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अच्छे पर्यावरण की राजनीति

मैं दुनिया के 94 बडे़ शहरों के नेताओं में शामिल हुआ। मुझे कोपेनहेगन में सी 40 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन को जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के संदर्भ में उठाए गए कडे़ कदमों पर संबोधित करना था। मैं...

अच्छे पर्यावरण की राजनीति
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्लीFri, 11 Oct 2019 11:52 PM
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मैं दुनिया के 94 बडे़ शहरों के नेताओं में शामिल हुआ। मुझे कोपेनहेगन में सी 40 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन को जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के संदर्भ में उठाए गए कडे़ कदमों पर संबोधित करना था। मैं निजी रूप से सम्मेलन में शामिल नहीं हो सका, इसलिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित किया। सत्तर करोड़ से अधिक जनसंख्या और वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई का प्रतिनिधित्व करने वाले इन शहरों के समूह में दिल्ली भी है। हमने नागरिकों के स्वस्थ और स्थाई भविष्य बनाने के लिए एक वैश्विक गठबंधन बनाया है।

इस शिखर सम्मेलन में बात करते समय मैंने ग्रेटा थुनबर्ग की याद दिलाई। स्वीडन की इस जलवायु कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में कहा था कि तुम सब युवा हमारे पास आओ। उम्मीद के लिए। तुमने अपने शब्दों से मेरे सपने और बचपन को चुराया है। ऐसा करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? लोग पीड़ित हैं, लोग मर रहे हैं, पूरा इको-सिस्टम टूट गया है। कुछ लोग ग्रेटा थुनबर्ग के तरीकों, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से असहमत हो सकते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण पर वह जो विषय उठा रही है, उसे लोगों का समर्थन मिल रहा है। इसमें विशेष रूप से युवा शामिल हैं। वही हमारे भविष्य हैं। फिर भी, दुनिया के नेताओं को इसे पूरी तरह से समझने में देर हो रही है। हमारी युवा पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए राजनीतिक नेतृत्व को दिशा देनी होगी।

हमारी सरकार के कार्यकाल के पहले वर्ष, यानी 2015 की सर्दियों की शुरुआत के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने लगी। तापमान के उलट होने के कारण स्मॉग की मोटी चादर दिल्ली और उसके आस-पास छा गई थी। हाईकोर्ट ने दिल्ली को गैस चैंबर तक कह दिया। इस भयावह स्थिति के पीछे पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली, और दिवाली पर छोडे़ जाने वाले पटाखों से निकलने वाला धुआं, दो बडे़ कारण थे। यह एक असाधारण स्थिति थी और इसके लिए एक असाधारण सक्रियता की आवश्यकता थी। बहुत विचार-विमर्श के बाद हमारी सरकार ने ऑड-ईवन को लागू करने का निर्णय लिया। दिल्ली में पहली बार एक पखवाडे़ तक इस योजना को लागू किया गया। यह उस समय तक हमारे देश में अनसुनी-अनजानी व्यवस्था थी।

इसे लागू करना आसान नहीं था। हमें यह चेतावनी दी गई थी कि ऑड-ईवन योजना कहीं भी सफल नहीं रही है। कहा गया, दुनिया के किसी भी शहर में यह प्रयोग सफल नहीं रहा है। कहीं भी लोगों ने सहयोग नहीं किया। मैं इस बात से वाकिफ था। लेकिन लोगों को दिल्ली की सामूहिक भलाई के लिए अपना आराम छोड़ना था। मैं आशंकित था कि सरकार के निर्णय को न जाने लोग कैसे लेंगे। लेकिन हमने दिल्लीवासियों पर भरोसा करने का विकल्प चुना। बडे़ पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया गया। मैंने विभिन्न संचार माध्यमों से लोगों को फायदे समझाए। लोगों ने ऑड-ईवन का पालन किया। सरकारी विभागों ने इसे ठीक से लागू किया। हमारी कल्पना से परे इस योजना को बहुत बड़ी सफलता मिली। दिल्लीवासियों के इस समर्थन से हमें जबरदस्त प्रोत्साहन मिला। इसके बाद प्रदूषण को कम करने के लिए एक के बाद दूसरे कई उपाय किए गए।

डीजल वाहनों का उपयोग प्रतिबंधित किया गया। धूल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए गए। निर्माण स्थलों के प्रदूषण पर रोक लगी। सभी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने आपातकालीन कार्रवाई योजना को सख्ती से लागू किया। सभी औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छ ईंधन में बदला। बडे़ पैमाने पर हरित क्षेत्र बढ़ाया गया।

आज, चार साल बाद हमें संतोष है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 25 प्रतिशत कम हुआ है। यह शहर आज वायु प्रदूषण के चरम स्तरों से जूझ रहे अन्य भारतीय शहरों के लिए एक मॉडल बन गया है। दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से सात हमारे देश में हैं। लेकिन और सख्त योजना के जरिए इसे कम किया जा सकता है। इसमें जनता को साथ लेना होगा। हम सिर्फ 25 प्रतिशत की कमी से संतुष्ट नहीं हैं। हमें एक लंबा रास्ता तय करना है और जब तक हम वर्ष के 365 दिन अपने नागरिकों को स्वच्छ वायु की गारंटी नहीं दे देते, इसके लिए प्रयास करते रहना होगा।

दुनिया भर के शहर इस समस्या से जूझ रहे हैं। वे एक-दूसरे से सीख सकते हैं। लंदन ने लो-एमिशन ट्रांसपोर्ट जोन बनाया है। चीन के शेनजेन में सौ फीसदी इलेक्ट्रिक बसें हैं। कोपेनहेगन में शहरी परिवहन के पसंदीदा मोड के रूप में बाइकिंग मुख्यधारा में है। दिल्ली के क्लीन एयर डिक्लरेशन के तहत हमने घोषणा की है कि शहर की बसों के बेडे़ को दोगुना करके सार्वजनिक परिवहन का बडे़ पैमाने पर विस्तार करेंगे। कम से कम 1,000 इलेक्ट्रिक बसें और ई-वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। धूल के प्रदूषण को कम करने के लिए एक निश्चित ग्रीन बेल्ट को बढ़ाया जाएगा।

पहले यह धारणा थी कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे घिसे-पिटे मुद्दे से भारत में राजनीति नहीं की जा सकती। लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिखा दिया है कि यह धारणा बदल सकती है। हमने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र को पूरी तरह बदल दिया है। उसी तरह, पिछले पांच साल में दिल्ली के लोगों के सहयोग और प्रयास से प्रदूषण को कम किया गया है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अच्छी पर्यावरण नीतियां भी अच्छी राजनीति बनाती हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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