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चीन में चिंता 

चीन से जो तस्वीरें आ रही हैं, उनसे किसी को भी चिंता का एहसास हो सकता है। दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोना महामारी काबू में आ चुकी है, पर चीन में अब भी यह वायरस लॉकडाउन का कारण बना हुआ है। दरअसल...

चीन में चिंता 
Pankaj Tomarहिन्दुस्तानTue, 29 Nov 2022 12:36 AM

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चीन से जो तस्वीरें आ रही हैं, उनसे किसी को भी चिंता का एहसास हो सकता है। दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोना महामारी काबू में आ चुकी है, पर चीन में अब भी यह वायरस लॉकडाउन का कारण बना हुआ है। दरअसल, चीन कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शून्य-कोविड नीति पर चलता आ रहा है। दिसंबर 2019 से ही चीन के लोगों ने लॉकडाउन के लंबे दौर देखे हैं। यह लॉकडाउन कितना कड़ा होता है, इसकी कल्पना भारत जैसे उदार देशों में कम ही लोग कर सकते हैं। वहां घर का दरवाजा खोलने तक की इजाजत लोगों को नहीं मिलती है। खाने-पीने का वही सामान मिलता है, जो सरकार देती है। चीनी लॉकडाउन का मतलब है, जीवन का पूर्णत: बाधित हो जाना। चूंकि चीन सरकार ने कडे़ लॉकडाउन के दम पर ही अपने लोगों को महामारी के समय बचाया था, इसलिए उसे संक्रमण को रोकने का यही सबसे कारगर तरीका लगता है, लेकिन जाहिर है, लंबे लॉकडाउन से तंग आ चुके लोग अब सड़कों पर उतरने लगे हैं। दरअसल, शून्य-कोविड नीति के खिलाफ चीनियों मेें व्यापक गुस्से और विरोध की भावना है। बताया जाता है कि सरकार ने लॉकडाउन में कुछ राहत दी है, लेकिन लोग इसे ऊंट के मुंह में जीरा मानते हैं। 

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना भी खूब हो रही है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, देश में सोमवार को संक्रमण के 39,452 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि रविवार को 40,347 नए मामले दर्ज किए गए थे। भारत में कोविड को लेकर नेताओं और संबंधित विभागों की बयानबाजी भले ही खत्म हो गई है, पर चिंतित चीन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि हम मानते हैं, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व और चीनी लोगों के समर्थन से कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई सफल होगी। पिछले दिनों पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में जो घातक आग लगी थी, उसे भी लोग सख्त कोविड उपायों से जोड़कर देख रहे हैं। जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें उल्टे इरादों वाली ताकत कहा जा रहा है, इससे भी विरोध और प्रदर्शन का आकार बढ़ा है। ध्यान रहे, चीन एक ऐसा देश है, जहां शासन सोशल मीडिया को पसंद नहीं करता है। सोशल मीडिया से मिलने वाली चुनौती चीनी सत्ताधीशों को हजम नहीं होती। शासन की अनुदारता या अनुशासन के लिए कड़ाई को अब बहुत से लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। लोग सामने आकर विरोध कर रहे हैं। चीनी सरकार को आम लोगों की पीड़ा को संवेदना के साथ समझना चाहिए। विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से बीजिंग और शंघाई में हो रहे हैं, जगह-जगह बैरियर लगाए गए हैं, लेकिन तब भी लोग खुलकर सड़कों पर उतर रहे हैं। 

चीन में ताजा कड़ाई का मामला इसलिए भी सामने आ गया, क्योंकि बीबीसी के संवाददाता के साथ भी मारपीट हुई है। शायद चीनी सैन्य अधिकारियों को पता न था कि वे बीबीसी संवाददाता को परेशान कर रहे हैं, मगर उनकी परेशानी अब बढ़ गई है। वैसे भी, किसी विरोध-प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश चीनी प्रशासन को ज्यादा मुफीद लगती है। विरोध की आवाज को कुचलने का पुराना चीनी इतिहास रहा है। ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि अगर चीन में अब भी कोरोना संक्रमण तेज है, तो दुनिया को ज्यादा सचेत रहना होगा। क्या कोरोना वायरस का नया संस्करण आया है? पहले भी कोरोना वायरस चीन से ही निकलकर दुनिया में फैला था। अत: सबको सावधान रहना होगा। 

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