वक्त की मांग है पेट्रोल ऋण योजना
यह सचमुच ऐतिहासिक और दुर्लभ क्षण है। पेट्रोल के दाम दो अंकों के दायरे को तोड़ कुलांचे भरते तीन अंक में प्रवेश कर चुके हैं। पिछले 73 वर्षों से हमें पिछडे़पन में जीने की ऐसी आदत पड़ गई थी कि ऐसा विकास...
यह सचमुच ऐतिहासिक और दुर्लभ क्षण है। पेट्रोल के दाम दो अंकों के दायरे को तोड़ कुलांचे भरते तीन अंक में प्रवेश कर चुके हैं। पिछले 73 वर्षों से हमें पिछडे़पन में जीने की ऐसी आदत पड़ गई थी कि ऐसा विकास हमने कभी देखा ही न था। इंसान तो छोड़िए, हमारे पेट्रोल पंपों की मशीनों को भी आदत नहीं थी। बेचारी कई मशीनें तो तिहरे अंक की खुशी के मारे सदमे में ही चली गईं। उनमें तिहाई का फॉर्मूला सेट करने के लिए तकनीशियन बुलवाने पडे़।
एक बाइक पर दो सवारी का होना तो सामान्य बात है, लेकिन यदि तीन नजर आए, तो इसे देश की इकोनॉमी के खिलाफ आचरण माना जाएगा। अब कार से शॉपिंग करने आने वालों को पेट्रोल फ्री जैसे ऑफर लुभा सकते हैं। प्रसिद्ध हस्तियों के जन्मदिन पर लड्डू, फल-फूल की जगह पेट्रोल से तौले जाने से उनके यश में अधिक वृद्धि होगी। मतदान पूर्व वाली रात बोतल में नए द्रव का प्रयोग किया जा सकता है। चुनाव घोषणापत्र में मुफ्त वाहन का स्थान मुफ्त पेट्रोल लेगा। डाकघरों में पेट्रोल बचत योजना के खाते और बैंकों में वाहन ऋण के बजाय पेट्रोल लोन योजना समय की मांग है। अजी! वाहन तो हम खरीद ही लेंगे, आप तो बस पेट्रोल फाइनेंस करवा दीजिए जैसी बातें लोन के आवेदकों से सुनी जा सकेंगी। यही नहीं, अपनी गाड़ी की टंकी फुल करवाने वाले अब आयकर विभाग के रडार पर होंगे। उनके यहां आयकर अफसरों के छापे और कुंवारों के लिए रिश्ते भी आ सकते हैं। पुलिस अब गाड़ी चोर को कम, पेट्रोल चोरों को अधिक पकडे़गी। एक वक्त पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के खिलाफ राजमार्गों पर बैलगाड़ियां निकल आया करती थीं। लेकिन अब महंगाई पर बातें करना आउटडेटेड हो गया है। अब इस पर बात करने में संकोच, झिझक और शर्म महसूस होती है। इस दौर के सबसे आशावादियों के साथ रहिए, वे मूल्य-वृद्धि के सौ लाभ आपको गिना सकते हैं। न्यूज एंकर की भाषा में यह कदम मास्टर स्ट्रोक या स्वास्थ्य के लिए उठाया गया दूरदर्शी कदम हो सकता है।