डायरिया के चंगुल में
विश्व में पानी की स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट चौंकाने वाली भी है, साथ ही आगाह करने वाली भी। रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर पीने के पानी और सफाई की स्थिति का विश्लेषण करती है। 13 अप्रैल को...
विश्व में पानी की स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट चौंकाने वाली भी है, साथ ही आगाह करने वाली भी। रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर पीने के पानी और सफाई की स्थिति का विश्लेषण करती है। 13 अप्रैल को जारी यह रिपोर्ट बताती है कि विश्व में हर वर्ष करीब पांच लाख लोग डायरिया से दम तोड़ देते हैं। लेकिन इसमें हमारे लिए सतर्क होने वाली बात यह है कि बांग्लादेश भी इस मामले में पीछे नहीं है और यहां भी इसका शिकार होने वालों की संख्या सालाना 45,000 है। नीति नियंताओं के लिए यह सतर्क होने का वक्त है।
सच है कि साल-दर-साल हमारी आबादी बढ़ती गई है और नौकरी की तलाश में हमारे शहरों की ओर हुए जबर्दस्त पलायन ने स्थिति को और गंभीर बनाया है। हमने उद्योगों का बढ़ना देखा, लेकिन यह देखना भूल गए कि तमाम उद्योग किस तरह बिना किसी भय के हमारी नदियों का अतिक्रमण करते गए और उन्हें प्रदूषित किया। नतीजा यह कि आज हम अराजकता के उस मुकाम पर जा खड़े हुए हैं, जहां शहरों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति कर पाना एक सपना होता जा रहा है। अब भी तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां पेयजल के लिए पाइप लाइन नहीं हैं। सीवर लाइन का अभाव है।
लाखों लोग हर दिन बाजार से ‘तथाकथित स्वच्छ पानी’ की बड़ी-बड़ी बोतलें खरीदने को अभिशप्त हैं, जबकि सच यह है कि ऐसे पानी की गुणवत्ता भी कई बार संदेह के घेरे में आई है। इसका सबसे बड़ा कारण इन पर नियंत्रण और नजर रखने की कोई व्यवस्था न होना है। नदियों को हमने हर तरह की गंदगी का डंपिंग यार्ड बना डाला। खतरनाक से खतरनाक चीजें इसमें फेंकी जा रही हैं। ऐसे हालात में एक ही इलाज हो सकता है कि सरकार सफाई इंतजामों पर गंभीरता से सोचे और इसके लिए बड़े बजट का प्रावधान करे। पर्यावरण संरक्षण कानून को गंभीरता से लागू करना होगा, जो अभी सिर्फ कागजों पर दिखाई देता है। हमें सोचना होगा कि क्या हम वाकई हर साल होने वाली इन मासूमों की मौत से देश को बचाना चाहते हैं। अगर हां, तो अब भी वक्त है। तत्काल कुछ करना होगा, मगर पूरी गंभीरता के साथ।
द डेली स्टार, बांग्लादेश