गुमशुदा हंसी और चिंता का सबब
अंशु की लाइफ में जब से एंड्रॉइड मोबाइल ने एंट्री की है, उसके होंठों की शोभा बढ़ाने वाली हंसी गायब है। रूठकर चल गई या भाग गई या अपरहण हो गया, इसका तो पता नहीं, लेकिन उसके होंठ गुमसुम हैं। उनके संगी दंत...
अंशु की लाइफ में जब से एंड्रॉइड मोबाइल ने एंट्री की है, उसके होंठों की शोभा बढ़ाने वाली हंसी गायब है। रूठकर चल गई या भाग गई या अपरहण हो गया, इसका तो पता नहीं, लेकिन उसके होंठ गुमसुम हैं। उनके संगी दंत भी खुलकर खिलखिला नहीं रहे। आंखों को मोबाइल से इश्क हो गया है। वे दिन-रात मोबाइल के ख्वाबों में ही खोई रहती हैं। बेचारा चेहरा आंखों की पहरेदारी में लगा है। डर है कि कहीं आंखें मोबाइल के साथ भाग न जाएं।
जब मोबाइल नहीं था, होंठों पर मुस्कान बिखरी रहती थी। समेटने से भी समेटने में नहीं आती थी। दांत तो इस तरह खिलखिलाते थे कि पेट से आंतें बाहर निकलने को उछल पड़ती थीं। थोड़ा सा भी मुस्करा देती, तो समझते थे कि हंसी तो फंसी। लेकिन हंसी के गायब होने के बाद चेहरा भी देखना हो, तो पहले उसके लिए मोबाइल से मुखातिब होना पड़ता है, क्योंकि वही है, जो चेहरे के सामने हमेशा तना रहता है।
इस बात से अंशु के घरवाले बेखबर हैं। वे भी अपने-अपने मोबाइल में समाए हुए हैं। उनकी भी हंसी गायब है। यहां तक कि पड़ोसियों की भी गायब है। दोस्तों की भी गायब है और हमें तो कोई ऐसा मिला ही नहीं, जिसकी नहीं गायब हो। हंसी इसी तरह से गायब होती रही, तो एक दिन हंसी के साम्राज्य का अवसान हो जाएगा। मगर चिंतित कोई नहीं है। सबके सब मोबाइल में उलझे हुए हैं।
सूत्रों से पता चला है कि अंशु की हंसी को उसी के मोबाइल ने किडनैप किया है। किडनैप क्यों किया? प्रश्न पूछने पर सूत्रों ने बताया कि अंशु दिन-रात मोबाइल में जुटा रहता था, यह मोबाइल को बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उसके बजाय उसकी हंसी को किडनैप कर लिया। फिरौती इसलिए नहीं मांग रहा कि वह भी उसके अंगूठे तले दबा है। लेकिन अंशु को तो पता ही नहीं है कि हंसी गायब हो गई है। अंशु ही क्यों, हममें से किसी को भी तो नहीं पता। खैर, आज नहीं तो कल पता लग ही जाएगा।