शरणार्थियों की सुध लेते देश
पिछले एक साल में दुनिया में उदार मेजबानी की जरूरत बढ़ गई है। अपने घरों से दरबदर किए गए लोगों की संख्या आठ करोड़ के ऊपर हो गई, यानी अमेरिका की कुल आबादी की करीब एक चौथाई संख्या। संयुक्त राष्ट्र का...
पिछले एक साल में दुनिया में उदार मेजबानी की जरूरत बढ़ गई है। अपने घरों से दरबदर किए गए लोगों की संख्या आठ करोड़ के ऊपर हो गई, यानी अमेरिका की कुल आबादी की करीब एक चौथाई संख्या। संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि अब 23.5 करोड़ से अधिक लोगों को मानवीय मदद व संरक्षण की जरूरत है। इसके लिए युद्ध, जलवायु परिवर्तन और महामारी को दोषी माना जा सकता है। ऐसे में, आश्चर्य नहीं कि वैश्विक मानवाधिकार से जुड़े पदाधिकारी उन देशों की सराहना कर रहे हैं, जो इस स्थिति से निपटने में भागीदारी के लिए आगे आ रहे हैं। दस लाख से भी अधिक शरणार्थियों को पनाह देने वाले जॉर्डन को सर्वाधिक सराहना इसलिए मिल रही है, क्योंकि उसने अपने टीकाकरण अभियान में इन सभी परदेशियों को शामिल किया है। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय का कहना है कि दरबदर लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा ‘एक वैश्विक जिम्मेदारी’ है। 51 देशों की वैक्सीन प्राथमिकता सूची में शरणार्थी ऊपर हैं। तुर्की के प्रति आभार इसलिए जताया जा रहा है कि यह न सिर्फ दुनिया में सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी (लगभग 17 लाख) की मेजबानी कर रहा है, बल्कि शरणार्थियों को अपने समुदायों में घुलने-मिलने से भी नहीं रोक रहा। राष्ट्रपति जो बाइडन की सराहना उस योजना के लिए की जा रही है, जिसके तहत अमेरिका में बसने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ाकर सालाना 1,25,000 की जानी है। इस मामले में कोलंबिया की भी भरपूर तारीफ हो रही है, क्योंकि वहां पड़ोसी वेनेजुएला से भागकर आए लाखों शरणार्थियों को राष्ट्रपति इवान डक ने न सिर्फ आवास परमिट, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं व नौकरी देने की भी बात कही है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कोलंबियाई राष्ट्रपति के इस कदम को ‘असाधारण प्रयास’ कहा है। हालांकि, गैलप पोल यह संकेत देता है कि कोलंबिया में वेनेजुएला के लोगों को पनाह देने के कदम का स्थानीय जन-समर्थन सीमित है, लेकिन सीमाओं पर शरणार्थियों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार ने काफी धन खर्च किए हैं।