चालू चैनल ने अपना नवोदित पत्रकार एक किसान के पास भेजा, किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए, क्योंकि चैनल के सारे सीनियर पत्रकार जिया चक्रवर्ती के अफीम के खेतों की पड़ताल में बिजी थी। नवोदित पत्रकार ने पढ़-लिखकर किसान से इंटरव्यू लिया। इंटरव्यू इस प्रकार है-
नवोदित पत्रकार- किसान जन-निधि योजना, किसान धन-निधि योजना, किसान बीमा योजना, किसान सीमा योजना, स्वीडन-भारत किसान एक्सचेंज कार्यक्रम- इतनी स्कीमें चल रही हैं, और किसान फिर भी अमीर नहीं हो रहा है। कभी आपने अपने खेत से बाहर निकलकर देखा कि स्कीम आ गई या नहीं?
किसान- जी स्कीम नहीं आती, उनके नाम पर नेता आ जाते हैं। फिर ये नेता टीवी पर भी आते हैं और फिर टीवी से आप जैसे लोग आ जाते हैं। बस यही आना-जाना होता है।
नवोदित पत्रकार- इतना कुछ किया है आपके लिए देश ने, दो बीघा जमीन, लगान, नया दौर, पीपली लाइव, उपकार, मदर इंडिया, कितनी फिल्में बनाई हैं किसानों पर, और फिर भी आप लोगों की हालत सुधरती नहीं है। क्यों?
किसान- जी लगान किसानों पर नहीं, क्रिकेट पर बनी फिल्म थी, पीपली लाइव किसानों पर नहीं, टीवी मीडिया पर बनी फिल्म थी। हमारे नाम पर जाने क्या-क्या हो जाता है, हमें पता ही नहीं चलता। लगान वाले आमिर खान अमीर हो गए, तो किसानों तक भी अमीरी पहुंच ही जाएगी।
नवोदित पत्रकार- नहीं, बताना पडे़गा आपको, देश इतनी योजनाएं बना रहा है, इतनी फिल्में बना रहा है। फिर भी, किसान सुधर क्यों नहीं रहा है?
किसान- मुझे लगता है कि अब किसानों के लिए भी किसान रिजॉर्ट योजना चलाई जानी चाहिए। हर किसान को एक-एक रिजॉर्ट देना चाहिए, जिसमें तमाम विधानसभाओं के विधायक सरकार की अलट-पलट के दौर में रहें, ऐसे किसान रिजॉर्ट से ही किसानों का भला हो सकता है।
नवोदित पत्रकार- ओके-ओके, समझ में आ गया, समस्या का हल सिर्फ किसान रिजॉर्ट योजना में है।
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