेहतर होगा कि सरकार अपने स्तर पर यह देखे कि उनके हित विदेश में भी कैसे सुरक्षित रह सकते हैं?