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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और भविष्य की आशंकाएं

रोजगार के अवसरों को लेकर आज दुनिया उसी मुकाम पर खड़ी है, जहां 80 के दशक में तब थी, जब कंप्यूटरीकरण शुरू हुआ था। या 60 के दशक में, जब स्वचालित मशीनों का प्रचलन बढ़ा था। और पीछे जाएं, तो अमेरिका-यूरोप...

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और भविष्य की आशंकाएं
मदन जैड़ा ब्यूरो चीफ, हिन्दुस्तानMon, 14 Jan 2019 11:54 PM
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रोजगार के अवसरों को लेकर आज दुनिया उसी मुकाम पर खड़ी है, जहां 80 के दशक में तब थी, जब कंप्यूटरीकरण शुरू हुआ था। या 60 के दशक में, जब स्वचालित मशीनों का प्रचलन बढ़ा था। और पीछे जाएं, तो अमेरिका-यूरोप में जब 19वीं सदी में कृषि कार्य में मशीनों का इस्तेमाल शुरू हुआ, तो कृषि से जुड़े रोजगारों में भारी गिरावट आई थी। कहा जा रहा है कि आने वाले समय में ज्यादातर काम कृत्रिम बुद्धिमता वाली मशीनों से होने लगेंगे और इंसानों के लिए रोजगार के अवसर सीमित हो जाएंगे। इन्हीं चिंताओं के बीच बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स बेसेन का शोध उम्मीदें जगाता है। वह कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ने से नई सेवाएं और नए किस्म के रोजगार भी बढ़ेंगे। ऐसी ही सोच टेस्ला के सीईओ एलोन मुश्क की भी है। वह कहते हैं कि इंसान की भूमिका कभी खत्म नहीं हो सकती। पिछले दिनों मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने अपने अध्ययन में कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमता के कारण 2030 तक दुनिया में 80 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी और 37 करोड़ पेशेवरों को नए सिरे से प्रशिक्षण लेना होगा, क्योंकि जो कार्य वे कर रहे हैं, उसकी अहमियत नहीं रह जाएगी। उन्हें अपने कौशल को नए सिरे से साधना होगा। इन अध्ययनों के बाद भारत समेत दुनिया के 25 बड़े देशों ने इस चुनौती के प्रभावों का आकलन करना शुरू कर दिया है। भारत में जहां रोजगार सबसे बड़ी जरूरत है और यह राजनीतिक मुद्दा भी बनता है, वहीं रोजगार के घटने के संकेत बेहद चिंताजनक और डराने वाले हैं। 
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ने से कई अहम बदलाव होंगे। कारखानों में मशीनों को चलाने के लिए इंसानों की जरूरत न्यूनतम हो जाएगी। मशीनें अपनी जरूरत के हिसाब से खुद ही काम करने लगेंगी। जिन कामों में ज्यादा श्रम की जरूरत है, उसके लिए रोबोट का इस्तेमाल होने लगा है। रोबोट इंसान से ज्यादा काम करेगा और उसकी लागत कम आएगी। इसी प्रकार, आईटी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से सॉफ्टवेयर सारे दिशा-निर्देश खुद ही देने लगेंगे, जबकि अभी तक उसके संचालन के लिए इंसान की जरूरत होती थी। साइबर हमलों का जवाब भी सॉफ्टवेयर खुद दे देंगे, जबकि अभी साइबर विशेषज्ञ तैनात किए जाते हैं। मशीनों से किए जाने वाले काम की लागत कम होती है, काम जल्दी पूरा होता है तथा उसमें गलतियों की गुंजाइश कम होती है, इसलिए इसे अपनाना उद्योग जगत के लिए फायदेमंद होगा। आने वाले दिनों का नजारा यह होगा कि यदि कोई कंपनी इंसान संचालित मशीनों से कार बना रही है, तो उसकी कारें उस स्टैंडर्ड की नहीं मानी जाएंगी, जो रोबोट के द्वारा तैयार की जा रही हैं। यानी उद्योग जगत के लिए इसे अपनाना एक बाध्यता भी होगी। ऐसे में इंसान क्या करेगा?
यहां बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स बेसेन की टिप्पणी राहत देती है। वह कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से भले मौजूदा रोजगार कम हो जाएं, लेकिन नए रोजगार भी सृजित होंगे। ये रोजगार किस प्रकार के होंगे, यह बता पाना अभी मुश्किल है, मगर निश्चित रूप से रोजगार का परिदृश्य बदलेगा। कई ऐसे रोजगार आ सकते हैं, जिसके बारे में हम आज सोच भी नहीं सकते। वैसे ही, जैसे कंप्यूटराइजेशन के बाद आईटी क्षेत्र का सृजन हुआ। टेस्ला कंपनी के सीईओ एलोन मुश्क की सोच भी राहत देती है। वह कहते हैं, मनुष्य की क्षमताओं को मशीन के आगे कम करके आंका जा रहा है। चीजों को अंगीकार करने की जो क्षमता मनुष्य में है, वह मशीन में नहीं आ सकती। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। 
शोध बताते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमता के इस्तेमाल से सबसे ज्यादा असर कम कौशल वाले रोजगारों पर पड़ने की संभावना है। ब्लू कॉलर और ह्वाइट कॉलर रोजगार घट सकते हैं। आकलन बताते हैं कि उच्च कौशल वाले रोजगारों की मांग बनी रहेगी। आईटी और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में प्रोग्रामिंग और रोबोटिक्स में रोजगार तेजी से बढ़ेंगे। पर सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि पेशेवरों की जो फौज अभी संस्थानों से निकल रही है, उसे अपने कौशल को नए सिरे से साधना होगा, वरना वे पेशेवर रोजगार के बाजार में टिक नहीं पाएंगे।

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