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बंगाल की खाड़ी में चीन की नई बिसात

एक समाचार ने 2014 में सबके कान खड़े किए थे। ‘बंगाल की खाड़ी को जापानी निवेशक समृद्ध करने जा रहे हैं।’ खुसूसन, इस खबर से चीन की नींद उड़ गई थी। कूटनीतिकों को लगा कि इससे एशिया-प्रशांत का...

बंगाल की खाड़ी में चीन की नई बिसात
पुष्परंजन, संपादक, ईयू-एशिया न्यूजSun, 12 Aug 2018 09:32 PM
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एक समाचार ने 2014 में सबके कान खड़े किए थे। ‘बंगाल की खाड़ी को जापानी निवेशक समृद्ध करने जा रहे हैं।’ खुसूसन, इस खबर से चीन की नींद उड़ गई थी। कूटनीतिकों को लगा कि इससे एशिया-प्रशांत का रणनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा। यूरोप के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, बंगाल की खाड़ी के गिर्द बसने वाले थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका जैसे देश सतर्क हो गए थे। इस खबर की वजह शिंजो आबे का 6 सितंबर, 2014 को बांग्लादेश जाना भी था, जहां 35 लोन पैकेज के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में काफी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर सहमति हुई थी। पता नहीं कब और कैसे उभयपक्षीय सहकार की रफ्तार धीमी हो गई। उससे उलट चीन ने जबर्दस्त तरीके से बांग्लादेश में आर्थिक झंडा गाड़ा है। अब वह सिर्फ पाकिस्तान का ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ नहीं रहा, बांग्लादेश को संवारने का जिम्मा भी उसने उठा लिया है। 

19 फरवरी, 2018 को बोर्ड ऑफ ढाका स्टॉक एक्सचेंज ने 25 फीसदी शेयर शंघाई व शेंचेन स्टॉक एक्सचेंज को देना स्वीकार कर लिया था। इस शेयर के वास्ते दो और प्रतिद्वंद्वी मैदान में थे। ‘नैस्डैक’ और इंडियन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। चीन वालों ने इसकी बोली भारतीय प्रतिस्पद्र्धी से 56 प्रतिशत अधिक लगाई। 11 करोड़ 90 लाख डॉलर कैश के जरिए चीन ने इसे अपने हिस्से ले लिया। इस खेल को पहले से ही तय किया जा चुका था। अक्तूबर, 2016 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब ढाका गए, तो उस समय  27 परियोजनाओं के वास्ते 22 अरब डॉलर के निवेश का उन्होंने अहद किया था। इस पैसे का सबसे बड़ा इस्तेमाल चिटगांव में डीप सी पोर्ट बनाने के वास्ते करना था। 

22 मार्च, 2018 को चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ  ने खबर जारी की कि चाइनीज इकोनॉमिक ऐंड इंडस्ट्रीयल जोन, पायरा पावर प्लांट और आठवें चाइना-बांग्लादेश फ्रेंडशिप ब्रिज पर 10 अरब डॉलर खर्च किया जा चुका है। चीनी निवेशक अगले कुछ वर्षों में अधोसंरचना के क्षेत्र में 31 अरब डॉलर लगाएंगे। चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) शुरू में 46 अरब डॉलर का था, जो बढ़ते-बढ़ते 62 अरब डॉलर के निवेश को छूने लगा है। क्या चीन की प्राथमिकता में पाकिस्तान कम, और बांग्लादेश अधिक होने जा रहा है? इस सवाल का उत्तर जल्दबाजी में देना उचित नहीं होगा। 

इस समय चीन के लिए बांग्लादेश 16 अरब डॉलर वाले विशाल बाजार के रूप में दिखाई दे रहा है। चीन के मुकाबले मजदूर वहां सस्ते हैं, इसलिए आउटसोर्स की संभावना उसे वहां अधिक दिख रही है। मलक्का जलडमरूमध्य वाले मार्ग पर निर्भरता को कम करने के वास्ते उसे बांग्लादेश के बरास्ते जहाज निकालना सस्ता व सुरक्षित लग रहा है। दक्षिण-पश्चिम चीन स्थित युन्नान के लिए बांग्लादेश का चिटगांव पोर्ट उतना ही महत्वपूर्ण हो जाएगा, जिस तरह से बलूचिस्तान का ग्वादर। यह दूरी एक हजार किलोमीटर की है। चीन को चिटगांव पोर्ट के माध्यम से ऊर्जा व्यापार बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी। चिटगांव-ढाका के बीच बुलेट ट्रेन लाइन बैठाने पर भी काम चल रहा है।
हमारे लिए चिंता का विषय यह है कि चिटगांव से मात्र 200 किलोमीटर की दूरी पर त्रिपुरा है। उस लिहाज से पूर्वोत्तर कितना सुरक्षित रह जाता है? इस सवाल का उत्तर देने के वास्ते सरकार को तैयार रहना होगा। डोका ला में जो कुछ हुआ, उसके पीछे हमारी रणनीति यही थी कि ‘चिकेन नेक’ बोले जाने वाले सिलीगुड़ी गलियारे को हम महफूज रखें। मगर यहां तो बांग्लादेश के बरास्ते एक दूसरा ही मोर्चा खुल रहा है।

चीन व्यापार को सरल बनाने के वास्ते भाषा सिखाने में लग गया है। चीनी तकनीशियन, सीईओ को कोई दिक्कत दरपेश न हो, इसे ध्यान में रखकर ढाका स्थित चीनी दूतावास ने कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट को काफी सक्रिय कर रखा है। भाषा को रोचक बनाने के वास्ते म्यूजिक, डांस, मार्शल आर्ट, इन सब बातों का तड़का ऐसे प्रोग्राम में डाले जा रहे हैं। बांग्लादेशी युवाओं को बड़ी संख्या में चीन प्रशिक्षण के वास्ते भेजा जा रहा है, ताकि जब ये देश लौटें, तो चीन का गुणगान करते मिलें। 

चीन निवेश वहीं कर रहा है, जहां कनेक्टिविटी और उसके औद्योगिक लक्ष्य पूरे होते दिख रहे हैं। खुलना, बांग्लादेश का तीसरा बड़ा शहर व पोर्ट सिटी है, जिसे चीन इंडस्ट्रीयल हब के रूप में विकसित कर रहा है। चिटगांव के बाद खुलना का मंगला पोर्ट देश का दूसरा बंदरगाह है, जो सामरिक रूप से महत्वपूर्ण होने के कारण नौसेना कमांड का मुख्यालय भी है। इसकी दूरी कम करने के वास्ते चीन के सहयोग से पद्मा रेल-रोड ब्रिज पर तेजी से काम हो रहा है। पद्मा ब्रिज बनने के बाद ढाका-खुलना की दूरी 412 किलोमीटर से घटकर 213 किलोमीटर रह जाएगी। चाइना एक्जिम बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए 2.67 अरब डॉलर की स्वीकृति दी है। 

चीन किस उद्योग व्यापार में हाथ डालना चाहता है, वह 10 अगस्त, 2018 को ढाका स्थित चीनी राजदूत झांग जुओ के बयान से स्पष्ट हो जाता है। चीनी दूत ने संकेत दिया कि सबसे बड़ा निवेश हमें स्टील इंडस्ट्री में करना है। इस बयान से दो दिन पहले उनकी मुलाकात बांग्लादेश के योजना मंत्री मुस्तफा कमाल से हुई थी। इस भेंट में मत्स्य पालन, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, प्रोसेस्ड फूड, फुटवियर, रेडीमेड गारमेंट जैसे क्षेत्रों में पैसा लगाने का आग्रह बांग्लादेशी मंत्री कर रहे थे। चीन की दिलचस्पी कुछ दूसरी है, जो राजदूत झांग के बयान से साफ हुआ है। चीन ने एक निवेश के वास्ते एक नया इलाका ढूंढ़ा है, उसका नाम रखा है, ‘ब्लू इकोनॉमी’। इसमें निवेश करने वाले समुद्री इलाके में फिशरी का फायदा उठाने, मेरीटाइम टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने, खनिज निकालने व गैस भंडार का दोहन करने में दिलचस्पी रखते हैं। राजदूत झांग ने साफ किया है कि ‘ब्लू इकोनॉमी’ की अवधारणा को आगे बढ़ाने में चीन की सरकारी कंपनियां ही आगे आएंगी। यानी चीन को इसमें निवेश का लाइसेंस मिला, तो निश्चय ही चीनी जलयान ‘ब्लू इकोनॉमी’ के बहाने बंगाल की खाड़ी में हलचल पैदा करेंगे। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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