विशेषज्ञों को सीधे अधिकारी बना देना कितना लाभकारी
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा संयुक्त सचिव और उप सचिव/निदेशक के 45 पदों के लिए विशेषज्ञों की सीधी भर्ती के विज्ञापन निकालने के बाद ऐसा विवाद खड़ा हो गया कि विज्ञापन को रद्द करना पड़ा और सामाजिक...
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा संयुक्त सचिव और उप सचिव/निदेशक के 45 पदों के लिए विशेषज्ञों की सीधी भर्ती के विज्ञापन निकालने के बाद ऐसा विवाद खड़ा हो गया कि विज्ञापन को रद्द करना पड़ा और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता दोहरानी पड़ी। वैसे, भारत सरकार में प्रत्यक्ष भर्ती के सभी मामलों में आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
आज सवाल यह है कि लेटरल एंट्री का औचित्य क्या है? वर्तमान शासन प्रणाली में क्या समस्या है, जिसे लेटरल एंट्री हल करने की कोशिश कर रही है? इस विचार के पक्षधर यह तर्क देते हैं कि लेटरल एंट्री व्यवस्था के बाहर से नए खून और ताजे विचारों का संचार करेगी, जिससे यह अधिक उपयोगी और जीवंत हो जाएगी। इसके समर्थकों का मानना है कि यह सभी समस्याओं का रामबाण इलाज है, जिसके अभाव में कमतर प्रदर्शन हो रहा है। हालांकि, इसके लिए सिविल सेवक जिम्मेदार नहीं हैं। समस्या यह नहीं है कि उनमें डोमेन ज्ञान की कमी है, बल्कि समस्या नौकरशाही संरचना और सरकारी कार्यप्रणाली में निहित है। सर्वश्रेष्ठ सिविल सेवक, जिन्हें अपने करियर की शुरुआत में उत्साही और गतिशील माना जाता है, वर्षों के साथ- सीएजी, सीवीसी, सीबीआई, कोर्ट (चार सी) के भय के कारण नरम पड़ जाते हैं। अक्सर अधिकारी निर्णय लेने से पहले सुरक्षा-प्रथम दृष्टिकोण अपनाते हैं। समझ में नहीं आता कि यहां एक डोमेन या एक क्षेत्र विशेषज्ञ सिविल सेवक से बेहतर तरीके से कैसे काम कर सकता है?
यह आकलन करना दिलचस्प होगा कि एक संयुक्त सचिव या उप-सचिव कैसे कार्य करते हैं। उनका ज्यादा समय संसदीय मामलों में लगता है। मंत्रियों के लिए जवाब तैयार करने का काम उनके पास प्रमुखता से होता है।
वास्तव में बेहतर सेवा के लिए डोमेन विशेषज्ञता से अधिक नेतृत्व के गुणों की जरूरत होती है। वरिष्ठ स्तर पर एक सिविल सेवक को ही नेतृत्व प्रदान किया जाना चाहिए। अपने प्रशिक्षण के चलते सिविल सेवक उस स्तर तक पहुंचता है, जहां उसके पास ये गुण होने चाहिए। यदि नहीं, तो उसे इन गुणों को विकसित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। इस संबंध में डोमेन विशेषज्ञ का कोई औचित्य नहीं बनता।
किसी भी स्थिति में उप-सचिव स्तर पर लेटरल एंट्री की कोई उपयोगिता प्रतीत नहीं होती, क्योंकि यह विशेषज्ञ के लिए कोई योगदान करने के लिए बहुत जूनियर पद है। वह बिना किसी प्रभाव के केवल फाइलें आगे बढ़ाएगा। उप-सचिव स्तर पर अधिकारियों की कमी की समस्या है, तो इसके कारणों का पता लगाकर उनका समाधान किया जाना चाहिए। जल्दबाजी में लेटरल एंट्री निश्चित रूप से इसका उत्तर नहीं है।
लोक प्रशासन के विशेषज्ञ पॉल एप्पलबी के शब्दों में, आईएएस अधिकारी के अनुभव की विविधता अच्छी नीतियों के निर्माण के लिए सबसे अनुकूल है। इसके अलावा आप विशेषज्ञता के लिए किस हद तक जाएंगे? एक नेफ्रोलॉजिस्ट या बाल रोग विशेषज्ञ सामान्यत: अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र में इतने डूबे होते हैं कि उन्हें स्वास्थ्य नीति पर समग्र दृष्टिकोण अपनाने में कठिनाई होती है, यह काम एक आईएएस अधिकारी कर सकता है। आईएएस अधिकारी के 8-10 वर्षों के अनुभव का कोई विकल्प नहीं है। महज तीस मिनट के साक्षात्कार से आप बेहतर अधिकारी का चयन नहीं कर सकते।
मैं सरकार में विशेषज्ञों के होने के खिलाफ नहीं हूं। विंस्टन चर्चिल के शब्दों में, विशेषज्ञ छोर पर होना चाहिए, शीर्ष पर नहीं । मंत्रालय के सलाहकार के रूप में विशेषज्ञों को रखने की परंपरा है । सलाहकार भी एक भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन उनका सहारा सीमित होना चाहिए। निश्चित रूप से उत्कृष्ट लोगों को उनके विशेषज्ञता के क्षेत्र में सरकार के लिए काम करने के लिए लाया जा सकता है, जैसे नंदन नीलेकणि को आधार कार्ड परियोजना की अध्यक्षता दी गई थी।
सरकार में लेटरल एंट्री ऐसा विचार है, जिस पर गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता है। हमें इस अवधारणा से जुड़े मिथकों से हटकर अच्छे शासन की वास्तविकताओं की ओर बढ़ना चाहिए। वर्तमान सुशासन के संबंध में समस्याएं हैं, पर इसके लिए सही निदान होना चाहिए।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)