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Hindi News ओपिनियन नश्तरऑनलाइन बूथ-कैप्चरिंग की तरफ 

ऑनलाइन बूथ-कैप्चरिंग की तरफ 

फेसबुक-कर्ताधर्ता जकरबर्ग ने हाल में आश्वासन सा दिया- भारत के चुनावों में गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। चुनाव में एक वक्त ऐसे वादे और आश्वासन बूथ-लुटेरे दे सकते थे, जो बूथ कब्जे के बाद मनमर्जी से वोट...

ऑनलाइन बूथ-कैप्चरिंग की तरफ 
    आलोक पुराणिकTue, 17 Apr 2018 11:20 PM
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फेसबुक-कर्ताधर्ता जकरबर्ग ने हाल में आश्वासन सा दिया- भारत के चुनावों में गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। चुनाव में एक वक्त ऐसे वादे और आश्वासन बूथ-लुटेरे दे सकते थे, जो बूथ कब्जे के बाद मनमर्जी से वोट डालते थे। बंदूकधारी ऑफ-लाइन बूथ-कब्जा की बजाय सब ठीक होगा टाइप आश्वासन सोशल मीडिया सम्राट जकरबर्ग की तरफ से आ रहा है। चुनावों में गड़बड़ियां ऑफलाइन से उठकर ऑनलाइन हो गई हैं।  

सोशल मीडिया रिश्ते तक जुड़वा-तुड़वा सकता है। ट्विटर के किसी चुनाव में पाकिस्तान के आर्मी चीफ बाजवा को आतंकी घोषित किया जा सकता है, फिर इन्हीं बाजवा को पाकिस्तान का सबसे लोकप्रिय व्यक्ति भी घोषित किया जा सकता है। यह तो खैर समझने में आने वाली बात है। कई पाकिस्तानी आतंकप्रिय, आतंकीप्रिय होते हैं। पर सोशल मीडिया यह कर सकता है कि इसके एक चुनाव में महिला-पुरुष शादी को सर्वश्रेष्ठ रिश्ता घोषित किया जा सकता है और इसी मीडिया के अगले चुनाव में पुरुष की पुरुष से शादी को भी श्रेष्ठतम रिश्ता घोषित किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर चुनावों के परिणाम नेताओं के चुनाव-पूर्व वादों की तरह होते हैं, सुन लेने चाहिए। भरोसा करने में खतरा है। 

पुराने वक्त की बातें थीं, निकल गईं। अब वे कुछ अलग तरह से होतीं। अब तक लिखे इतिहास में अहमद शाह अब्दाली को लुटेरा माना जाता है। सोशल मीडिया का जमाना होता, तो अब्दाली का दिल्ली हमला टें्रड कर रहा होता। पुराने तैमूर अपने जमाने के बहुत ही लाइक्ड पसंदीदा पर्सनल्टी होते। वैसे अब भी करीना कपूरजी के बेटे तैमूर के डाइपर पर चर्चा में ही सोशल मीडिया में इतना टाइम खर्च होता है, जितना भारत के संविधान को बनाने वाली संविधान सभा ने संविधान पर खर्च नहीं किया था। आइए तैमूर के डाइपर के तमाम अवयवों पर चल रहे सोशल-मीडिया विमर्श में भाग लें।

 

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