आईपीएल का ताज
वे वाकई जादुई पल थे। रात के दो बजने को थे। मगर करोड़ों आंखें अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से लेकर देश-दुनिया के लाखों घरों में पलकें झपकाना भूल गई थीं। गुजरात टाइटंस के मोहित शर्मा के हाथ...
वे वाकई जादुई पल थे। रात के दो बजने को थे। मगर करोड़ों आंखें अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से लेकर देश-दुनिया के लाखों घरों में पलकें झपकाना भूल गई थीं। गुजरात टाइटंस के मोहित शर्मा के हाथ में गेंद थी, और चेन्नई सुपर किंग्स के रवींद्र जडेजा को आखिरी दो गेंदों पर 10 रनों की दरकार। जडेजा ने छक्के और चौके से पांचवीं बार चेन्नई सुपर किंग्स के सिर विजेता का ताज सजा दिया और इसके साथ ही क्रिकेट की सबसे रोमांचक लीग का 16वां सत्र भी अपने अंजाम पर पहुंच गया। इस प्रतिस्पद्र्धा ने कैसे भारत में खेल भावना को जीवंत बनाया है, इसकी एक बानगी सोमवार की रात दिखी। चेन्नई के साई सुदर्शन ने 47 गेंदों पर 96 रनों की शानदार पारी खेलकर गुजरात के लिए मजबूत आधार तैयार किया, तो गुजरात के रवींद्र जडेजा ने चेन्नई की जीत की इबारत लिख डाली। पराजित कप्तान हार्दिक पांड्या प्रतिद्वंद्वी के प्रति श्रद्धावान थे, तो विजेता कप्तान महेंद्र सिंह धौनी साथी खिलाड़ियों को अपने आचरण से बता रहे थे, जीत को संयम से कैसे स्वीकारा जाता है। वहां क्षेत्रीय संकीर्णताओं के लिए कोई जगह नहीं थी, सिर्फ क्रिकेट का जलवा था, जीतने का जुनून था, और अपने चहेते खिलाड़ियों के लिए दर्शकों की भावनाओं का ज्वार!
आज से ठीक दो दशक पहले जब ट्वंटी-20 क्रिकेट की शुरुआत हुई थी, तब इसे लेकर दुनिया के दिग्गज क्रिकेटरों ने भी कई आशंकाएं जताई थीं, पर हर बीतते वर्ष के साथ यह विधा वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त लोकप्रियता बटोरती गई, बल्कि तमाम क्रिकेट बोर्डों, खेल महकमों और खिलाड़ियों के लिए इसने आर्थिक समृद्धि के दरवाजे खोल दिए। ऐसे में, आईपीएल की कामयाबी, खासकर इसके 16वें सत्र ने लोकप्रियता के जो रिकॉर्ड कायम किए हैं, उससे क्रिकेट से इतर खेल विधाओं के आयोजक भी जरूर प्रेरणा लेंगे। आईपीएल की एक बड़ी कामयाबी यह भी है कि इसने दुनिया भर के क्रिकेटरों में भारत की साख मजबूत की है; देश-विदेश की महिला क्रिकेटरों के लिए अवसरों के दरवाजे खोले हैं, और खेलों का एक नया अर्थशास्त्र भी तैयार किया है।
यह आईपीएल शुभमन गिल की बेजोड़ बल्लेबाजी के लिए तो याद रहेगी ही, यह रिंकू सिंह, यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन में छिपी अपार संभावनाओं के लिए भी दर्ज की जाएगी। मोहम्मद शमी ने जहां अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवाया, तो वहीं जिन मोहित शर्मा के नाम पर दो साल पहले तक फ्रेंचाइजी खामोश रह जाती थीं, वह इस बार सबसे कामयाब गेंदबाजों की पहली कतार में रहे। फाइनल का दिन गुजरात टाइटंस का नहीं था, पर पूरे टूर्नामेंट में इस टीम ने जैसी निरंतरता दिखाई, उसकी सराहना की जानी चाहिए। हार्दिक पांड्या एक कप्तान के रूप में और परिपक्व दिखे। निस्संदेह, भारतीय क्रिकेट और टीम इंडिया के पास अब पेशेवराना तेवर वाली प्रतिभाओं की कमी नहीं, लेकिन यह चुनौती अब भी बरकरार है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में हम कप नहीं ला पा रहे। इसी अक्तूबर-नवंबर में एकदिवसीय विश्व कप होने हैं और अगले वर्ष की गरमियों में ट्वंटी-20 विश्व कप होगा। कामना की जाएगी कि आईपीएल से हासिल अनुभवों से हमारे क्रिकेटर इन दोनों फॉर्मेट में जीत के सूखे को इस बार खत्म करेंगे। अलबत्ता, इस आईपीएल ने किक्रेटरों के संदर्भ में इस भाव को पुख्ता किया है कि कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियां चुनने वाले, हमसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले!