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एक करिश्माई राजकुमारी की जिंदगी का जादू

साल 1997 में पेरिस की एक कार दुघटना में राजकुमारी डायना की मृत्यु हो गई थी। डायना की मृत्यु के बाद अब तक दुनिया में बहुत कुछ हो चुका है। मगर डायना की मृत्यु में मीडिया की रुचि बनी रही है। पर यदि...

एक करिश्माई राजकुमारी की जिंदगी का जादू
वरिष्ठ हिंदी लेखक,महेंद्र राजा जैनTue, 11 Jul 2017 11:14 PM
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साल 1997 में पेरिस की एक कार दुघटना में राजकुमारी डायना की मृत्यु हो गई थी। डायना की मृत्यु के बाद अब तक दुनिया में बहुत कुछ हो चुका है। मगर डायना की मृत्यु में मीडिया की रुचि बनी रही है। पर यदि राजकुमारी डायना की मृत्यु नहीं हुई होती तो? इस रिक्ति की पूर्ति मोनिका अली ने अपने उपन्यास अनटोल्ड स्टोरी  से कर दी है। 

लगभग 15 साल पहले मोनिका अली अपने पहले उपन्यास ब्रिक लेन  से बांग्लादेशी लोगों की कोपभाजन हुई थीं। अब उनके इस उपन्यास में एक ऐसी काल्पनिक राजकुमारी की जिंदगी के उतार-चढ़ाव का विवरण है, जिसका जीवन बहुत-कुछ राजकुमारी डायना से मिलता-जुलता है। लेखिका ने माना है कि इस उपन्यास पर बहुत-कुछ डायना के जीवन का प्रभाव है। अनटोल्ड स्टोरी  इस बात पर आधारित है कि यदि डायना की मृत्यु नहीं हुई होती, तो अब तक उनके जीवन में क्या-क्या हुआ होता? उपन्यास में भले ही डायना का नाम नहीं है, पर लेखिका ने उपन्यास प्रकाशित होने के पहले ही बता दिया था कि उपन्यास का कथानक एक राजकुमारी के विषय में है, और उन पर राजकुमारी डायना का काफी प्रभाव रहा हैै। ‘द गार्जियन’ को दिए एक इंटरव्यू में मोनिका ने कहा था कि पिछले कई वर्षों से वह ये बराबर सोचती रही हैं कि यदि वह कार दुर्घटना नहीं हुई होती, तो अपने जीवन के क्रॉस रोड पर डायना किस प्रकार चली होतीं, अपनी प्रौढ़ावस्था में वह कहां होतीं, और क्या कर रही होतीं?

यह बड़ा ही रोचक प्रश्न है, क्योंकि डायना के बड़े बेटे का विवाह हो चुका है और अब तक वह लगभग 65 वर्ष की हो चुकी होतीं। अत: इस बात की कल्पना मुश्किल है कि इतनी सारी ‘परेशानियों’ (मोनिका के शब्द) से एक प्रौढ़ा सास ने किस प्रकार निपटा होता? क्या पिछले 20 वर्षों में वह अपने जीवन में ‘सेटल’ हो गई होतीं? क्या अब तक उन्होंने किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह कर लिया होता, जिससे उन्हें जीवन में स्थायित्व मिलता? क्या वह एक के बाद एक अप्रिय संबंधों (जैसे मृत्यु के समय डोडी फायेद से संबंध) को लेकर चर्चित हो रही होतीं? इन सभी बातों के संबंध में लेखिका के शब्दों से केवल यह पता चलता है कि इस उपन्यास में ‘पैपराजे’ (प्रसिद्ध व्यक्तियों के जीवन में ताक-झांक करने वाले फोटोग्राफर) के एक सदस्य के कार्य-कलापों के बारे में भी बहुत-कुछ है। 

बहरहाल, ऐसा सोचते हुए मुझे दुख हो रहा है कि प्रिंस चार्ल्स से तलाक के बाद के वर्षों में भी मीडिया को राजकुमारी डायना में यदि रुचि रही, तो केवल इसीलिए कि उनका संबंध कुछ ऐसे लोगों से रहा, जो उनके लिए अयोग्य थे। पर क्या केवल इस कारण से उसका ‘जनता की राजकुमारी’ (पीपुल्स प्रिंसेज) का पद हट जाना चाहिए था? यदि डायना ने साइमन कोवेल या रसेल ब्रांड से विवाह कर लिया होता, तो क्या तब उनका ‘नेशनल स्टेटस’ समाप्त हो जाता? लेकिन डायना और जैकलीन केनेडी में एक बहुत बड़ा अंतर है। डायना एक प्रकार से विद्रोही ही हो गयी थीं, जिन्होंने अपने कायार्ें से राजतंत्र की संस्था की छीछालेदर कराई। इसके विपरीत जैकी केनेडी ने कभी कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे केनेडी की छवि पर किसी भी प्रकार की आंच आती। भले ही उनके पति के अनेक ्त्रिरयों से संबंध रहे या उनके ससुर के रिश्ते शिकागो के माफिया से थे, जैकलीन केनेडी ने बराबर यही कोशिश की कि लोगों को इन सब बातों के विषय में पता न चले। इसके विपरीत डायना प्रिंस चार्ल्स के खिलाफ खुलेआम बोलती ही नहीं रहीं, केमिला पार्कर बाउल्स के साथ उनके संबंध का खुलकर प्रचार करती रहीं। 

राजकुमारी डायना यदि आज जीवित होतीं, तो यह सब देखते हुए उनकी क्या स्थिति होती? क्या वह राज-परिवार के लिए कांटा बनी रहतीं या उनके संबंधों में सुधार हो गया होता? मेरा ख्याल है कि उन्होंने राज-परिवार से अपने बिगड़े संबंध सुधारने के लिए प्रयत्न अवश्य किया होता, क्योंकि वह अपने दोनों बेटों से बहुत प्यार करती थीं और वह निश्चय ही कोई ऐसा कार्य नहीं करतीं, जिससे प्रिंस विलियम के राज्यारोहण के मार्ग में किसी प्रकार की बाधा आती। यह दुखद है कि अपने बेटे के सुखी जीवन को देखने के लिए डायना आज नहीं हैं, पर इसका अर्थ यह नहीं लिया जाना चाहिए कि वह अब भी परेशानियों का कारण नहीं बनतीं। 
(ये लेखक के अपने विचार हैं) 

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