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हिंदी से कमाए हैं, उसे ही गरियाए हैं   

वाह री हिंदी, तू भी गजब ढाती है, इसीलिए सबको इतना भाती है। कहीं तू बेचारी है और कहीं लाचारी है। कहीं राजभाषा है और किसी-किसी के लिए राष्ट्रभाषा है। अपनी-अपनी हिंदी है। जितने मुंह, उतनी हिंदी। कहीं...

हिंदी से कमाए हैं, उसे ही गरियाए हैं   
सुधीश पचौरी हिंदी साहित्यकारSat, 19 Dec 2020 11:49 PM
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वाह री हिंदी, तू भी गजब ढाती है, इसीलिए सबको इतना भाती है। कहीं तू बेचारी है और कहीं लाचारी है। कहीं राजभाषा है और किसी-किसी के लिए राष्ट्रभाषा है। अपनी-अपनी हिंदी है। जितने मुंह, उतनी हिंदी। कहीं पूरबी, तो कहीं पच्छिमी, कहीं उत्तरी, तो कहीं दक्खिनी। इस तरह, हिंदी अखिल भारतीय है। यही तो उसका जादू है, जो दुनिया को लुभाता है। 
किसी के लिए हिंदी शर्म की बात है, तो किसी के लिए गर्व की बात है। किसी की नजर में यह नकली भाषा है, तो किसी की निगाह में असली भाषा है, और किसी की नजर में तो यह भाषा ही नहीं। कोई कहता है कि यह तो अड़तालीस बोलियों को खा-पचाकर बनी भाषा है, तो कोई कहता है मिश्रित भाषा है।  
अरे भाई, हिंदी ‘मिश्रित’ है, इसीलिए तो मिसरी की तरह मीठी है। कोई कहता है, हिंदी सिर्फ एक बिंदी है, बाकी सब चिंदी-चिंदी है। कोई कहता है, दुनिया में नंबर दो की भाषा है, तो कोई-कोई कहता है कि वह दुनिया में तीसरे नंबर की भाषा है और इसके बाद भी कोई-कोई कह जाता है, हिंदी तो एक बोली है, यह भी कोई भाषा है?
किसी के लिए यह ‘दुहाजू की बहू’ है, तो किसी के लिए ‘बड़ी बहूरानी।’ किसी के लिए ‘गरीब की जोरू’ है, जो सबकी भाभी है, लेकिन दुनिया के लिए वह मनोरंजन की चाभी है। कोई हिंदी का होने पर शरमाता है, तो कोई हिंदी का होने पर गर्वाता है और कोई इसे सीखने के लिए विदेशों से आता है। 
कोई कहता है, हिंदी देश को चलाती है। कोई-कोई कहता है कि इन दिनों तो वह विदेश के कई देशों को भी चलाती है। हिंदी बड़ी भोली है : कोई गोरा हिंदी में ‘नमस्ते’ कह दे, तो खुश हो जाती है। कोई कुछ देर टूटी-फूटी हिंदी बोल दे, तो देर तक ताली बजाती है।  
फिर भी कोई कह जाता है, हिंदी बड़ी ही बेचारी है, तो कोई-कोई कहता है, हिंदी बहुतों की लाचारी है और कोई कहता है कि हिंदी एक बड़ी बीमारी है। फिर भी कोई न कोई यह कह ही देता है कि हिंदी सभी पर भारी है, तब यह सुनकर कोई-कोई रोने लगता है कि हिंदी बड़ी अत्याचारी है। 
देखा, अपनी हिंदी इतनी चमत्कारी है कि जिस वक्त में वह बेचारी है, उसी वक्त में वह लाचारी है और फिर उसी वक्त में अत्याचारी भी है। इसीलिए कहता हूं कि अब हिंदी की बारी है और यह उसी की पारी है। 
कोई कहता है कि हिंदी भारत की नाक है, तो कोई-कोई कहता है, हिंदी बड़ी खतरनाक है। जिस वक्त अधिकांश के लिए नाक है, उसी वक्त कुछ के लिए खतरनाक है। 
हाय-हाय री हिंदी, तू भी खतरनाक हो गई! अब तू भी डराने लगी और फिर से तमिलनाडु के चुनावों के काम आने लगी। तू वहां भी किसी को जिताने, किसी को हराने लगी। हमें क्या पता था कि अपनी नाक दक्षिण तक जाते-जाते इतनी खतरनाक हो जाएगी कि तमिल हीरो कमल हासन भी डरने लगेंगे और इस तरह हिंदी पर ही ‘मरने’ लगेंगे! कमाल करते हैं कमल जी आप भी, हिंदी फिल्मों से कमाए हैं, लेकिन हिंदी को ही गरियाए हैं! 
लेकिन अपनी हिंदी किसी के कोसने का बुरा नहीं मानती, बल्कि वह चाहती है कि आप उसे इसी तरह कोसते रहें। आपके कोसने से हिंदी की हिम्मत बढ़ती है। इसकी ताकत बढ़ती है। इसका रुतबा बढ़ता है। आपका कोसना हिंदी के लिए आशीर्वाद की तरह है। आप जितना कोसेंगे, हिंदी उतनी ही बढे़गी। लोग सोचेंगे कि अपनी हिंदी में बड़ा दम है।

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