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क्या वाकई बढ़ गई है भारत के शृंखला जीतने की आस

डेढ़ महीने पहले टीम इंडिया को लेकर जमकर गरमाई चर्चा ने वक्त से पहले ही दम तोड़ दिया था। चर्चा इस बात को लेकर थी कि क्या टीम इंडिया के पास इस बार इंग्लैंड को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में हराने का...

क्या वाकई बढ़ गई है भारत के शृंखला जीतने की आस
शिवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार Thu, 23 Aug 2018 11:29 PM
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डेढ़ महीने पहले टीम इंडिया को लेकर जमकर गरमाई चर्चा ने वक्त से पहले ही दम तोड़ दिया था। चर्चा इस बात को लेकर थी कि क्या टीम इंडिया के पास इस बार इंग्लैंड को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में हराने का शानदार मौका है? कई बड़े दिग्गजों ने इस सवाल के जवाब में ‘हां’ कहा था। इस ‘हां’ के पीछे उनके पास अपने तर्क भी थे। मुसीबत तब हुई, जब सीरीज के पहले मैच में भारतीय टीम की बल्लेबाजी औंधे मुंह गिरी और उसे 31 रनों से हार का सामना करना पड़ा। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब लॉर्ड्स में अगले टेस्ट मैच में टीम इंडिया को पारी और 159 रनों से हार का सामना करना पड़ा। पहले टेस्ट में तो बल्लेबाजों ने ही निराश किया था, दूसरे टेस्ट में बल्लेबाजों के साथ-साथ गेंदबाजों ने भी हथियार डाल दिए। 
लगातार दो टेस्ट मैच की इन हार के तुरंत बाद टीम इंडिया के इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने की चर्चा ने दम तोड़ दिया था। जिन्होंने इस चर्चा के पक्ष में दावा किया था, वे भी शांत हो गए थे। अलबत्ता नई चर्चा इस बात को लेकर शुरू हो गई कि कहीं भारतीय टीम को इस सीरीज में ‘व्हाइट वॉश’ न झेलना पडे़? कहीं ऐसा न हो कि इस सीरीज के बाद बतौर कप्तान विराट कोहली और बतौर कोच रवि शास्त्री को बोर्ड के सामने नजरें नीची करनी पड़ें? नॉटिंघम टेस्ट मैच के नतीजे ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। 

नॉटिंघम में भारत ने इंग्लैंड को 203 रनों से हराया। मैच के आखिरी दिन तीसरे ओवर में ही इंग्लैंड की टीम के आखिरी बल्लेबाज के तौर पर जेम्स एंडरसन आउट हुए और टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम को पहली जीत मिली। इस जीत की सबसे बड़ी बात रही कि इंग्लैंड के मुकाबले भारतीय टीम ने बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग, तीनों में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। इसकी सीधी वजह थी कि नॉटिंघम में भारतीय टीम इंग्लैंड के मुकाबले बेहतर संतुलित थी। भारतीय बल्लेबाजों ने अपनी जिम्मेदारी को समझा। उन्होंने पहले दोनों टेस्ट मैच के मुकाबले अपनी तकनीक और रणनीति को बदला। गेंद तक बल्ले को ले जाने की बजाय गेंद को बल्ले तक आने दिया। यानी गेंद को ‘लेट’ खेला। साथ ही भारतीय बल्लेबाज पिछले दो टेस्ट मैच की नाकामी को भुलाकर मैदान में उतरे। दोनों ही पारियों में पहले विकेट के लिए अद्धर्शतकीय साझेदारी हुई, जिसके चलते इंग्लैंड के गेंदबाजों को पसीना बहाना पड़ा और गेंद की चमक भी थोड़ी फीकी पड़ी। भारतीय कोच रवि शास्त्री ने मैच से पहले खिलाडि़यों को जो जिम्मेदारी समझने की नसीहत दी थी, उसे बल्लेबाजों ने अच्छी तरह समझा भी। गेंदबाजी में जो बड़ा सकारात्मक परिवर्तन हुआ, वह था टीम में जसप्रीत बुमराह का वापस आना।
बुमराह टीम की गेंदबाजी में आक्रामकता और पैनापन लेकर आए। पहले दो टेस्ट मैच में अनफिट रहे बुमराह ने नॉटिंघम में सात विकेट लिए। इसमें दूसरी पारी के पांच विकेट शामिल हैं। दोनों ही पारियों में उन्होंने साथी गेंदबाजों के मुकाबले ज्यादा गेंदबाजी की। बुमराह की गेंदबाजी का खास पक्ष है उनका दिमाग। वह इनस्विंग फेंकते-फेंकते अचानक एक छोटी गेंद फेंकते हैं, जिससे बचना बल्लेबाजों के लिए चुनौती होती है। बुमराह की टीम में वापसी के साथ-साथ हार्दिक पांड्या की फॉर्म में वापसी हुई है। हार्दिक पांड्या ने पहली पारी में पांच विकेट लिए। इसके अलावा उन्होंने दूसरी पारी में तेज रफ्तार से अर्द्धशतक भी लगाया। कप्तान विराट कोहली की फॉर्म तो खैर कमाल की है। पहले टेस्ट मैच में शतक। तीसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में 97 रन बनाए और दूसरी पारी में शतक जड़ा। उन्होंने इंग्लैंड में इस दौरे पर अपना वह रूप दिखा दिया है, जो उनकी पिछली नाकामियों को भूलने के लिए काफी है।

 यह तो हुई टीम इंडिया की बात, इंग्लैंड के खेमे को लेकर बस इतना जानना जरूरी है कि उनके तेज गेंदबाज थके हुए दिख रहे हैं और उनकी सलामी जोड़ी रंग में नहीं है। कप्तान जो रूट का बल्ला भी रूठा हुआ है। जाहिर है, वह चर्चा एक बार फिर जोर पकड़ रही है कि क्या इस बार इंग्लैंड से टीम इंडिया टेस्ट सीरीज पर कब्जा करके लौटेगी?
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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