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अभी और बदलेगा बेचने, खरीदने का तरीका

पिछले हफ्ते के न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख ने घोषणा की है कि दुनिया की सबसे बड़ी रिटेलर कंपनी को ई-कॉमर्स दिग्गज ने पीछे छोड़ दिया है। कहीं ऐसा न हो कि कोई इसी आधार पर सबसे बड़ी ऑफलाइन रिटेलर कंपनी वालमार्ट...

अभी और बदलेगा बेचने, खरीदने का तरीका
बीजू डोमिनिक, सीईओ, फाइनल माइल कंसल्टिंगThu, 26 Aug 2021 10:33 PM
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पिछले हफ्ते के न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख ने घोषणा की है कि दुनिया की सबसे बड़ी रिटेलर कंपनी को ई-कॉमर्स दिग्गज ने पीछे छोड़ दिया है। कहीं ऐसा न हो कि कोई इसी आधार पर सबसे बड़ी ऑफलाइन रिटेलर कंपनी वालमार्ट के अंत की कहानी लिखने लगे। अत: पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट पर ध्यान देना चाहिए। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेजॅन बड़े खुदरा स्टोर को डिपार्टमेंटल स्टोर की तरह खोलने की योजना बना रहा है। नियमित खुदरा क्षेत्र में अमेजॅन के नियोजित प्रवेश का बारीक विवरण अभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन एक बात सुनिश्चित है, खरीदारी का भविष्य इस बात से तय होगा कि अमेजॅन अपनी ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा बिक्री रणनीतियों को कैसे जोड़ता है। 

ऑफलाइन खुदरा कारोबार में एक डिजिटल या ऑनलाइन लीडर का प्रवेश कई दिलचस्प बदलावों को जन्म देगा। यह संभावना नहीं है कि अमेजॅन एक ही उत्पाद को दोनों जगह बेचे। ऑनलाइन स्रोतों से किस श्रेणी के उत्पादों की बिक्री होगी और ऑफलाइन स्टोर से क्या उत्पाद बेचे जाएंगे, इसके लिए कंपनी एक रणनीति बना सकती है। ऐसे कई उत्पाद हैं, जो बिना ज्यादा सोचे-समझे नियमित रूप से खरीदे जाते हैं। उनके लिए खरीदारी करने में कोई ज्यादा खुशी नहीं है। आश्चर्य की बात नहीं होगी, अगर ऐसी अधिकांश खरीदारी पूरी तरह से डिजिटल स्पेस में चली जाए। उत्पादों की ऐसी श्रेणियां भी हैं, जहां खरीदार उनको खरीदने का निर्णय लेने से पहले उन्हें निजी रूप से आजमाना चाहेंगे। खासकर परिधान श्रेणी पर यह बात ज्यादा लागू होती है। कपड़ों के आकार और उनके फिट आने को लेकर ऑनलाइन खरीदारी में हमेशा चिंता रहती है। ऐसे उत्पादों को ऑफलाइन या भौतिक खुदरा दुकानों से ही सही ढंग से खरीदा जा सकता है। 
आज बिग डाटा एनालिटिक्स व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले से ही तमाम ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदारी की रीढ़ है। भविष्य में, ऑनलाइन खरीदारी में प्रौद्योगिकी की भूमिका और महत्वपूर्ण होती जाएगी। भविष्य विज्ञानी जॉन नाइसबिट ने काफी समय पहले भविष्यवाणी की थी कि जब भी समाज का किसी उच्च तकनीक से सामना होता है, तो एक प्रति-संतुलन मानवीय प्रतिक्रिया होनी चाहिए, जो कि उच्च स्पर्श या ‘हाई टच’ है। इसलिए जैसे-जैसे डिजिटल खरीदारी अधिक उच्च तकनीक वाली होती जाती है, भौतिक या ऑफलाइन खरीदारी इसका ‘उच्च स्पर्श’ चेहरा बन सकती है। हाईटेक डिजिटल अनुभव और हाईटच ऑफलाइन ब्रिकी का संयोजन खुदरा विक्रेताओं को समग्र रूप से अधिक कारगर बनाने में मदद कर सकता है। 
एक और अहम कारक, लंबे लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोगों को ऑनलाइन खरीदारी की आदत पड़ गई है। बड़ा सवाल है, क्या डिजिटल खरीदारी का व्यवहार कोविड का भय खत्म होने के बाद भी जारी रहेगा? पिछली आपदाओं ने दिखाया है कि जो मानसिक स्थिति संकट के समय हावी रहती है, वह आगे जारी नहीं रहती। द्वितीय विश्व युद्ध में प्रमुख भावना प्रतिशोध की थी। प्रभावित लोग दुश्मन के कारण हुए जीवन व भौतिक नुकसान का बदला लेना चाहते थे, लेकिन युद्ध के तुरंत बाद, जो बड़ी भावना प्रबल हुई, वह सुलह-सफाई की थी। विजेताओं ने उन राष्ट्रों के पुनर्निर्माण की पहल की, जिन्हें उन्होंने स्वयं युद्ध के समय तबाह किया था।  इसी तरह, औद्योगिक क्रांति के दौरान पैदा हुई भीड़भाड़ वाली यहूदी बस्ती ने निजी पहचान खो दी थी, पर जल्द ही इसके दुष्प्रभावों से मुकाबले के इंतजाम किए गए। महामारी के बाद का हमारा परिदृश्य अपवाद नहीं हो सकता। अभी अधिकांश लोग कोविड के हालात से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही महामारी खत्म होगी, लोग घरों से निकलेंगे। शॉपिंग मॉल निश्चित रूप से उनके लिए राहत की जगह होंगे। यह देखने लायक होगा कि ऑफलाइन स्टोर खरीदारी को मजेदार बनाने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं। अमेजॅन पहले से ही इस दिशा में बढ़ चला है। कुछ अमेरिकी शहरों में खोले गए ट्रायल स्टोर में चेक-आउट काउंटरों को खत्म करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो खरीदारी में सबसे बड़ी व सबसे स्पष्ट तकलीफों में एक है। कुल मिलाकर, खुदरा दुकानें फिर कभी पहले जैसी नहीं हो सकतीं। आने वाला समय वाकई दिलचस्प है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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