मांग से अधिक बिजली
बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ, जब बिजली कटौती रोजाना की बात थी। यहां तक कि राजधानी काठमांडू के बाशिंदों को भी दिन में 14 घंटों तक की कटौती का सामना करना पड़ता था। उस समय किसने सोचा था कि यह कटौती इतिहास की...

इस खबर को सुनें
बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ, जब बिजली कटौती रोजाना की बात थी। यहां तक कि राजधानी काठमांडू के बाशिंदों को भी दिन में 14 घंटों तक की कटौती का सामना करना पड़ता था। उस समय किसने सोचा था कि यह कटौती इतिहास की बात हो जाएगी और नेपाल अतिरिक्त बिजली पैदा करने वाला देश हो जाएगा? अगस्त से 546 मेगावाट वाली अपर तामाकोशी पनबिजली परियोजना के पूर्ण क्षमता से काम शुरू करने के साथ नेपाल बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर देश हो गया है, बल्कि 400 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन हो रहा है, जो रात्रि में अप्रयुक्त रह जाता है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के कार्यकारी निदेशक कुलमान घिसिंग के मुताबिक, जो बिजली रोजाना बर्बाद हो रही है, उससे लगभग रोजाना चार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। चूंकि निकट भविष्य में निजी पनबिजली परियोजनाओं से और अधिक बिजली का उत्पादन होने जा रहा है, ऐसे में एनईए को जल्द से जल्द अतिरिक्त बिजली के बेहतर इस्तेमाल के रास्ते तलाशने चाहिए।
फिलहाल जो पहला ख्याल दिमाग में आता है, वह है पड़ोसी देश भारत को बिजली निर्यात। एनईए ने इस बाबत भारतीय अधिकारियों से बात तो की है, लेकिन अब तक उधर से कोई जवाब नहीं आया है। एनईए ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी को मानसून में अपनी अतिरिक्त बिजली बेचने और सर्दियों में उससे खरीदने का प्रस्ताव किया है। नेपाल और भारत सन 1971 से ही विद्युत का आदान-प्रदान करते रहे हैं, लेकिन इस नीति के तहत अधिकांश बिजली भारत से ही आती थी। इस समय कुल 3,034 मेगावाट क्षमता की 136 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इस समय भारत को बिजली बेचने के सिवा बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हो सकता, इसलिए सरकार और एनईए को देश में ही बिजली की खपत बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए। समय आ गया है कि नेपाल अपने निर्माण आधार का विस्तार करे, जो लाखों बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मुहैया कराने का एकमात्र रास्ता है।
