तिरछी नज़र खबरें

Sudheesh Pachauri

हमहूं बन जाएं बांके बायकटिया

मैं बुद्धू का बुद्धू ही रहा और लोग कहां के कहां पहुंच गए। कुछ कवियों के बीच ‘कविवर’ हो गए, कथाकारों के बीच ‘कथा सम्राट’ और आलोचकों के बीच ‘आलोचक प्रवर।’ मैं न किसी का प्रवर हो सका, न किसी का अवर...

Sat, 25 Nov 2023 11:03 PM
sudhish pachouri

मैं जिंदगी में हरदम रोता ही रहा

वह आगे निकल गया। मैं पीछे रह गया। वह टाइम से लाइन में लग गया। उसने जो चाहा, उसे मिल गया, लेकिन मैं जब तक आया, तब तक देने वाले अपनी ‘दुकान’ बंद कर गए। मैं यहां भी पीछे रह गया। क्या करूं? पता नहीं...

Sat, 18 Nov 2023 09:57 PM
sudhir

साहित्य की सेहत का गिरता इंंडेक्स

बहुत से विद्वान मानते हैं कि साहित्य गिर रहा है। गिरता जा रहा है और गिरते-गिरते उसका स्तर इतना गिर चुका है कि अब और गिरने की गुंजाइश नहीं बची। अगर और गिरा, तो समझो गया! मुझ जैसा खल तो पहले ही...

Sat, 11 Nov 2023 08:59 PM
Sudheesh Pachauri

हिंदी साहित्य का नया टोटका

स कठिन समय में, इस कठोर समय में, इस असामान्य समय में, इस गैर-मामूली समय में, इस त्रासद समय में, इस डरावने समय में, इस क्रूर समय में, इस हत्यारे समय में, इस नृशंस समय में, इस बर्बर समय में, इस भयानक...

Sat, 04 Nov 2023 09:46 PM
sudhir

टूटो तवा अरु फूटी कठौती

जब-जब जिज्ञासा की, तब-तब खूब मार खाई और जब-जब मार खाई, तब-तब सोचा कि अब आगे जिज्ञासु नहीं बनूंगा। अब किसी से जिज्ञासा नहीं करूंगा। किसी से कुछ नहीं पूछूंगा। एक सवाल नहीं करूंगा। फिर भी दिल है...

Sat, 28 Oct 2023 10:35 PM
Sudheesh Pachauri

ढाबा साहित्य का आखिरी दौर

साहित्य अब सिर्फ कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, प्रबंध, मुक्तक की चर्चा या आलोचना नहीं है, बल्कि वह एक भरा-पूरा सांस्कृतिक समारोह, यानी ‘सेलिब्रेशन’ है। इन दिनों साहित्य का हर आयोजन किसी समारोह...

Sat, 21 Oct 2023 11:01 PM
sudhir

मलत खिलत लतियात ऐंड लठियात

आप भी कहेंगे कि इस बार बैठे-बिठाए मैं यह क्या लफड़ा ले बैठा? अब ले बैठा, तो ले बैठा। अपनी आदत है, खाली बैठ नहीं सकता। इसलिए कोई निजी प्रोजेक्ट बना लेता हूं और उसे पूरा करने में लग जाता हूं। मगर इस...

Sat, 14 Oct 2023 10:20 PM
Sudheesh Pachauri

सचमुच, हमेशा देर कर देता हूं मैं

मैं डर-डरकर लिखता हूं और लिख-लिखकर डरता हूं। मैं लिख-लिखकर मरता हूं और मर-मरकर लिखता हूं। यह वक्त ही ऐसा है, कब कौन किस बात पर, किस ‘लाइन’ पर नाराज हो जाए और आपकी खटिया खड़ी करने पर तुल जाए, कोई...

Sat, 07 Oct 2023 11:07 PM
Sudheesh Pachauri

दिल जलता है तो जलने दे

अगर जलन न हो, तो लेखन न हो। इतिहास गवाह है कि जब-जब साहित्य में उछाल आया है, जलन, ईष्र्या, द्वेष के कारण आया है। उसने ऐसा लिखा, तो वह चर्चित हुआ और छा गया। उसके चर्चे सुन, न जाने कितनों को तब तक...

Sat, 30 Sep 2023 10:17 PM
Sudheesh Pachauri

यही है साहित्य में सवारी गांठना

तीस-चालीस साल पहले के सीन बडे़ आत्मीय होते थे। किसी साहित्यिक समारोह  में आप एक को बुलाते, तो उसके साथ चार आ जाते। फुरसतिया समाज था। शामें साहित्य सेवा के लिए समर्पित रहती थीं। साहित्यिक गोष्ठियों...

Sat, 23 Sep 2023 11:18 PM
sudhir

कलई कला के उस्ताद आचार्य

उसने मुझे देखा, मैंने उसे देखा। वह पास आता रहा, मैं दूर जाता रहा। गोष्ठी की भीड़ के बावजूद उसने मुझे पकड़ ही लिया। मिलते ही पूछने लगा, नया काव्य संकलन भेजा था, मिल गया होगा? मैंने कहा, मिला है...

Sat, 16 Sep 2023 11:32 PM
sudhish pachouri

लेखक कौन देस को बासी

आज के हिंदी लेखक और लेखन के आगे एक से एक संकट बढ़ते जा रहे हैं और इन दिनों तो वे थोक में बढ़ते नजर आते हैं। जितने संकट हैं, उतनी चुनौतियां हैं; जितनी चुनौतियां हैं, उतनी ही मनौतियां व पनौतियां हैं...

Sat, 09 Sep 2023 10:46 PM
sudhish pachouri

हिंदी लेखकों का नया कुलगीत

इन दिनों कई लेखक वानप्रस्थी व संन्यासी हुए जा रहे हैं। कोई प्यासा के हीरो की तरह गाता दिखता है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है और कोई नमक हराम के बीमार शायर के लिए राजेश खन्ना की तरह गाने लगता...

Sat, 26 Aug 2023 10:45 PM
sudhish pachauri

मेरे इस दुख की दवा करे कोई

आप चाहे जो कहें, लेकिन मैं इन दिनों बड़ा ही दुखी महसूस कर रहा हूं और अपने दुख को दूर करने की दवा खोज रहा हूं- मेरे दुख की दवा करे कोई! यह मेरा आध्यात्मिक दुख ही नहीं, एैहिक/ भौतिक दुख भी है...

Sat, 19 Aug 2023 08:37 PM
sudhish pachouri

हिंदी साहित्य का शहरी छैला या बबुआ

सच कहूं, हिंदी साहित्य के आयोजनों की दुनिया में जब से ‘बॉस-बॉस’ होना शुरू हुआ है, तभी से ‘ब्रो-ब्रो’ होना भी शुरू हुआ है। यूं इन दिनों कोई साहित्यकार किसी से आत्मीयता से तो मिलता नहीं, लेकिन अगर...

Sat, 12 Aug 2023 09:30 PM
sudhish pachouri

कवियों के कारण महंगा हुआ टमाटर

अगर टमाटर पर कविता की गई होती, तो तय मानिए टमाटरों की कीमतें इतनी न बढ़तीं, आसमान पर न चढ़तीं!’ अपने मित्र का यह परम मौलिक विचार तब फूटा, जब हम सुबह की टहलान के लिए उनसे भेंटे। मैं इस अभूतपूर्व...

Sat, 05 Aug 2023 10:58 PM
sudhish pachouri

जैसा दिखोगे, वैसा ही बिकोगे

‘मैं इन-इन तारीखों में वहां रहूंगा..., मैं आने वाले सोम-मंगल-बुध को यहां रहूंगा..., मैं चार दिन के लिए उस शहर में रहूंगा’, इन दिनों कई लेखक कुछ ऐसे ही ‘मैसेज’ भेजते रहते हैं और आपको बताते रहते हैं...

Sat, 29 Jul 2023 11:33 PM
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पढ़ना क्या, बस लिखते जाइए

जब भी कोई मित्र मुझसे मिलता है, मैं उससे पूछ ही लेता हूं कि आजकल क्या लिख-पढ़ रहे हैं? मैं समझता हूं कि यह एक जरूरी ‘साहित्यिक शिष्टाचार’ है। जिस तरह, आप किसी रिश्तेदार या गैर-साहित्यिक मित्र...

Sat, 22 Jul 2023 09:52 PM
sudhish pauchouri

नाम के लिए भी नामा चाहिए 

हमारे एक साहित्यिक मित्र ने बरसों पहले यह बात समझाई थी कि हे मित्र! अगर तुम्हारे पास पैसे हैं, तभी तुम साहित्यकार हो; नहीं हैं, तो रगड़ते रहो कलम, कोई साहित्यकार मान ले, तो बताना! मैंने कहा ...

Sat, 15 Jul 2023 11:06 PM
sudhish pauchouri

काश! अपन को भी कोई आचार्य कहता

जैसे ही उस चेेले ने संबोधा : ‘आचार्य प्रवर...’ कि आचार्य के मन में लड्डू फूटा, आह क्या चेला है! यही असली है। मेरी महिमा जानता है। प्रतिभा पहचानता है। यही पार लगाएगा। मेरी परंपरा को आगे बढ़ाएगा...

Sat, 08 Jul 2023 11:30 PM