इजरायलियों को जंग पर कितना यकीन
इजरायल के लोग वर्ष 2023 के बचे हुए समय में संकट से उबरने की उम्मीद लगाए हुए हैं। एक ऐसा वर्ष बीत रहा है, जब इजरायल ने सबसे खराब घरेलू संकट के साथ ही बाहर से आए खतरों का भी सामना किया है। अव्वल तो...

इजरायल के लोग वर्ष 2023 के बचे हुए समय में संकट से उबरने की उम्मीद लगाए हुए हैं। एक ऐसा वर्ष बीत रहा है, जब इजरायल ने सबसे खराब घरेलू संकट के साथ ही बाहर से आए खतरों का भी सामना किया है। अव्वल तो इजरायलियों को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कट्टरपंथी-दक्षिणपंथी सरकार से जुड़े घरेलू सियासी संकट का सामना करना पड़ा। इस सरकार ने लोकतांत्रिक संस्थानों, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्ति संतुलन को खतरे में डालने वाले जटिल न्यायिक सुधारों को आगे बढ़ाया। नेतन्याहू चाहते हैं कि इजरायल के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के चयन सहित सभी शक्तियां राजनेताओं के हाथों में आ जाएं। ध्यान रहे, इजरायल में जनवरी 2023 से लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर हफ्ते हजारों लोग सड़क पर उतरकर सरकार का विरोध कर रहे थे। कई लोकतांत्रिक-उदारवादी इजरायलियों के लिए धार्मिक अति-राष्ट्रवादी सरकार का प्रतिरोध अहम मुद्दा है। ये उदारवादी सबके लिए ऐसे लोकतांत्रिक राज्य की रक्षा करना चाहते हैं, जहां यहूदी, अरब, धार्मिक, धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी, रूढ़िवादी, समलैंगिक, महिलाएं इत्यादि, सब रहते हों। ये लोग नहीं चाहते थे कि कोई सरकार राज्य के मूल स्वभाव को लोकतांत्रिक राज्य से अधिक धार्मिक और सत्तावादी राज्य में बदल दे।
इस साल बहुत बड़ी दुखद घटना 7 अक्तूबर को हुई, जब इस्लामी आंदोलन और सशस्त्र समूह हमास ने एक धार्मिक यहूदी त्योहार के दिन सुबह हमला कर दिया। हमास के 3,000 से अधिक आतंकी हथियारों से लैस होकर आए और इजरायल के दक्षिणी हिस्से में शिशुओं, बच्चों, महिलाओं, वृद्धों और यहां तक कि विदेशी मजदूरों को भी मार डाला। आतंकियों ने अपनी हिंसा के कई रील और वीडियो बनाए, जिन्हें बाद में आतंक फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। उन्होंने 240 से अधिक लोगों को पकड़ लिया और बंधक बनाकर गाजा ले गए, जिनमें बच्चे, किशोर, महिलाएं, पुरुष, वरिष्ठ नागरिक और विदेशी श्रमिक भी शामिल थे। उदाहरण के लिए, थाईलैंड के 25 कृषि श्रमिक गाजा में बंदी हैं। ऐसे बर्बर हमले के बाद इजरायली सेना ने एक महीने से हमास के खिलाफ पूरी ताकत झोंक रखी है। इस युद्ध में गाजा के नागरिकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक 10,000 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं, जिनमें से आधे बच्चे हैं और लगभग 15 लाख बेघर हो गए हैं। गाजा पर गंभीर संकट है और लोगों के पास पर्याप्त भोजन, आश्रय, यहां तक कि दवाएं भी नहीं हैैं।
पश्चिम एशिया में युद्धविराम के लिए कड़ा अंतरराष्ट्रीय दबाव है, पर इजरायल तब तक युद्धविराम से इनकार करता रहेगा, जब तक हमास बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा करने पर सहमत नहीं हो जाता। हमास के पास बंधकों को रिहा करने का विकल्प है, पर वह सिर्फ युद्धविराम के लिए उन्हें वापस नहीं करना चाहता। वह यह भी मांग कर रहा है कि इजरायल सभी कैदियों को जेलों से रिहा करे। कई कैदी ऐसे भी हैं, जो इजरायलियों के खिलाफ गंभीर आतंकवादी गतिविधियों के चलते जेलों में कैद हैं। इस मांग को पूरा करना इजरायल के लिए बहुत मुश्किल है।
विश्व स्तर पर अगर देखें, तो अभी इजरायल को यूरोप और अमेरिका की सभी प्रमुख शक्तियों के साथ-साथ भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का भी समर्थन मिला हुआ है। मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अधिकांश अरब देश हमास व 7 अक्तूबर को इजरायली पर हुए आतंकी हमले का समर्थन नहीं करते हैं। फिर भी गाजा के लोगों के पक्ष में धीरे-धीरे बढ़ते जनमत के साथ ये अरब देश इजरायल के प्रति आने वाले हफ्तों में ज्यादा तल्ख हो सकते हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमास के खिलाफ बेहद आक्रामक बयान देते रहे हैं और गाजा से उसे पूरी तरह से खत्म करने की मांग भी करते रहे हैं। वह और उनके मंत्रिमंडल के अनेक सदस्य 7 अक्तूबर की त्रासदी को उसी तरह देखते हैं, जिस तरह अमेरिका 2001 के 9/11 हमले को देखता है। नेतन्याहू को लगता है कि विश्व नेता लंबे समय तक उनका समर्थन करते रहेंगे, पर ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इजरायल के साथ-साथ अमेरिका में भी उनके युद्ध की विश्वसनीयता बहुत कम है। वैसे, अमेरिका अभी भी इजरायल का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है और हथियारों व धन से मदद कर रहा है। यह भी गौर करने की बात है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पूरे साल नेतन्याहू के प्रति बहुत आलोचनात्मक रहे हैं, जब ज्यादातर इजरायलियों ने भी उनकी सरकार का विरोध किया है। बाइडन ने नेतन्याहू को दस महीने तक व्हाइट हाउस में नहीं बुलाया। साथ ही, बाइडन को यह कहने में कोई संकोच नहीं रहा है कि इजरायल को एक मजबूत लोकतंत्र बने रहने और फलस्तीनियों के साथ दो-देशीय समाधान का सम्मान करने की जरूरत है।
इजरायल में सुरक्षा प्रतिष्ठान, जिसमें रक्षा मंत्री और उनके द्वारा नियुक्त अन्य खुफिया प्रमुख शामिल हैं, पिछले दस महीनों से उन्हें चेतावनी दे रहे हैं कि उनकी सरकार की नीतियां इजरायलियों को बांट रही हैं। एक राष्ट्र के रूप में इजरायल की युद्ध तैयारियों और एकता को कमजोर करने में नेतन्याहू के एकतरफा राजनीतिक और न्यायिक सुधारों का भी हाथ है, जिसने सैनिकों, पायलटों और खुफिया एजेंसियों के बीच गहरा अविश्वास भी पैदा किया है। यही वजह है कि त्रासदी के एक महीने बाद इजरायली अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे हैं और लोगों की रक्षा करने में नाकाम रहने पर उनका इस्तीफा भी मांग रहे हैं। उन्हें नहीं लगता कि रक्षा मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। हमास के हमले के बाद इजरायल के लोग एकजुट हैं, पर वह अपने प्रधानमंत्री के पीछे नहीं, बल्कि सेना और रक्षा मंत्री के साथ खड़े हैं।
बहरहाल, गाजा में इजरायली सेना का अभियान लंबे समय तक जारी रहा, तो युद्ध के नाम पर सत्ता में बने रहना नेतन्याहू को सुविधाजनक लग सकता है। बंधकों की जल्द रिहाई की कोई उम्मीद नजर नहीं आने से भी इजरायलियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। युद्धविराम की बढ़ती वैश्विक मांग के चलते अमेरिका उसे बिना शर्त सैन्य और राजनीतिक समर्थन भी नहीं देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात पर पहले से ही जोर देते रहे हैं कि इस युद्ध के बाद दो-राज्य या दो-देशीय आधार पर राजनीतिक समाधान निकलना चाहिए।
(लेखक इजराइल के बेन-गुरियन विश्वविद्यालय में विजिटिंग फैकल्टी हैं, ये उनके अपने विचार हैं)
