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भागीदारी लोकतंत्र की आधारशिला 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट मानना है कि हमारी ताकत जनता की ताकत में है और हमारी ताकत हमारे देश के प्रत्येक नागरिक में निहित है। प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य इस बात का द्योतक है कि लोकतंत्र भारत.

भागीदारी लोकतंत्र की आधारशिला 
Amitesh Pandeyजगत प्रकाश नड्डा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टीFri, 16 Sep 2022 11:51 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट मानना है कि हमारी ताकत जनता की ताकत में है और हमारी ताकत हमारे देश के प्रत्येक नागरिक में निहित है। प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य इस बात का द्योतक है कि लोकतंत्र भारत की प्राणवायु में है। जन-भागीदारी की अवधारणा का अर्थ है, नीतियों के कार्यान्वयन में जनता की सामूहिक भूमिका। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र सरकार की नीतियों को लागू करने का केंद्रीय पहलू जनशक्ति का समुचित और बेहतर उपयोग करना रहा है। उन्होंने जनता को अपना काम करने के लिए दृढ़ता से प्रेरित किया है। विभिन्न मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रेरित किया है। साथ ही, शासन की सहायता के लिए जनता को प्रेरित करके प्रधानमंत्री ने जन-भागीदारी की इस विशाल शक्ति से होने वाले लाभों को जमीन पर उतारकर दिखाया है। 

जन संवाद की सतत प्रक्रिया के बिना जन-भागीदारी अधूरी है। वास्तविक सहभागी शासन, जमीनी हकीकत को समझने के लिए जनता के साथ नियमित संवाद करने की प्रक्रिया पर आधारित है, जिसके बाद मुद्दों के विश्लेषण के आधार पर पॉलिसी पेपर्स तैयार किए जाते हैं और फिर ज्वलंत मुद्दों से निपटने के लिए सही सुझाव दिए जाते हैं। आदर्श रूप से नीतियों के कार्यान्वयन और लाभार्थियों से मिले फीडबैक के आधार पर नीतियों को लागू किया जाता है। विभिन्न माध्यमों से इस  सरकार ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए जनता और सरकार के बीच इस संवाद को निरंतर बनाए रखने का व्यापक ध्यान रखा है। इसका एक सटीक उदाहरण ‘पीएम फसल बीमा योजना’ है। 
साल 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा फसल बीमा के लिए दो प्रमुख योजनाओं के संयोजन और सतत एवं टिकाऊ  कृषि सुनिश्चित करने के बाद इसे साल 2019-2020 में फिर से लॉन्च किया गया था। संशोधित योजना विभिन्न ऑफलाइन और ऑनलाइन तरीकों के माध्यम से किसानों के लिए समर्पित योजना है, जो उनकी विभिन्न समस्याओं का समाधान करती है। यह कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए संवाद और सहभागिता की शक्ति का एक सटीक उदाहरण है।
जनता को अपने लक्ष्य तक ले जाने के प्रयास में पीएम मोदी निर्विवाद रूप से सफल रहे हैं। लोक-कल्याणकारी विजन पर आधारित उनके प्रत्येक आह्वान को देश ने हाथों-हाथ लिया है। आम लोगों के जीवन को सहज व सरल बनाने के उनके चिंतन में संपूर्ण देश स्वत: स्फूर्त रूप से जुड़ जाता है। उनका हर संबोधन सदैव आमजन के समग्र विकास के परिप्रेक्ष्य में होता है। इसी कारण प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान राष्ट्रीय अभियान, सकल्प व लक्ष्य तक जाता है।
एक राजनीतिज्ञ के रूप में, नीतियों और लाभों को देश के हरेक नागरिक तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक को इसमें शामिल करने का पीएम मोदी का संकल्प और उनकी दूरदर्शिता को गत आठ वर्षों में देश ने निकट से अनुभव किया है। उदाहरण के लिए, खुले में शौच के  मुद्दे को लें। प्रधानमंत्री के रूप में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के अपने पहले उद्बोधन में उन्होंने सभी नागरिकों से ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में भाग लेने का आह्वान किया था। केवल 60 महीनों में 11 करोड़ से अधिक शौचालयों के निर्माण के साथ एक जन-आंदोलन, जो अब देश में एक लाख से भी अधिक खुले में शौच मुक्त गांवों में परिणत हो चुका है, एक ऐसा कारनामा है, जिसने दुनिया को चकित कर दिया। हालांकि, यह  सिर्फ एक स्वच्छता मिशन की तरह लग सकता है, लेकिन इसने देश की मातृशक्ति का सम्मान बढ़ाया है, उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की है, इससे बालिका शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। 
एक दूसरा उदाहरण जल-जीवन मिशन का हम ले सकते हैं, जिसने अब तक गांवों में 10 करोड़ से अधिक घरों में नल जल कनेक्शन सुनिश्चित किए हैं। 200 करोड़ कोविड टीके लगाने का रिकॉर्ड केवल 18 महीनों में हासिल किया गया। यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात  को तो एक सामाजिक क्रांति करार दिया गया है (जो सही भी है), उसका आधार भी जन-भागीदारी ही है। एक अन्य उल्लेखनीय जन-आंदोलन है- ‘वोकल फॉर लोकल।’  प्रधानमंत्री द्वारा स्वदेशी व्यापार को बढ़ावा देने और स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित करने का एक स्पष्ट आह्वान लोगों में जागरूकता पैदा करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने  के मामले में एक लंबा सफर तय कर चुका है। इस जन-आंदोलन ने छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया है, देश के दूरदराज के हिस्सों में स्टार्टअप को बनाए रखने और पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने में भी मदद की है। 
‘वोकल फॉर लोकल टॉयज’ अर्थात स्थानीय खिलौने को प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री मोदी की पहल खिलौनों के निर्माण में आत्मनिर्भर भारत अभियान का ही एक अंग है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं। देश में कई खिलौना उत्पादक समूह स्थापित हुए हैं। भारतीय संस्कृति और लोकाचार पर आधारित खिलौनों को विकसित करने के लिए नवीन विचारों को ‘क्राउडसोर्स’ करने के लिए ‘टॉयकैथॉन’ जैसे आयोजनों ने गति पकड़ी है। खिलौनों को बीआईएस (भारतीय प्रमाणन ब्यूरो) मानक के अनुसार प्रमाणित किया जाना सभी निर्माताओं के लिए अनिवार्य हो गया है, जिससे कई चीनी प्रतिस्पद्र्धी समाप्त हो गए हैं। वित्त वर्ष 2019-22 में खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत की कमी और निर्यात में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारतीय खिलौनों का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचा है, यह इस बात का प्रमाण है कि एक संकल्पबद्ध राष्ट्र क्या नहीं कर सकता है!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि लोकतंत्र केवल एक सरकार को पांच साल के लिए अनुबंध नहीं देता, बल्कि वास्तव में यह जन-भागीदारी है। उन्होंने देश के नागरिकों में जो अटूट विश्वास दिखाया है, उसका अकल्पनीय सकारात्मक परिणाम सामने आया है। जब नीतियां अंतिम पायदान पर खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंचती हैं, तब लोकतंत्र को वास्तव में सफल माना जाता है। इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान का स्पष्ट सार यह है कि सभी की भागीदारी से ही सभी की समृद्धि होती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) 

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