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खिल गया सीता-अशोक

आज अचानक नारंगी-लाल रंग के खूबसूरत फूलों से लदे सीता-अशोक को देखा, तो देखता ही रह गया। इसे हमारे देश का सबसे सुंदर वृक्ष यूं ही नहीं कहा गया है। फरवरी-मार्च में लंबी, हरी पत्तियों के बीच गुच्छों में...

खिल गया सीता-अशोक
देवेंद्र मेवाड़ी की फेसबुक वॉल सेThu, 20 Apr 2017 11:40 PM
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आज अचानक नारंगी-लाल रंग के खूबसूरत फूलों से लदे सीता-अशोक को देखा, तो देखता ही रह गया। इसे हमारे देश का सबसे सुंदर वृक्ष यूं ही नहीं कहा गया है। फरवरी-मार्च में लंबी, हरी पत्तियों के बीच गुच्छों में जब इसके नारंगी-लाल फूल खिलते हैं, तो इसकी शोभा देखते ही बनती है। इनके सौंदर्य से मोहित होकर ही हमारे प्राचीन साहित्य और शिल्प में इन्हें सम्मानजनक स्थान मिला होगा। असल में आमतौर पर आजकल लोग एक अलग वृक्ष को असली अशोक समझते हैं, जबकि हमारा अपना असली अशोक ‘सीता-अशोक’ है। वनस्पति विज्ञानी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। इमारतों के आस-पास जो लंबे, लहरदार हरी पत्तियों वाले अशोक के वृक्ष लगाए जाते हैं, उन्हें वनस्पति विज्ञानी ‘पालीएल्थिया लोंगीफोलिया’ कहते हैं। यह दक्षिण भारत व श्रीलंका का वृक्ष है। सीता-अशोक हमारा देशज वृक्ष है और भारत में प्राचीनकाल से उग रहा है। वनस्पति विज्ञानियों ने इसका नाम ‘सराका इंडिका’ रखा है। पिछली सदियों में भले ही हम अपने देश के इस सबसे सुंदर वृक्ष को भूल गए हों, लेकिन अब हमें यह गलती दोहरानी नहीं चाहिए। घर के आस-पास इस वृक्ष को लगाकर तो देखिए, वसंत आते ही इसके नारंगी-लाल फूलों के गुच्छे किस तरह आपका और अन्य लोगों का मन मोह लेते हैं! 

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