फोटो गैलरी

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News ओपिनियनविकास को देख पाने में नाकाम विपक्ष

विकास को देख पाने में नाकाम विपक्ष

भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है, साल 2041 के आसपास अपनी कामकाजी आयु वाली आबादी के चरम पर पहुंचने की उम्मीद के साथ एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। हाल के वर्षों में रोजगार संकेतकों में महत्वपूर्ण...

विकास को देख पाने में नाकाम विपक्ष
Pankaj Tomarगौरव वल्लभ, वित्त के प्रोफेसर व भाजपा नेताFri, 26 Jul 2024 11:17 PM
ऐप पर पढ़ें

भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है, साल 2041 के आसपास अपनी कामकाजी आयु वाली आबादी के चरम पर पहुंचने की उम्मीद के साथ एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। हाल के वर्षों में रोजगार संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है, जो एक लचीली और विस्तारित अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। विशेष रूप से श्रमिक जनसंख्या अनुपात 2017-18 में 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गया, जबकि श्रम बल भागीदारी दर 49.8 प्रतिशत से बढ़कर 57.9 प्रतिशत हो गई। इसी अवधि में बेरोजगारी दर छह प्रतिशत से गिरकर 3.2 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर आ गई। ईपीएफओ ने पिछले वर्ष की तुलना में मई 2024 में  शुद्ध सदस्य वृद्धि में 19.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत 2024-25 का केंद्रीय बजट भारत में रोजगार को बढ़ावा देने और कौशल विकास के लिए एक व्यापक प्रोत्साहन रणनीति की रूपरेखा पेश करता है। बजट विकसित भारत थीम के तहत, रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर केंद्रित है।  4.1 करोड़ युवाओं के कौशल विकास और रोजगार पर पांच वर्ष में दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बजट एक मजबूत और समावेशी रोजगार तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
यह सब प्रधानमंत्री इंटर्नशिप कार्यक्रम से शुरू होता है। नौकरी बाजार में कदम रखने के लिए एक युवा स्नातक को शीर्ष कंपनियों में से एक के साथ बारह महीने की इंटर्नशिप मिलेगी। पांच वर्ष में एक करोड़ युवाओं को कुशल बनाने के लिए तैयार यह कार्यक्रम 5,000 रुपये का मासिक भत्ता प्रदान करता है। इंटर्नशिप पूरी करने के बाद युवा स्कीम ए के माध्यम से कार्यबल में प्रवेश करता है, जो पहली बार नौकरी चाहने वालों पर केंद्रित है। उन्हें 15,000 रुपये तक की एक महीने की वेतन सब्सिडी मिलेगी, जो तीन किस्तों में वितरित की जाएगी। स्कीम बी के तहत आई योजना विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन को लक्षित करती है। नियोक्ता और कर्मचारियों, दोनों की चिंता करती है। केंद्रीय बजट मजबूत रोजगार और कौशल को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। बजट में उठाए गए कदमों से समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। 
विपक्ष का यह दावा है कि केंद्रीय बजट 2024 बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के पक्ष में है, यह देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश है। केंद्रीय करों और शुल्कों का राज्यवार आवंटन के कुल 12.47 लाख करोड़ रुपये में से पश्चिम बंगाल को 94,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पश्चिम बंगाल को कुल आवंटन का 7.5 प्रतिशत के साथ चौथा सबसे बड़ा हिस्सा मिला है। इसमें भेदभाव कहां है? उनका यह तर्क कि बजट में जिन राज्यों का उल्लेख नहीं किया गया है, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है, यह तर्क पूरी तरह से गलत है। साल 2017 में अलग रेल बजट की प्रथा बंद कर दी गई है, पर क्या इसका मतलब यह है कि सरकार ने नई पटरियां, रेलगाड़ियां बनाना या रेलवे आधुनिकीकरण का काम बंद कर दिया है? यही तर्क अन्य राज्यों के आवंटन पर भी लागू होता है। हिमाचल प्रदेश में रेलवे विस्तार के लिए 2,698 करोड़ रुपये, केरल के लिए 3,011 करोड़ रुपये, जम्मू-कश्मीर के लिए 3,694 करोड़ रुपये, दिल्ली के लिए 2,582 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर के लिए 10,376 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। क्या विपक्ष यह नहीं देख रहा है?
विपक्ष के दावे निराधार, विकास विरोधी और संकीर्ण सोच वाले हैं, जो सरकार की व्यापक और न्यायसंगत विकास रणनीति को पहचानने में विफल हैं। यह राष्ट्रीय प्रगति के प्रति उनकी वास्तविक चिंता की कमी और राजनीतिक दिखावे के रूप में उनकी विभाजनकारी बयानबाजी को उजागर करता है।
    (ये लेखक के अपने विचार हैं)