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सपने में साईं मिले

तिलिस्म की दुनिया कितनी सुंदर होती है और तिलिस्म तोड़ने वाले कितने निष्ठुर, पहली बार पता चला, तो दिल टूटने जैसा कुछ महसूस हुआ था। डर्बी रेस में पांच करोड़ रुपये जीतने की खबर पढ़कर पांव जमीन पर नहीं पड़...

सपने में साईं मिले
अरुणेन्द्र नाथ वर्मा Mon, 19 Nov 2018 10:37 PM
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तिलिस्म की दुनिया कितनी सुंदर होती है और तिलिस्म तोड़ने वाले कितने निष्ठुर, पहली बार पता चला, तो दिल टूटने जैसा कुछ महसूस हुआ था। डर्बी रेस में पांच करोड़ रुपये जीतने की खबर पढ़कर पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। छप्पर फाड़कर बरस पड़ी यह खबर मोबाइल पर किसी फरिश्ते ने मेरे पास पहुंचाई थी।

पांच करोड़ रुपये, वह भी बरतानवी पाउंड के रूप में, पाने के पहले बैंक चार्जेज और टैक्स की राशि चुकाने के लिए महज पांच लाख रुपये जमा कराने थे। सुनता आया था - बिना मरे स्वर्ग भी नहीं मिलता। फिर पांच करोड़ पाने के लिए पांच लाख का खर्च क्या बुरा था? उतनी रकम अपने पल्ले थी नहीं, मगर अपना फ्लैट गिरवी रखकर लोन तो मिल ही जाता। लेकिन मेरी खुशी उस तिलिस्म तोड़ने वाले से देखी न गई, जिसने चेताया कि नाइजीरिया से आई यह लुभावनी खबर महज जालसाजों की कारस्तानी है। इसके बाद से मैंने अपना मोबाइल खोलना ही बंद कर दिया। 
 

इधर फिर मेरे बीते हुए दिन वापस आ गए हैं। फोन और लैपटॉप पर उर्वशी, जूली या जूही जैसे प्यारे नामों द्वारा भेजी हुई ई-मेल एक से बढ़कर एक खुशखबरी देती हैं। न, अब ऐसा कोई संदेश नहीं आता कि पहले मुझे कुछ देना पड़े। बस एक झड़ी सी लगी हुई है क्रेडिट कार्ड वालों के संदेशों की। दो-चार लाख रुपयों की लिमिट वाले मेरे नए क्रेडिट कार्ड के नंबर वे सीधे बताते हैं। केवल मेरा पता मांगते हैं, जिसे पाते ही वे बेचारे नया प्लैटिनम या रेडियम क्रेडिट कार्ड मेरे पास भेजकर अपनी अभिलाषा पूरी कर लेंगे, अपना जन्म सफल कर लेंगे। मेरी रईसी की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई है। बड़े-बड़े बैंक मेरा खाता खोलकर दस-बीस लाख रुपये का लोन देने के लिए मरे जा रहे हैं। 
 

संभव है कि हर ऑफर के साथ कोई टी ऐंड सी अर्थात शतेर्ें भी लागू हों। पर शर्तें जानने के लिए मैं उनके ऑफर का पूरा विवरण पढ़ूं ही क्यों? 

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