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Hindi News ओपिनियन नजरियाजहां फीकी लगती है क्रिकेट विश्व कप में पैसों की बरसात

जहां फीकी लगती है क्रिकेट विश्व कप में पैसों की बरसात

पहले आईपीएल और फिर आम चुनाव का माहौल खत्म होने के बाद देश के क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अब इंग्लैंड व वेल्स में 30 मई से शुरू होने वाले क्रिकेट विश्व कप पर टिक गई हैं। इस विश्व कप में चैंपियन बनने...

जहां फीकी लगती है क्रिकेट विश्व कप में पैसों की बरसात
मनोज चतुर्वेदी, वरिष्ठ खेल पत्रकारMon, 27 May 2019 11:18 PM
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पहले आईपीएल और फिर आम चुनाव का माहौल खत्म होने के बाद देश के क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अब इंग्लैंड व वेल्स में 30 मई से शुरू होने वाले क्रिकेट विश्व कप पर टिक गई हैं। इस विश्व कप में चैंपियन बनने वाली टीम को करीब 28 करोड़ रुपये मिलेंगे। अभी पिछले दिनों खत्म हुई आईपीएल में मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनने पर 20 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली थी। पर जब हम दुनिया के अन्य खेलों की चैंपियनशिप की इनामी राशि से इसका मिलान करते हैं, तो लगता है कि हम जिस विश्व कप के दीवाने हैं, वह इनामी राशि के मामले में कई चैंपियनशिप से पिछड़ा हुआ है। इस क्रिकेट विश्व कप में कुल इनामी राशि एक करोड़ डॉलर है, जबकि यूईएफए चैंपियंस लीग में कुल इनामी राशि 7.7 करोड़ डॉलर है, यानी क्रिकेट विश्व कप से सात गुना से भी ज्यादा।

इसी तरह, क्रिकेट विश्व कप विजेता को जहां 28 करोड़ रुपये मिलेंगे, वहीं चैंपियंस लीग फुटबॉल के विजेता को एक अरब 67 करोड़ रुपये के करीब पिछले साल मिले थे। चैंपियन टीम की बात छोड़िए, इसमें ग्रुप मैच जीतने वाली टीम को ही 23.82 करोड़ रुपये मिल जाते हैं। इस पेशेवर लीग को छोड़कर फुटबॉल विश्व कप को ही लें, तो इसमें 2018 में चैंपियन बनी फ्रांस को करीब 260 करोड़ रुपये और उपविजेता क्रोएशिया को 192 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली थी। इसमें भाग लेने वाली टीमों में बंटी कुल इनामी राशि 40 करोड़ डॉलर थी। अगर हम विश्व कप के दौरान इंग्लैंड में होने वाली विंबल्डन चैंपियनशिप की बात करें, तो इसमें विजेता को करीब 20 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह एक खिलाड़ी को मिलने वाली राशि है, जबकि क्रिकेट विश्व कप में 14 खिलाड़ियों वाली टीम को 28 करोड़ रुपये मिलेंगे।

हम भारतवासियों के दिमाग में क्रिकेटरों के मालामाल होने की वजह अन्य खेलों में क्रिकेट के मुकाबले बहुत  कम रकम होना है। आईपीएल में कॅरियर की शुरुआत करने वाले क्रिकेटर को कई बार चार-पांच करोड़ रुपये मिल जाते हैं, वहीं जकार्ता एशियाई खेलों में हेप्टाथलान के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना बर्मन को पश्चिम बंगाल सरकार से सिर्फ 10 लाख रुपये मिले। हमारे यहां पदक विजेताओं को इनाम देने की कोई नीति नहीं होने का यह परिणाम है। इन खेलों में ही स्वर्ण पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को हरियाणा सरकार ने तीन-तीन करोड़ रुपये दिए पर ओडिशा की दुती चंद 100 व 200 मीटर दौड़ में रजत पदक पाकर ही तीन करोड़ रुपये पा गई थीं। यह सच है कि आईपीएल की शुरुआत होने के बाद से देश के क्रिकेटरों पर पैसों की बारिश कुछ ज्यादा होने लगी है। आईपीएल की देखा-देखी कबड्डी, कुश्ती, बैडमिंटन में भी लीग की शुरुआत होने लगी और इनके खिलाड़ियों की माली हालत सुधरने लगी। हालांकि कबड्डी में कुश्ती और बैडमिंटन के मुकाबले ज्यादा पैसा करीब डेढ़ करोड़ रुपये तक मिलने लगे हैं। पर भारत में कोई भी खेल क्रिकेट तक नहीं पहुंच सका है।

लेकिन हम जब एनबीए में खेलने वाले अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ियों, गोल्फरों, टेनिस खिलाड़ियों और फॉर्मूला वन के रेसरों की कमाई को देखते हैं, तो क्रिकेटर उनके सामने बौने नजर आते हैं। कभी टॉप गोल्फरों में शुमार रहे टाइगर वुड्स की आठ अरब रुपये सालाना की कमाई थी। हमारे यहां कोई क्रिकेटर इतनी कमाई करने की कल्पना तक नहीं कर सकता। पर हमारे देश में क्रिकेटरों का दर्जा सबसे ऊपर है। देशवासियों के हीरो क्रिकेटर हैं। इसलिए टीम इंडिया यदि इंग्लैंड से विश्व कप के साथ लौटती है और विराट कोहली कपिलदेव व महेंद्र सिंह धौनी की तरह विश्व कप जीतने वाले कप्तानों में अपना नाम शुमार कराते हैं, तो भारतवासियों के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात कोई और नहीं हो सकती है। पर यह काम आसान नहीं है, क्योंकि इस बार विश्व कप का प्रारूप ऐसा है कि सभी टीमों को एक-दूसरे से खेलना है, इसलिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है। विराट सेना ऐसा करती भी है, तो फिर पूरी रंगत में खेल रही इंग्लैंड और पिछली चैंपियन ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीमों को हराने की जरूरत पड़ेगी। देशवासी यही चाहते हैं कि हमारे क्रिकेटर भले ही फुटबाॉलरों जैसे मालामाल न बनें, पर विश्व विजेता जरूर बनें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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