हमने नहीं, अदालत ने किया यह फैसला
अभी बहुत से माननीय सदस्यों ने अपनी बातें कहीं। मैंने गौर से सबका भाषण सुना। यह सत्य है कि सामाजिक क्रांति के बजाय राजनीतिक क्रांति का नेतृत्व आसान है। गांधी जी दोनों क्रांति लाए थे।...
अभी बहुत से माननीय सदस्यों ने अपनी बातें कहीं। मैंने गौर से सबका भाषण सुना। यह सत्य है कि सामाजिक क्रांति के बजाय राजनीतिक क्रांति का नेतृत्व आसान है। गांधी जी दोनों क्रांति लाए थे। ...वी पी सिंह ने अलग बातें कही हैं। यह ठीक कहा कि हम चेला और गुरु हैं, मगर समाज के इतिहास को उन्होंने पढ़ा ही है और इस समाज को किस समाज से टकराना है, उसको भी वह जानते हैं। यह आसान लड़ाई नहीं है। ...
वी पी सिंह जी, आपको याद होगा कि 7 अगस्त, 1990 को मैंने राज्यसभा में कहा था कि आप घोषणा तो कर रहे हैं, क्या आपको अपने दल में या हमारे दल में इसको समर्थन मिलेगा? यह कोई दलगत बात नहीं है। सभी दलों में इसका विरोध या समर्थन है, चाहे भाजपा हो, चाहे आपका दल हो, चाहे हमारा दल हो।
जो पिछड़े वर्ग हैं, जो अनुसूचित जाति, जनजाति हैं, इनकी किसी बात को उठाना तो आसान है, मगर उनका नेतृत्व करने में कितनी कठिनाइयां आती हैं..., वह आप जानते हैं। कदम-ब-कदम कठिनाइयां आती हैं। जिस समाज में यह विश्वास हो कि हम भूखे क्यों हैं, तो भगवान का अभिशाप है, हमारी झोंपड़ी में रोशनी क्यों नहीं है, तो भगवान का अभिशाप है, हमारे शरीर पर वस्त्र नहीं है, तो भगवान का अभिशाप है, इस विश्वास को जब तक आप खत्म नहीं करेंगे, तब तक यह संभव नहीं है। इतना ही नहीं, हमारे अंदर जो पिछड़े वर्ग के लोग हैं या अनुसूचित जाति या जनजाति के लोग हैं या जो बेचारे दबे और कुचले लोग हैं, वे इतनी दूर तक नहीं जा सकते। जो आपने अन्न की बात कही, तो अन्न की वजह से वह बेचारा अपना विचार बदल देता है। आपने ठीक कहा, मगर आप यह जान लें कि अन्न कितना भयंकर परिणाम लाता है, अन्न सारी क्रांति के उद्देश्य को धूल में मिला देता है। इसके एक नहीं, देश में अनेक उदाहरण हैं और इतिहास इस बात का साक्षी है। इस चीज को मानते हुए मैं दुख के साथ कहता हूं कि हर आदमी जो बेचारा गरीब है, कमजोर वर्ग का है, अनुसूचित जाति का है, जनजाति का है, अल्पसंख्यक है, उनका स्वाभिमान जागृत हो, जिसको गांधी ने जगाने की कोशिश की और मैं चाहता हूं कि इस सूत्र को आगे बढ़ाइए, पर मुझे दिन-प्रतिदिन अविश्वास होता जा रहा है।... जहां तक क्रीमीलेयर का प्रश्न है, इसे कांग्रेस ने नहीं लाया, यह सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है। क्रीमीलेयर हमने नहीं लगाया...।
हम सुप्रीम कोर्ट में जरूर गए, पर यह देख लीजिए कि सुप्रीम कोर्ट का 13 अगस्त, 1990 का जो जजमेंट है, मैंने यह नहीं कहा कि नहीं है, लेकिन क्रीमीलेयर के संबंध में यह कहना कि यह हमारी वजह से आया है, यह गलत है। सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है, उसमें क्रीमीलेयर की बात साफ है कि हटाने का काम आपका है, हमारा नहीं...। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के अनुसार, हम यह काम करेंगे। मैं फिर दूसरी बात कहता हूं कि आपका जो यह कहना है कि 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं होगा। यहां मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि यदि 27 प्रतिशत लोगों को लाभ नहीं होगा, तो फिर उसकी समीक्षा होगी। ... सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के अनुसार, एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी और उस रिपोर्ट को सरकार ने स्वीकार किया। मैं इतना ही आश्वासन दे सकता हंू कि अगर 27 प्रतिशत उसके अनुसार नहीं होगा, तो हम उसकी समीक्षा करेंगे।... सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को आप लोग फिर से पढ़ लीजिए, यह मेरा निवेदन है और रिपोर्ट को भी देख लीजिए। ...अगर हम सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से अलग करते हैं, तो हम सुधार करने को तैयार हैं।...
सारी प्रदेश सरकारों को मैंने लिखा है कि प्रमोशन में आरक्षण जारी है, उसमें कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। इस सदन में भी कहा है, पुन: कहता हूं, किसी अवस्था में एससी, एसटी के हित के खिलाफ हम समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं।
(लोकसभा में दिए गए उद्बोधन से)