अमेरिकी सैन्य कार्रवाई
बतौर राष्ट्रपति अपने शुरुआती ठोस कदमों में से एक के तहत जो बाइडन ने पहली बार 25 फरवरी को सैन्य बल के इस्तेमाल का आदेश दिया। बाइडन ने सीरिया में दो युद्धक विमान भेजे, जिन्होंने ईरान समर्थित लड़ाकू...
बतौर राष्ट्रपति अपने शुरुआती ठोस कदमों में से एक के तहत जो बाइडन ने पहली बार 25 फरवरी को सैन्य बल के इस्तेमाल का आदेश दिया। बाइडन ने सीरिया में दो युद्धक विमान भेजे, जिन्होंने ईरान समर्थित लड़ाकू गुटों के ठिकानों पर सात बम गिराए। एक अनुमान के मुताबिक, उस सैन्य कार्रवाई में 17 लोग मारे गए। इस तरह, बाइडन ऐसे सातवें अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने मध्य-पूर्व में हवाई हमले का आदेश दिया। ये सातों लगातार क्रम के राष्ट्रपति हैं। हमले के दो दिन बाद बाइडन ने कांग्रेस को बताया कि ये हमले आवश्यक हो गए थे, क्योंकि इन लड़ाकू गुटों ने 15 फरवरी को इराक में रॉकेट से हमला करके एक अमेरिकी सेवाकर्मी को घायल और एक अमेरिकी कारोबारी की हत्या कर दी थी। बाइडन ने रिपोर्टरों के सवालों के जवाब देते हुए ईरान और उसके हथियारबंद गुर्गों को यह पैगाम भी दे दिया कि ‘आप अपने कृत्यों के दंड से बच नहीं सकते। इसलिए सावधान हो जाएं।’ बाइडन के ये कदम उनके नेतृत्व की विशेषताओं के संकेत देते हैं। सवाल है कि युद्ध जैसे विषय पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए क्या वह अमेरिकियों के प्रति पारदर्शी थे? क्या उन्होंने ताकत के इस्तेमाल पर आम सहमति बनाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों के साथ पर्याप्त विचार-विमर्श किया? क्या वह कानून के दायरे में पर्याप्त अनुशासित थे और संघर्ष को आगे बढ़ने से रोक पाए? आखिरी सवाल कानून-निर्माताओं के लिए दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि इसी सप्ताह प्रशासन सैन्य कार्रवाई के विवरण कांग्रेस के सामने पेश करेगा। मगर रिपब्लिकन के मुकाबले डेमोक्रेट इस मुद्दे पर ज्यादा आलोचनात्मक हैं, वे चाहते हैं कि राष्ट्रपति घरेलू जरूरतों पर ज्यादा फोकस करें।... बहरहाल, कांग्रेस ने सीरिया में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से इजाजत नहीं दी है। इस विषय पर बहस राष्ट्रपति बाइडन के लिए ऐसा मोड़ बन सकती है, जहां से वह भविष्य की सैन्य कार्रवाई के लिहाज से कानूनी कमियों को कांग्रेस के साथ मिलकर दुरुस्त कर सकते हैं और एक अलग किस्म के नेतृत्व का प्रदर्शन भी कर सकते हैं।