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Hindi News ओपिनियन नश्तरमहंगाई का निदान चुटकियों में

महंगाई का निदान चुटकियों में

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदले या न बदले, लेकिन पेट्रोल-डीजल और सोने-चांदी की देखा-देखी कीमतों के मामले में टमाटर महोदय भी अब विकासवादी हो गए हैं। रसोईघरों में टमाटर का होना लेटेस्ट स्टेटस सिंबल मान...

महंगाई का निदान चुटकियों में
कुमार विनोदThu, 30 Jul 2020 10:54 PM
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खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदले या न बदले, लेकिन पेट्रोल-डीजल और सोने-चांदी की देखा-देखी कीमतों के मामले में टमाटर महोदय भी अब विकासवादी हो गए हैं। रसोईघरों में टमाटर का होना लेटेस्ट स्टेटस सिंबल मान लिया गया है। हमारे घर माली का काम करने वाले रामभवन की सूई पिछले कुछ दिनों से टमाटर पर ही अटकी हुई है। लॉकडाउन के दौरान पांच-दस रुपये किलो के हिसाब से मिलने वाले लाल-लाल, गोल-मटोल टमाटरों से अपने रसोईघर का दामन भरते रहने की उसकी स्मृतियां उसे पुन: लॉकडाउन के दिनों में खींचकर ले जाती हैं। 
कवि सम्मेलन न होने की वजह से श्रोताओं के टमाटर, गले-सडे़ ही सही, ले जाने की गतिविधियों पर अंकुश लग चुका है, और इसमें हमारे पड़ोसी कवि महोदय भी अपना अप्रत्यक्ष योगदान दे चुके हैं। ‘विकास मरता नहीं’, ‘विकास मरा नहीं करते’ जैसे जुमले अपनी कविताओं में फिट करने वाले इन कवि महाशय को भी टमाटर का यह विकासवाद कतई रास नहीं आ रहा। टमाटर की कीमत में हुई भारी वृद्धि ने लोगों की ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ को खासा प्रभावित किया है। गले में मास्क लटकाए दो पड़ोसी सब्जी-विक्रेताओं की आपसी नाक-झोंक के दौरान खुद को सुपीरियर मानने वाला सब्जी विक्रेता दूसरे सब्जी वाले को चिढ़ाने के अंदाज में कहता है- मेरे पास अरबी, भिंडी, घीया, कद्दू, तोरी, बैंगन, शिमला मिर्च, गोभी, पहाड़ी आलू, मूली, अदरक, खीरा, पुदीना, धनिया है... और तुम्हारे पास क्या है? दूसरा सब्जी विक्रेता फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ दीवार  के शशि कपूर स्टाइल में धीमी आवाज में जवाब देता है- मेरे पास टमाटर है भाई!
किसी मसखरे का गंभीर सुझाव है कि टमाटरों के सेवन से कोरोना संक्रमण की आशंका बढ़ जाने की झूठी खबर वाट्सएप यूनिवर्सिटी के कानों में डाल दी जाए, तो मुंह फुलाकर बैठे इन टमाटरों के गाल देखते ही देखते पिचक जाएंगे। अब आप ही कहिए, मसखरेपन से समस्याओं से निजात पाने की कोशिश कोई नई बात है क्या?
 

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