अगर जलन न हो, तो लेखन न हो। इतिहास गवाह है कि जब-जब साहित्य में उछाल आया है, जलन, ईष्र्या, द्वेष के कारण आया है। उसने ऐसा लिखा, तो वह चर्चित हुआ और छा गया। उसके चर्चे सुन, न जाने कितनों को तब तक...
Sat, 30 Sep 2023 10:17 PMतीस-चालीस साल पहले के सीन बडे़ आत्मीय होते थे। किसी साहित्यिक समारोह में आप एक को बुलाते, तो उसके साथ चार आ जाते। फुरसतिया समाज था। शामें साहित्य सेवा के लिए समर्पित रहती थीं। साहित्यिक गोष्ठियों...
Sat, 23 Sep 2023 11:18 PMउसने मुझे देखा, मैंने उसे देखा। वह पास आता रहा, मैं दूर जाता रहा। गोष्ठी की भीड़ के बावजूद उसने मुझे पकड़ ही लिया। मिलते ही पूछने लगा, नया काव्य संकलन भेजा था, मिल गया होगा? मैंने कहा, मिला है...
Sat, 16 Sep 2023 11:32 PMआज के हिंदी लेखक और लेखन के आगे एक से एक संकट बढ़ते जा रहे हैं और इन दिनों तो वे थोक में बढ़ते नजर आते हैं। जितने संकट हैं, उतनी चुनौतियां हैं; जितनी चुनौतियां हैं, उतनी ही मनौतियां व पनौतियां हैं...
Sat, 09 Sep 2023 10:46 PMइन दिनों कई लेखक वानप्रस्थी व संन्यासी हुए जा रहे हैं। कोई प्यासा के हीरो की तरह गाता दिखता है, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है और कोई नमक हराम के बीमार शायर के लिए राजेश खन्ना की तरह गाने लगता...
Sat, 26 Aug 2023 10:45 PMआप चाहे जो कहें, लेकिन मैं इन दिनों बड़ा ही दुखी महसूस कर रहा हूं और अपने दुख को दूर करने की दवा खोज रहा हूं- मेरे दुख की दवा करे कोई! यह मेरा आध्यात्मिक दुख ही नहीं, एैहिक/ भौतिक दुख भी है...
Sat, 19 Aug 2023 08:37 PMसच कहूं, हिंदी साहित्य के आयोजनों की दुनिया में जब से ‘बॉस-बॉस’ होना शुरू हुआ है, तभी से ‘ब्रो-ब्रो’ होना भी शुरू हुआ है। यूं इन दिनों कोई साहित्यकार किसी से आत्मीयता से तो मिलता नहीं, लेकिन अगर...
Sat, 12 Aug 2023 09:30 PMअगर टमाटर पर कविता की गई होती, तो तय मानिए टमाटरों की कीमतें इतनी न बढ़तीं, आसमान पर न चढ़तीं!’ अपने मित्र का यह परम मौलिक विचार तब फूटा, जब हम सुबह की टहलान के लिए उनसे भेंटे। मैं इस अभूतपूर्व...
Sat, 05 Aug 2023 10:58 PM‘मैं इन-इन तारीखों में वहां रहूंगा..., मैं आने वाले सोम-मंगल-बुध को यहां रहूंगा..., मैं चार दिन के लिए उस शहर में रहूंगा’, इन दिनों कई लेखक कुछ ऐसे ही ‘मैसेज’ भेजते रहते हैं और आपको बताते रहते हैं...
Sat, 29 Jul 2023 11:33 PMजब भी कोई मित्र मुझसे मिलता है, मैं उससे पूछ ही लेता हूं कि आजकल क्या लिख-पढ़ रहे हैं? मैं समझता हूं कि यह एक जरूरी ‘साहित्यिक शिष्टाचार’ है। जिस तरह, आप किसी रिश्तेदार या गैर-साहित्यिक मित्र...
Sat, 22 Jul 2023 09:52 PMहमारे एक साहित्यिक मित्र ने बरसों पहले यह बात समझाई थी कि हे मित्र! अगर तुम्हारे पास पैसे हैं, तभी तुम साहित्यकार हो; नहीं हैं, तो रगड़ते रहो कलम, कोई साहित्यकार मान ले, तो बताना! मैंने कहा ...
Sat, 15 Jul 2023 11:06 PMजैसे ही उस चेेले ने संबोधा : ‘आचार्य प्रवर...’ कि आचार्य के मन में लड्डू फूटा, आह क्या चेला है! यही असली है। मेरी महिमा जानता है। प्रतिभा पहचानता है। यही पार लगाएगा। मेरी परंपरा को आगे बढ़ाएगा...
Sat, 08 Jul 2023 11:30 PMएक हिंदी दैनिक में छपे विज्ञापन ने चौंकाया। विज्ञापन कह रहा था कि हिंदी साहित्य के लिए पांच लाख रुपये का सम्मान दिया जाएगा। पहला, हिंदी कविता के लिए दिया जाएगा। सच! पढ़ते ही तबीयत मचल गई। यूं अपन...
Sat, 01 Jul 2023 11:53 PMसोच रहा हूं कि अब एक ‘ऑल इंडिया लेखक, कलाकार पार्टी’ (एआईएलकेपी) बना ही डालूं, ताकि लोगों को चौबीस में एक सच्चा विकल्प मिल सके। मेरा मानना है कि लेखक, कलाकार, पत्रकार ही इस समाज के सच्चे ...
Sat, 24 Jun 2023 10:54 PMमुझे अक्सर यह महसूस होता है कि हिंदी वाला कितना भी ‘मॉडर्न’ हो जाए, रहता वह किसी न किसी ‘भक्ति-काल’ में ही है! आज भी हिंदी के आम लेखक का एक न एक ‘गॉड’ या ‘गॉडफादर’ होता है और हर लेखक किसी न किसी...
Sat, 17 Jun 2023 10:03 PMजब कुछ न लिख सकें, तो संस्मरण लिखें या आत्मकथा; और जब ये भी न लिख सकें, तो डायरी लिखें! इतिहास गवाह है कि जब लेखक ‘बोर’ करने लगता है और पत्र-पत्रिकाएं उसके नाम से दूर भागने लगती हैं, तो यही लिखा...
Sat, 10 Jun 2023 10:30 PMजन सरोकारों की पत्रिका, प्रगतिशील मूल्यों की पत्रिका, मानवीय मूल्यों की वाहक पत्रिका, जनतांत्रिक सोच की पत्रिका... आजकल कई छोटी पत्रिकाओं के नामों के साथ कुछ ऐसी उद्घोषणाएं भी छपी रहती हैं! अधिकांश...
Sat, 03 Jun 2023 09:08 PMपता नहीं, बिजली मार गई है या शाप लग गया है कि अब न तो हिंदी साहित्य का वो जलवा दिखता है, और न साहित्यकारों की दुनिया में वो मस्ती दिखती है, जिसके चर्चे महीनों तक साहित्यिक हल्कों में जिंदा रहा करते...
Sat, 27 May 2023 11:23 PMसाहित्य की कई ‘कुरसियां’ खाली हैं। कविता की खाली है, कहानी की खाली है, उपन्यास की तो खाली है ही, आलोचना का ‘तख्त-ए-ताऊस’ तो न जाने कब से खाली है? दरियागंज वाले ताऊ की खाली है, अलकनंदा के...
Sat, 20 May 2023 10:47 PMमाइक पकड़ते ही एक कहता है- आदरणीय फलाने जी, ढिमके जी, आप सभी को मेरा सादर नम्रतापूर्वक नमन! मैं सुनते ही सोचने लगता हूं कि इस निरे निरादरवादी और बदतमीज समय में अगर कोई ‘सादर नम्रतापूर्वक नमन’ कर...
Sat, 13 May 2023 10:42 PM