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सीरिया को चाहिए समाधान

आजकल के युद्धों के बहुत लंबा खिंचने की एक वजह यह है कि स्थायी शांति कैसे कायम हो, इसे ठीक से नहीं समझा जा रहा। दुनिया की मौजूदा हथियारबंद जंगों में से आधी तो पिछले 20 वर्षों से भी अधिक वक्त से मुसलसल...

सीरिया को चाहिए समाधान
क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर, अमेरिकाSun, 19 Aug 2018 08:59 PM
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आजकल के युद्धों के बहुत लंबा खिंचने की एक वजह यह है कि स्थायी शांति कैसे कायम हो, इसे ठीक से नहीं समझा जा रहा। दुनिया की मौजूदा हथियारबंद जंगों में से आधी तो पिछले 20 वर्षों से भी अधिक वक्त से मुसलसल जारी हैं। 21वीं सदी की शुरुआत में खत्म हुई लड़ाइयों में से आधी फिर से सिर उठाने लगी हैं। इन हालिया आंकड़ों को पलटने के लिए उन पुराने तरीकों की फिर से पड़ताल की जरूरत होगी, जिन्हें व्यापक हिंसा से निपटने के लिए इस्तेमाल किया गया था। एक नई सोच को आजमाने का सबसे माकूल मोर्चा सीरिया है। इसकी लड़ाई ‘सिर्फ’ सात साल पुरानी है। फिर भी इस जंग में साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और एक करोड़, 20 लाख से अधिक लोगों को दर-बदर होना पड़ा है। ये आंकड़े ही इस समस्या के समाधान की तात्कालिकता को उजागर कर देते हैं। सीरिया में बशर अल-असद की निर्मम हुकूमत के खिलाफ सक्रिय ज्यादातर लोकतंत्र समर्थक बागी गुट परास्त हो चुके हैं। और एक वक्त जिन इलाकों पर आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने कब्जा कर लिया था, उसे भी मुक्त कराया जा चुका है। ईरान, तुर्की, रूस और इजरायल जैसे कई ताकतवर देश युद्धोपरांत सीरिया में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। सीरिया में राजनीतिक हल के लिए जरूरी है कि एक नई व्यवस्था के ऊपर शांति कायम की जाए। और इस नई व्यवस्था के लिए एक-दूसरे पर रत्ती भर भी यकीन न करने वाले गुटों को आपस में एक समझौते पर पहुंचना होगा। ब्रिटेन के विदेश मंत्री एलिस्टर बर्ट ने इस संदर्भ में हाल ही में कहा है कि ‘वक्त आएगा, ता हमें उन लोगों से बात करनी पड़ेगी, जो हमारे मूल्यों की मुखालफत करते आए हैं, या जिन्होंने युद्ध अपराध किया है।’ सीरिया के संदर्भ में बातचीत की एक नई पहल की नुमाइंदगी रूस और सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत कर रहे हैं। 2015 के बाद की तमाम बातचीज की नाकामियों को देखते हुए वार्ता की नई पहलों को बिल्कुल अलहदा रुख अपनाना होगा, तभी वे कामयाब हो सकेंगी।

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