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दोस्ती न सही, पड़ोसी धर्म तो निभ रहा है

कहते हैं कि पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है। यह कहावत हमारे और हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के संदर्भ में बिल्कुल सही साबित होती है। भारत तो पाकिस्तान के हमेशा काम आता रहा। इसकी वजह यह भी थी कि पाकिस्तान...

दोस्ती न सही, पड़ोसी धर्म तो निभ रहा है
राजेन्द्र धोड़पकरThu, 23 Jan 2020 12:05 AM
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कहते हैं कि पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है। यह कहावत हमारे और हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के संदर्भ में बिल्कुल सही साबित होती है। भारत तो पाकिस्तान के हमेशा काम आता रहा। इसकी वजह यह भी थी कि पाकिस्तान आम तौर पर कठिन वक्त में रहा है और उसे भारत की मदद की जरूरत पड़ती रही है। बल्कि हम कह सकते हैं कि पाकिस्तानी सेना, जो पाकिस्तान पर राज करती रही है और सियासतदान, जिनके राज करने का भ्रम कभी-कभी हो जाता था, दोनों भारत के वैसे ही तलबगार रहे हैं, जैसे धूम्रपान करने वाले सिगरेट के होते हैं।

जैसे शोले  फिल्म में गब्बर सिंह का दावा था कि 50-50 कोस तक माएं अपने बच्चों को गब्बर सिंह का नाम लेकर सुलाती थीं, वैसे ही पाकिस्तान का सत्ता प्रतिष्ठान अपनी जनता को भारत का नाम लेकर सुलाता रहा है। जब भी पाकिस्तान की जनता नींद से जागने को होती, तो उसे यह कहकर फिर सुला दिया जाता कि बेटा, सो जा वरना भारत आ जाएगा। कभी-कभार जनता कहती कि हमें भूख लगी है, तो सेना और सरकार कहती, जो अक्सर एक ही होती थी, सो जा वरना भारत आ जाएगा। धीरे-धीरे जनता को यह आदत हो गई कि वह सोती ही रहे, न खाने की, न पढ़ाई-लिखाई की, और न बिजली, पानी, सड़क की बात करे।

यह खुशी की बात है कि पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान भी भारत के ऐसे ही काम आ रहा है। लोग दाना-पानी की बात करते हैं, तो जवाब मिलता है, पाकिस्तान से लड़ना है। कोई पूछता है कि अर्थव्यवस्था का क्या हाल है, तो जवाब है पाकिस्तान जाओ। हजार सवालों का एक ही जवाब है- पाकिस्तान। बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों से हमारे संबंध बडे़ दोस्ताना रहे हैं, इसलिए वे इस तरह हमारे काम नहीं आते थे। अब यह बड़ी खुशी की बात है कि सीएए और एनआरसी वगैरह के चक्कर में उनसे भी हमारे रिश्ते उसी दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। अब वे भी हमारे काम उसी तरह आएंगे, जैसे पाकिस्तान आता है।

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