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प्रदूषण से कितनी मुक्ति दे पाएंगी विद्युत चालित कारें

प्रदूषण कम करने के विचार से दुनिया भर में कारों का सबसे बड़ा बाजार चीन पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों का निर्माण और बिक्री रोकने के साथ ही विद्युत चालित गाड़ियों के निर्माण में तेजी लाएगा। ब्रिटेन...

प्रदूषण से कितनी मुक्ति दे पाएंगी विद्युत चालित कारें
महेंद्र राजा जैन, वरिष्ठ हिंदी साहित्यकारWed, 03 Jan 2018 09:02 PM
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प्रदूषण कम करने के विचार से दुनिया भर में कारों का सबसे बड़ा बाजार चीन पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों का निर्माण और बिक्री रोकने के साथ ही विद्युत चालित गाड़ियों के निर्माण में तेजी लाएगा। ब्रिटेन और फ्रांस भी 2040 से पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर कानूनन रोक लगाने की घोषणा कर चुके हैं। 

इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ मोटर व्हिकिल्स मैन्युफैक्चर्स के अनुसार चीन में पिछले वर्ष दो करोड़ अस्सी लाख कारें बिकी थीं। पांच लाख से भी ज्यादा विद्युतचालित नई कारों की बिक्री भी हुई, जिससे उत्साहित होकर कुछ विदेशी कार-निर्माताओं ने भी वहां विद्युत चालित कारों का निर्माण शुरू करने की योजना बनाई है। 

स्वीडन की कंपनी वोल्वों और अमेरिका की फोर्ड भी वहां पूरी तरह विद्युत चालित कारें बनाने की तैयारी में हैं। उम्मीद है कि 2035 तक ये बाजार की मांग का बड़ा हिस्सा पूरा कर पाएंगी।

विद्युत चालित कारों के साथ सबसे बड़ी समस्या नई बैटरियों और उनके मूल्य की है। जापानी कंपनी निसान की ‘लीफ’ मॉडल की कार इस समय दुनिया भर में सबसे अधिक बिकने वाली विद्युत चालित कार है। इसका मूल्य (बैटरी के अतिरिक्त) लगभग 16 लाख रुपये है। बैटरी लगभग सात-आठ हजार रुपये प्रतिमाह किराये पर मिल सकती है या लगभग साढे़ चार लाख में खरीदी जा सकती है। ब्रिटिश सरकार विद्युत कारों पर सब्सिडी भी देती है। 

विद्युत कार की सफलता के लिए ऐसी बैटरी की उपलब्धता जरूरी है, जो जल्दी चार्ज हो सके तथा एक बार चार्ज किए जाने के बाद लंबी यात्रा में डिस्चार्ज न हो। पूना स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च में एक नई बैटरी का परीक्षण किया जा रहा है। इसे एक हजार से अधिक बार चार्ज किए जाने पर भी बैटरी की क्षमता पूर्ववत रहेगी। सामान्य गति से चार्ज करने पर तो बैटरी पूरी तरह चार्ज होगी ही, पर यदि उसे जल्दी चार्ज करना हो, तो काफी कम समय में कम से कम 80 प्रतिशत चार्ज हो जाएगी। यह निश्चित ही वर्तमान में उपलब्ध ग्रेफाइट (काला सीसा) से बनाई जाने वाली बैटरी की अपेक्षा बहुत अधिक है। रेंज और बैटरी मूल्य की समस्याओं से निपट लिया जाए, तो माना जा सकता है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा 2040 से पेट्रोल और डीजल कारों के निर्माण पर प्रतिबंध से कोई समस्या नहीं आने वाली। लेकिन पेट्रोल और डीजल चालित कारों का निर्माण बंद होने से विद्युत चालित कारें खरीदना मजबूरी होगी। यह सही है कि पेट्रोल कारों की अपेक्षा विद्युत चालित कार का सफर सस्ता पड़ता है और इसका सर्विसिंग चार्ज भी अपेक्षाकृत कम पड़ता है। इसके बावजूद भूलना नहीं चाहिए कि पेट्रोल-डीजल की खपत कम होने से इससे होने वाली आय में कमी आएगी और सरकार इसकी पूर्ति अन्य चीजों पर टैक्स बढ़ाकर करना चाहेगी। 

यह भी सच है कि 23 वर्षों में तकनीक जिस तरह बदलेगी, उसकी दिशा तय करना अभी आसान नहीं है। संभव है कि तब हम एक बार के चार्ज पर 700 मील तक का सफर कर सकें या यह भी हो सकता है कि पारमाणविक फ्यूजन के समान, जिसे वर्तमान स्थिति तक पहुंचने में 50 वर्ष लग गए, विद्युत चालित कारों पर रखी गई आशा कभी फलीभूत ही न हो। ऐसे में, पेट्रोल-डीजल कारों पर जल्दबाजी में प्रतिबंध समझदारी भरा नहीं होगा।

माना जा रहा है कि विद्युत चालित कारें प्रदूषण कम करेंगी, लेकिन यह भी सच है कि इससे जितना प्रदूषण कम होगा, उसके मुकाबले अन्य माध्यम कहीं ज्यादा प्रदूषणकारी होंगे। कारों की बैटरी चार्ज करने के लिए कहीं ज्यादा विद्युत शक्ति की जरूरत होगी। घरों में, गैरेजों में और सर्विस स्टेशनों में भी अधिक पावर वाले चार्जिंग पॉइंट लगाने होंगे और इस सबके लिए जनरेटर चलाने की जरूरत पड़ेगी, जिसमें डीजल का बढ़ा हुआ उपयोग प्रदूषणकारी होेगा। सौर ऊर्जा एक साधन है, लेकिन वह विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि तमाम देश ऐसे भी हैं, जहां कई बार सप्ताह या महीने भर भी सूर्य प्रकाश नहीं मिलता। भारत जैसे देश में तो पेट्रोल और डीजल चालित गाड़ियों पर प्रतिबंध की बात सोची ही नहीं जा सकती, क्योंकि अभी घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए ही पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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