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राष्ट्र-सेवा

शुक्रिया अमेरिका वासियो! पिछले कुछ बेहद डरावने महीनों में ये शब्द हमें पर्याप्त सुनने को नहीं मिले। इस भयानक और अनिश्चितता से भरे समय में हमें कई परेशान करने वाली नई अवधारणाओं को भी अपनाना पड़ा है-...

राष्ट्र-सेवा
 द न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिकाMon, 25 May 2020 08:41 PM
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शुक्रिया अमेरिका वासियो! पिछले कुछ बेहद डरावने महीनों में ये शब्द हमें पर्याप्त सुनने को नहीं मिले। इस भयानक और अनिश्चितता से भरे समय में हमें कई परेशान करने वाली नई अवधारणाओं को भी अपनाना पड़ा है- दैहिक दूरी से लेकर सामुदायिक प्रसार की वक्र रेखा को समतल करने तक। इस बीच हमें यह बार-बार एहसास कराया जाता रहा कि कोराना वायरस की रफ्तार थामने के लिए हम पर्याप्त कोशिश नहीं कर रहे; हम एक ऐसे ‘विफल राष्ट्र’ हैं, जो अपने अस्तित्व के आगे खडे़ सबसे बड़े खतरे से निपटने में असमर्थ है। जो देश खुद को विशिष्ट कहता रहा, उसके खाद्यान्न बैंकों के आगे लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं, उसकी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली भीषण दबाव में है और उसके नागरिक हैरान हैं कि वे कैसे इस तरह अपने परिजनों का पेट भरेंगे? इसमें कोई दोराय नहीं कि हमारे राष्ट्रीय, प्रांतीय व स्थानीय नेताओं की गलत सूचनाओं, कुप्रबंधन और अक्षमता के कारण अनेक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। लेकिन सिर्फ नाकामियों पर नजरें गड़ाए रहने से वे अनगिनत अच्छे काम नजरअंदाज हो जाते हैं, जो अमेरिकी नागरिकों ने किए या अभी कर रहे हैं। इस वक्त हम क्या गलत कर रहे हैं, इससे ज्यादा यह सुने जाने की जरूरत है कि हम क्या सही कर रहे हैं। और एक व्यक्ति के तौर पर सामुदायिक भलाई के लिए हम काफी अच्छा कर रहे हैं। इस संकट के पहले छह हफ्तों में लगभग 44 फीसदी अमेरिकी अपने-अपने घर में रहे। इस दौरान उन्हें तमाम तकलीफें उठानी पड़ीं, पर न सिर्फ अपने परिवार, पड़ोसियों, दोस्तों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए, बल्कि जिन्हें वे कभी नहीं मिले, उनकी हिफाजत के लिए भी उन्होंने ऐसा किया। करोड़़ों अमेरिकी अब नियमित रूप से मास्क पहन रहे हैं, कुछ अमेरिकियों ने तो सरकार की तरफ से जारी राहत-चेक इसलिए लौटा दिए, ताकि ज्यादा जरूरतमंद व्यक्ति की मदद हो सके। आज राष्ट्र-सेवा का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम वही काम करें, जिसके बारे में हमें पता है कि यह सार्थक है और जहां कहीं भी हमें कोई कमी महसूस हो, वहां एक-दूसरे की मदद करें।
 

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