ओमीक्रोन का मुकाबला
जापान सरकार समेत दुनिया भर की सरकारों ने कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया दी है। पूर्व के प्रयासों में जो गड़बड़ियां दिखी थीं, उन्हेें देखते हुए इस बार की सक्रियता सराहनीय है।...

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जापान सरकार समेत दुनिया भर की सरकारों ने कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया दी है। पूर्व के प्रयासों में जो गड़बड़ियां दिखी थीं, उन्हेें देखते हुए इस बार की सक्रियता सराहनीय है। हालांकि, अनावश्यक-प्रतिक्रिया खतरनाक होती है, पर ओमीक्रोन के बारे में अभी मालूमात कम हैं। ओमीक्रोन या भविष्य के किसी भी वेरिएंट से निपटने के लिए सबसे आवश्यक यह है कि उन गरीब देशों की टीकाकरण में मदद की जाए, जहां इसकी दर बेहद कम है। सबसे कमजोर लोगों को टीके लगाने में विफलता का सीधा अर्थ होगा महामारी व खतरे के साथ बने रहना। ओमीक्रोन वेरिएंट की सूचना चंद रोज पहले दक्षिण अफ्रीका में आई थी और देखते-देखते यह वेरिएंट दो दर्जन से अधिक देशों में पसर चुका है। जापान में भी दो मामले प्रकाश में आए हैं। एक तो नामीबिया के राजनयिक हैं और दूसरा संक्रमित पेरू से लौटा एक व्यक्ति है, जिसका राजनयिक से कोई संपर्क नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने इस नए खतरे से निपटने व इसकी और घुसपैठ को रोकने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य आठ अफ्रीकी देशों के बाशिंदों के साथ वहां से किसी भी विदेशी के जापान आने पर अगली सूचना तक रोक लगा दी गई है। जिन देशों के यात्रियों को सरकार निर्देशित क्वारंटीन के साथ आने की इजाजत है, उनकी क्वारंटीन अवधि का विस्तार किया गया है। यही नहीं, विदेशी यात्रियों को जापान में प्रवेश की अनुमति देने वाली रियायतों को भी कम किया जाएगा और असाधारण परिस्थितियों में ही इजाजत मिलेगी। जापान सरकार द्वारा उठाए गए इन एहतियाती कदमों को समझा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ओमीक्रोन को ‘चिंताजनक वेरिएंट’ कहा है और सरकारों को आगाह किया है कि यह काफी संक्रामक व जोखिम भरा है। किशिदा ने अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की गलतियों से सीखा है और इसीलिए वह निर्णायक रूप से फैसले कर रहे हैं। अगर वह दुनिया के गरीब नागरिकों के टीकाकरण संबंधी प्रयासों को विस्तार देने की अगुवाई करते हैं, तो वह वास्तविक नेतृत्व का प्रदर्शन करेंगे।
