जिधर देखो, उधर बस लेखक ही लेखक, लेखिका ही लेखिका, यत्र-तत्र-सर्वत्र! साहित्य अकादेमी परिसर के चप्पे-चप्पे पर लेखक। किसिम-किसिम के, हर भाषा के लेखक। नए लेखक-पुराने लेखक। ग्यारह सौ से अधिक लेखक...
Sat, 16 Mar 2024 10:49 PMकाश! मैं एक ‘विश्व कविता’ कर लेता, तो यह जीवन सार्थक हो जाता। साहित्य को कुछ दे जाता, कुछ ले जाता, हिंदी कविता भी वैश्विक कविता बन जाती। विश्व के नामी कवियों संग हिंदी कविता बैठती, उठती, खाती पीती...
Sat, 09 Mar 2024 10:36 PMएक सताए हुए लेखक ने कहा कि वह बहुत सताया हुआ लेखक है। दूसरा बोला, तुम क्या सताए हुए हो, सबसे ज्यादा सताया गया लेखक तो मैं हूं। तीसरा बोला- ये साले क्या सताए हुए हैं, मैं तो जन्म से ही सताया हुआ हूं...
Sat, 02 Mar 2024 11:06 PMमेले की सबसे खुफिया खबर अपने एक मित्रवत खुफिया एजेंट ने दी। फोन पर कहा- ‘सर जी, आप तो यहां थे नहीं... इस बार के मेले की सबसे बड़ी खबर साहित्य में ‘गैंग्स’ के अवतार की है।’ मैंने कहा, क्या बकवास करते...
Sat, 24 Feb 2024 10:44 PMअक्सर पढे़ बिना ही पुस्तक की विरुदावलियां गा दी जाती हैं। काजू की बरफी या असली घी के लड्डू विद चाय-कॉफी विमोचन में प्रेरक काम करते हैं। कुछ लेखक तो मोचन-विमोचन के लिए पूरे दिन मेले में पडे़ रहते...
Sat, 17 Feb 2024 09:37 PMसोशल मीडिया ने मनुष्य मात्र को लेखक, फोटोकार, वीडियोकार, ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसकार, जूमकार, यूट्यूबर, संयोजक, प्रायोजक बना दिया है। कोई कथावाचक हुआ जा रहा है, तो कोई स्टैंडअप कॉमेडियन। कोई ‘थिंक टैंक’...
Sat, 10 Feb 2024 09:40 PMआह! वो दिन याद आ रहा है, जब ‘विश्व कविता’ समारोह करने हेतु उसके ‘उदार दरबार’ में गुहार लगाने के लिए कई नामी-गिरामी कवि दौड़ लगा रहे थे, खबर भी ‘ब्रेक’ हो चुकी थी कि विश्व कविता होने वाली है और हम...
Sat, 03 Feb 2024 10:51 PMवि-उपनिवेशीकरण पर एक गोष्ठी जमी थी। एक वक्ता ने जैसे ही कहा कि हमारा इतिहास विदेशी आक्रांताओं ने लिखा है, तो एक ने तुरंत टोका, कहां है आक्रांता? जब गोष्ठी सपन्न हुई, तो मैंने संयोजक से पूछा, भाई...
Sat, 27 Jan 2024 09:29 PMअपने रामजी जो न कराएं, सो थोडा! अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के वातावरण में तुलसी कृत रामचरितमानस की मांग इतनी बढ़ी है कि उसके प्रकाशक ‘गीताप्रेस’ को कहना पड़ा है कि मानस की पांच लाख...
Sat, 20 Jan 2024 10:47 PMपुस्तक मेला आ रहा है। मेरा लेखक मन छटपटा रहा है कि मेले में कैसे छा जाऊं? कैसे मेले का ‘बेस्ट सेलर’ लेखक कहलाऊं और अपने आपको उस दुर्लभ सीन में कैसे पाऊं, जिसमें मेरी नई बेस्ट सेलर के लिए ...
Sat, 13 Jan 2024 08:59 PMलिस्टें बन रही हैं, लिस्टें छप रही हैं, लोग चिपका रहे हैं, दूसरों को जता-बता रहे हैं और दूसरे भी यही किए जा रहे हैं। एक लिस्टर, अपनी लिस्ट बना रहा है, उसे फोन पर फोन... ‘मेरी किताब टॉप पर रखना, वरना..
Sat, 06 Jan 2024 09:47 PMज्यों-ज्यों अयोध्या में मंदिर आ रहा है, त्यों-त्यों मेरा मन अकुला रहा है। बडे़-बडे़ आमंत्रित हो रहे हैं। नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, सेलिब्रिटीज, उद्योगपति और पत्रकार भी जा रहे हैं। बहुत से रामभक्त भी...
Sat, 30 Dec 2023 11:00 PMमैं फिर कह रहा हूं कि इन दिनों कुछ भी लिखना ‘रिस्की’ है और उसमें भी हंसना, व्यंग्य करना तो और ज्यादा जोखिम भरा है। जब-जब सुनता हूं कि इसने उसकी भावना को; उसने इसकी भावना को और किस-किस ने, किस-किस...
Sat, 23 Dec 2023 10:32 PMमेरा मन भी अब ‘लिटफेस्टवादी’ हो चला है। सिर्फ साहित्य में अब मजा नहीं आता। ‘लिटफेस्ट’ का मतलब ही है, थोड़ा ‘लिट’, बाकी का ‘फेस्ट’, यानी थोड़ा साहित्य, बाकी चाट-पकौड़ी, गोल-गप्पे, छोले-भटूरे, पूड़ी-कचौड़ी..
Sat, 16 Dec 2023 10:59 PMहिंदी कुछ नहीं कहती, वह पिटती रहती है, कुटती रहती है, दिन-रात बेइज्जत होती रहती है, फिर भी किसी से कुछ नहीं कहती। कभी कोई धौल-चपत कर जाता है, कभी कोई बेइज्जत कर जाता है, कभी कोई पत्थर मार जाता है...
Sun, 10 Dec 2023 12:38 AMकुछ पहले तक हर साहित्यिक गोष्ठी का एक आयोजक होता था, साथ ही एक संयोजक भी हुआ करता था। संयोजक का काम यथोचित आदर देते हुए वक्ताओं को पुकारना होता कि अब आदरणीय फलां जी आपके सम्मुख अपने विचार रखेंगे...
Sat, 02 Dec 2023 10:50 PMमैं बुद्धू का बुद्धू ही रहा और लोग कहां के कहां पहुंच गए। कुछ कवियों के बीच ‘कविवर’ हो गए, कथाकारों के बीच ‘कथा सम्राट’ और आलोचकों के बीच ‘आलोचक प्रवर।’ मैं न किसी का प्रवर हो सका, न किसी का अवर...
Sat, 25 Nov 2023 11:03 PMवह आगे निकल गया। मैं पीछे रह गया। वह टाइम से लाइन में लग गया। उसने जो चाहा, उसे मिल गया, लेकिन मैं जब तक आया, तब तक देने वाले अपनी ‘दुकान’ बंद कर गए। मैं यहां भी पीछे रह गया। क्या करूं? पता नहीं...
Sat, 18 Nov 2023 09:57 PMबहुत से विद्वान मानते हैं कि साहित्य गिर रहा है। गिरता जा रहा है और गिरते-गिरते उसका स्तर इतना गिर चुका है कि अब और गिरने की गुंजाइश नहीं बची। अगर और गिरा, तो समझो गया! मुझ जैसा खल तो पहले ही...
Sat, 11 Nov 2023 08:59 PMस कठिन समय में, इस कठोर समय में, इस असामान्य समय में, इस गैर-मामूली समय में, इस त्रासद समय में, इस डरावने समय में, इस क्रूर समय में, इस हत्यारे समय में, इस नृशंस समय में, इस बर्बर समय में, इस भयानक...
Sat, 04 Nov 2023 09:46 PM