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देश के उज्ज्वल भविष्य का वाहक बन सकेगी रेल 

भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में परिवहन के सार्वजनिक साधनों की कितनी अहमियत है, इससे सब वाकिफ हैं। उनमें भी भारतीय रेलवे का स्थान सबसे ऊपर है, क्योंकि लंबी यात्रा के लिए आज भी यही आम लोगों की...

देश के उज्ज्वल भविष्य का वाहक बन सकेगी रेल 
Pankaj Tomarविजय दत्त, सेवानिवृत्त अतिरिक्त सदस्य, रेलवे बोर्डWed, 01 Feb 2023 10:49 PM
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भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में परिवहन के सार्वजनिक साधनों की कितनी अहमियत है, इससे सब वाकिफ हैं। उनमें भी भारतीय रेलवे का स्थान सबसे ऊपर है, क्योंकि लंबी यात्रा के लिए आज भी यही आम लोगों की सवारी है। इसलिए बजट में इस क्षेत्र को आवंटित होने वाली धनराशि को लेकर आम लोगों में भी उत्सुकता होती है। देश भर के सभी आयवर्ग के लोग जानना चाहते हैं कि आने वाले दिनों में रेल से उनके आवागमन की कितनी सुविधाएं बढ़ने वाली हैं। इस कसौटी पर प्रस्तावित बजट काफी अच्छा है। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी वित्त वर्ष के लिए रेलवे को 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो अब तक का सर्वाधिक है। बहरहाल, रेलवे की दशा-दिशा के आकलन के लिए हमें यह देखना होगा कि कितनी राजस्व प्राप्ति रही, कितना खर्च हुआ और परिचालन अनुपात क्या रहा? मौजूदा वित्त वर्ष में कुल राजस्व प्राप्ति 2,42,692 करोड़ रुपये की रही, जबकि खर्च 2,34,640 करोड़ हुआ है। यानी परिचालन अनुपात 96.98 प्रतिशत रहा। चूंकि इसके पूर्ववर्ती वर्ष कोविड के कारण बहुत चुनौतीपूर्ण व समस्याओं से भरे हुए थे, ऐसे में इस वर्ष का परिचालन अनुपात बताता है कि अर्थव्यवस्था उस आर्थिक दौर से उबर चुकी है। इस साल यात्री किराये से 64 हजार करोड़ और माल ढुलाई से एक लाख, 65 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई है। जाहिर है, रेलवे की कमाई आगे और बढ़ेगी, क्योंकि आवंटन सबसे अधिक है।
रेलवे के लिए बजटीय आवंटन में आगामी वर्षों में और इजाफा होगा, क्योंकि ‘ग्रीन इकोनॉमी’ की बात हो रही है और साल 2070 तक देश को पूरी तरह कार्बन मुक्त किया जाना है। रेलवे के लिए तो 2030 का ही लक्ष्य रखा गया है और इसे ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाने की दिशा में सरकार सक्रिय है। इस लिहाज से साल 2023 रेलवे के लिए बहुत अहम है। इस साल इसका विद्युतीकरण का काम पूर्ण हो जाएगा। साल 2018 में इसका फैसला किया गया था और रिकॉर्ड पांच वर्षों में यह काम पूरा हो रहा है। गौर कीजिए, फ्रांस, जर्मनी जैसे तकनीकी व आर्थिक रूप से विकसित देशों में भी रेलवे का पूर्ण विद्युतीकरण नहीं हुआ है। दुनिया में हम पहला ऐसा देश हैं, जो यह काम पूरा करने जा रहे हैं।
देश में हरित ऊर्जा के लिए जो भी ढांचागत विकास होगा, उसका लाभ रेलवे को मिलेगा। कार्बन न्यूट्रल बनने के लिए ऊर्जा दक्षता की बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिए सक्षम तकनीक की ओर रेलवे ने कदम बढ़ाया है। जैसे, पिछले साल पहली बार एल्यूमीनियम मिश्रधातु की मालगाड़ी शुरू हुई, पुणे मेट्रो में भी इसके कोच पहली बार लगाए गए। ये बहुत बडे़ कदम हैं।  वित्त मंत्री ने तीन साल के भीतर सेमी हाईस्पीड वाली 400 वंदे भारत ट्रेनें शुरू करने का एलान पिछले बजट में ही किया था। जाहिर है, प्रस्तावित बजट में जो रकम आवंटित की गई है, उससे वंदे भारत और मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं को राशि मिलेगी। इसी तरह, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ी परियोजनाओं को भी इस बढ़ोतरी का पर्याप्त लाभ मिलेगा।
इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत के उज्ज्वल भविष्य का वाहक बनने के लिए रेलवे को अपनी क्षमता का विस्तार करना होगा। 1950 के दशक में लगभग 80 फीसदी लोग सफर के लिए रेलवे का इस्तेमाल करते थे, अब यह भागीदारी 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है। रेलवे ने इसे 2030 तक 43 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। गौर कीजिए, रेलवे का किराया, सड़क किराये से अब भी काफी कम है, पर प्रतीक्षा सूची खत्म करने के लिए जरूरी है कि गाड़ियां बढ़ें, कोचों का उत्पादन अधिक हो, पटरियों का विस्तार हो, जहां ट्रैफिक है, वहां और लाइनें बिछानी होंगी। इस बार का बजट रेलवे को उसके लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक दिख रहा है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)