विश्व कप में एक निर्णायक मोड़ पर टीम इंडिया
विराट कोहली को भारत के सफलतम कप्तानों में शुमार किया जाता है, पर वह अब तक आईसीसी ट्रॉफी अपनी कप्तानी में जीतने में सफल नहीं हो सके हैं। विराट ने इस टी-20 विश्व कप के बाद क्रिकेट के इस सबसे छोटे...
विराट कोहली को भारत के सफलतम कप्तानों में शुमार किया जाता है, पर वह अब तक आईसीसी ट्रॉफी अपनी कप्तानी में जीतने में सफल नहीं हो सके हैं। विराट ने इस टी-20 विश्व कप के बाद क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप की कप्तानी छोड़ने की घोषणा कर रखी है, इसलिए अपनी कप्तानी में टी-20 विश्व कप जीतने का यह उनका आखिरी मौका है। बीसीसीआई ने विराट के सपने को साकार करने के लिए पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को टीम का मार्गदर्शक बनाकर चार चांद लगा दिए हैं।
विश्व कप का पहले 2020 में ऑस्ट्रेलिया व 2021 में भारत में आयोजन होना था। पर ऑस्ट्रेलिया में कोरोना के प्रकोप की वजह से आयोजन नहीं हो सका। वहीं, भारत इसका मेजबान तो है, पर वह भी कोरोना के कारण घर में आयोजन नहीं कर सका है और इसे ओमान व संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित कर रहा है। टीम इंडिया को इस विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत 24 अक्तूबर को परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से खेलकर करनी है। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के मुकाबले को लेकर पहले जैसा उन्माद तो नहीं है, लेकिन मुकाबला रोमांचक होने की पूरी संभावना है। वैसे भी दोनों टीमें खासी मजबूत हैं और रैंकिंग में भी दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। दोनों के मुकाबले को क्रिकेट जगत बेहद पसंद करता है। यही वजह है कि इस प्रतिद्वंद्विता को भुनाने में आईसीसी भी कभी पीछे नहीं रहता है। हम सभी जानते हैं कि आईसीसी अपनी चैंपियनशिप के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा कमाई करने का प्रयास करता है। इसे ध्यान में रखकर ही वह भारत और पाकिस्तान को एक ग्रुप में रखकर मुकाबले का भरपूर फायदा उठाने का प्रयास करता है। इस मुकाबले की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि 2019 के आईसीसी विश्व कप का भारत और पाकिस्तान का मुकाबला मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ड पर खेला गया था। क्रिकेटप्रेमियों में इस मैच को लेकर दीवानगी का आलम था कि 26,000 दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम में आठ लाख लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया था। यही नहीं, टेलीविजन पर इस मैच को 50 करोड़ लोगों द्वारा देखने का रिकॉर्ड भी बना था।
वैसे, भारत ने पाकिस्तान के साथ आईसीसी विश्व कप और टी-20 विश्व कप में खेले 12 मुकाबलों में से एक भी नहीं हारा है। इसका भारत को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलना स्वाभाविक है। वैसे भी, टीम इंडिया ने अभ्यास मैचों में जिस तरह से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत हासिल की है, वह उसकी तैयारियों को दर्शाने के लिए काफी है।
भारत ने भले ही 2007 में हुए पहले टी-20 विश्व कप को धौनी के नेतृत्व में जीत लिया था, लेकिन विश्व कप में कुल मिलाकर भारतीय रिकॉर्ड शानदार नहीं रहा है। इसके बाद आयोजित पांच टी-20 विश्व कप में से सिर्फ एक 2014 में ही वह फाइनल तक चुनौती पेश कर सका। पिछले 2016 में हुए विश्व कप की चैंपियन वेस्टइंडीज है। लेकिन पिछले पांच वर्षों में टीमों की स्थिति बहुत कुछ बदल गई है। इस दौरान टीम इंडिया ने खेले गए 72 टी-20 मैचों में से 45 जीतकर अपना विजयी प्रतिशत 62.5 रखा है। इस दौरान इंग्लैंड और न्यूजीलैंड भी क्षमतावान टीमों में शुमार रहे।
भारतीय कप्तान विराट कोहली और मार्गदर्शक महेंद्र सिंह धौनी की जोड़ी को हम सभी अच्छे से जानते हैं। धौनी संन्यास लेने से पहले विराट की कप्तानी में खेलते समय फैसले लेने में कप्तान के मददगार हुआ करते थे। धौनी ठंडे दिमाग वाले हैं और रणनीतियां बनाने में महारत रखते हैं। इसके अलावा, वह अपने समय के अच्छे मैच फिनिशर भी रहे हैं। वह यदि हार्दिक पांड्या और ऋषभ पंत को इस भूमिका को अच्छे से निभाने के लिए तैयार कर सकें, तो विराट कोहली का टी-20 की कप्तानी छोड़ने से पहले आईसीसी ट्रॉफी जीतने का सपना तो साकार हो ही सकता है। साथ ही, टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री भी इस सफलता के साथ अपना कार्यकाल पूरा कर सकेंगे। शास्त्री ने अपने कार्यकाल में टीम इंडिया को तीनों प्रारूपों में ढेरों सफलताएं दिलाकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। बस कमी रही है, तो आईसीसी ट्रॉफी की। यह कमी टीम इंडिया यदि दूर कर सकी, तो शास्त्री के कार्यकाल में चार चांद लग जाएंगे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)