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Hindi News ओपिनियन नश्तरझूठ की सफेदी का उजला सच

झूठ की सफेदी का उजला सच

कहा जाता है, एक दफा वकील ने अदालत में सच बोल दिया। मुकदमा तो वह हारा ही, कानून-व्यवस्था भी उससे नाराज हो गई। उससे कहा गया कि वह काला कोट न पहने। सफेद कोट पहने। इससे यह सच सामने आया कि यदि तंदुरुस्ती...

झूठ की सफेदी का उजला सच
उर्मिल थपलियालFri, 25 Sep 2020 11:01 PM
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कहा जाता है, एक दफा वकील ने अदालत में सच बोल दिया। मुकदमा तो वह हारा ही, कानून-व्यवस्था भी उससे नाराज हो गई। उससे कहा गया कि वह काला कोट न पहने। सफेद कोट पहने। इससे यह सच सामने आया कि यदि तंदुरुस्ती चाहते हो, तो सच से सदा परहेज रखो। सच बोलने वाला दूसरों की आंखों की किरकिरी बनता है। कभी-कभी तो उसे चौराहे पर बिकना ही पड़ता है। जीवन यदि शरीर है, तो झूठ आत्मा है। वह प्लास्टिक की तरह अजर-अमर है। सच कड़वा होता है, झूठ चटपटा। इसका स्वाद ही निराला होता है। झूठ अगर पकड़ लिया जाता है, तो दूसरा ढूंढ़कर छूट भी जाता है। सच तो जूते और गाली, दोनों खिलवाता है।
एक दिन सच बोलने की जिद में मैंने एक गधे को गधा कह दिया। वह नाराज हो गया। मुझे कसकर दुलत्तियां मारने लगा। वह तब जाकर शांत हुआ, जब मैं उसे मनुष्य और खुद को गधा कहने लगा। उसने मुझे माफ कर दिया। बाल कृष्ण का यह कहना कि- मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो कितना कोमल, क्यूट, भावुक और मार्मिक झूठ है। इस पर तो सौ-सौ सच कुर्बान। कृष्ण यह झूठ न बोलते, तो सच्चे अवतार कभी नहीं बन पाते। कंस का वध करना उनके वश का नहीं रहता। साक्षात देखना हो, तो सुबह-सुबह किसी मशहूर फिल्म अभिनेत्री के घर जाकर कॉल बेल दबाइए। दरवाजा खुलते ही आपको त्रिजटा, हिडिंबा और पूतना एक साथ दिखाई देंगी।
अपनी किशोरावस्था में मैंने और मेरे पड़ोस की एक लड़की ने एक-दूसरे को ‘आई लव यू’ कहकर झूठ बोला था। यही कारण है कि मैं अपने बाल-बच्चों के साथ गृहस्थी की दुछत्ती पर टंगा हूं और वह लड़की अपने मियां को तलाक दिए बिना किसी दूसरे के साथ दुखद जीवन बिता रही है। मैंने उससे पूछा था- तेरे मियां ने तुझे तीन बार तलाक आखिर क्यों कहा? वह बोली- मैं भला एक तलाक से कहां मानने वाली थी!
सच बोलो, दुखी रहो, झूठ में ही सच छिपा है।
 

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