फोटो गैलरी

ढाका की खराब हवा

दुनिया भर के किसी भी प्रमुख शहर के लिए वायु प्रदूषण की समस्या आम है, लेकिन अगर कोई एक बात आम नहीं है, तो यह कि बांग्लादेश की तरह किसी बड़े शहर के आला अधिकारी तब तक ऐसी किसी भी समस्या से आंखें नहीं...

ढाका की खराब हवा
 द डेली स्टार, बांग्लादेशTue, 27 Feb 2018 08:37 PM
ऐप पर पढ़ें

दुनिया भर के किसी भी प्रमुख शहर के लिए वायु प्रदूषण की समस्या आम है, लेकिन अगर कोई एक बात आम नहीं है, तो यह कि बांग्लादेश की तरह किसी बड़े शहर के आला अधिकारी तब तक ऐसी किसी भी समस्या से आंखें नहीं मूंदे रहते होंगे, जब तक कि समस्या हाथ से ही न निकल जाए। हमारे देश के शहर इसमें आगे हैं और ढाका को तो इस मामले में सबसे ज्यादा अंक दिए जा सकते हैं। यहां वायु प्रदूषण धीरे-धीरे बढ़ता गया और आज स्थिति यह है कि हमारी हवा में तरह-तरह के जहरीले अवयव इस तरह घुल चुके हैं कि लोग फेफड़े की बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ भले ही यह कहते रहे हों कि मौजूदा कानूनों को ही सख्ती से लागू कर प्रदूषण के असर को कम किया जा सकता है, लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। 

साल 2013 में नॉर्वे के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि ढाका के वायु प्रदूषण के लिए साठ फीसदी तक यहां के ईंट भट्ठे जिम्मेदार हैं। इसके बाद 20 प्रतिशत वाहनों से निकलने वाले धुएं को, 10 प्रतिशत तक सड़क की धूल-मिट्टी को तथा 10 प्रतिशत तक के लिए निर्माण क्षेत्र को जिम्मेदार माना गया। लेकिन उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भी हमारा प्रशासनिक तंत्र नहीं चेता। न कोई भट्ठा सुरक्षित इलाकों में शिफ्ट किया गया, और  न ही कोई गैर-कानूनी भट्ठा बंद हुआ। अन्य मामलों में भी कोई सक्रियता नहीं दिखी। सवाल है कि सेहत से खिलवाड़ के इन तरीकों पर काबू पाने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की गई? कोई ऐसी पहल नहीं दिखी, जो यह बताती कि तंत्र इस दिशा में सोच भी रहा है। ऐसे में, यह एक स्वाभाविक सवाल है कि क्या अधिकारी जनता के स्वास्थ्य के लिए तनिक भी चिंतित हैं? उनका कार्यकलाप तो एक भी ऐसा नहीं है, जो इसके प्रति आश्वस्त कर सके। दरअसल, हमारी सबसे बड़ी समस्या हमारे प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता या नाकारापन है। पता नहीं कब वे ऐसा कुछ करते दिखाई देंगे, जो आश्वस्त कर सके कि हां, वे वाकई जनता के स्वास्थ्य और जीवन के प्रति चिंतित हैं। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें