यहां तो काले में भी होती है पवित्रता
हर काली शै काला धन नहीं होती। जो सुलूक काधे धन से होता है, काले हिरण के साथ आप वही सुलूक नहीं कर सकते। वह पवित्र होता है, पूजनीय होता है, उसके शिकार पर पाबंदी है। अगर उसे पकड़ोगे, मारोगे, तो जेल हो...
हर काली शै काला धन नहीं होती। जो सुलूक काधे धन से होता है, काले हिरण के साथ आप वही सुलूक नहीं कर सकते। वह पवित्र होता है, पूजनीय होता है, उसके शिकार पर पाबंदी है। अगर उसे पकड़ोगे, मारोगे, तो जेल हो जाएगी, फिर चाहे आप कहीं के सलमान खान क्यों न हों। काला हिरण कोई काला मुरगा- कड़कनाथ नहीं है, जिसके स्वादिष्ट होने के इतने चर्चे हों। काला धन बेशक श्वेत धन से खराब होता होगा, पर कड़कनाथ सफेद मुरगे से अच्छा माना जा रहा है। उसे सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के बीच कड़कनाथ पर दावेदारी को लेकर वैसे ही मुकदमेबाजी चली, जैसे बंगाल और ओडिशा में रसगुल्ले को लेकर चली थी। यह काले के शिकार के लिए सलमान खान पर चले बीस साला मुकदमे जितनी लंबी तो नहीं थी, फिर भी मुकदमेबाजी तो थी।
काले के खेल निराले हैं। अब जैसे हमारे बैंकों की रकम काला धन बिल्कुल नहीं होती। लेकिन उसे चट करने वालों का मन काला होता है। पर मन काला हो, तो जरूरी नहीं कि गोरे मुखड़े पर काला तिल भी बुरा लगे। उसकी खूबसूरती के तो इतने गीत गाए जाते हैं। असल में, करतूतें अगर काली न हों, तो सांवले रंग के लोग भी भगवान की तरह पूजे जा सकते हैं। अगर चकाचक सफेदी इतनी ही पवित्र होती, तो लोग अपने सफेद बाल काले क्यों करते? और नेताओं के कपड़ों की चकाचक सफेदी इतनी वितृष्णा क्यों पैदा करती? आंखों की काली पुतली पर अगर सफेद फूला पड़ जाए, तो फिर राजा बनने के लिए अंधों की बस्ती ही चुननी पडे़गी।
अगर काली घटाएं न बरसें, तो फिर सूखा राहत की मांग के लिए आंदोलन ही करना पड़ेगा। तो जनाब, गांधी होने के लिए श्वेत होना जरूरी नहीं है, चाहे मुल्क अमेरिका ही क्यों न हो। इसलिए आश्चर्य मत कीजिए, अगर बिश्नोइयों में काला हिरण पवित्र है, पूजनीय है। हमारे देश में तो काली मां भी पूजनीय हैं।