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जश्न मनाइए कि पेपर आउट हो गया

हर कोई गुस्सा जता रहा है। गुस्सा इस बात पर कि पेपर आउट हो गया। आउट होना, यानी समय से पहले बाहर आना। क्या पेपर को अपनी मर्जी से बाहर निकलने का अधिकार ही नहीं है? यह कौन से कानून में लिखा है कि पेपर...

जश्न मनाइए कि पेपर आउट हो गया
 अतुल कनक Fri, 18 Feb 2022 09:41 PM

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हर कोई गुस्सा जता रहा है। गुस्सा इस बात पर कि पेपर आउट हो गया। आउट होना, यानी समय से पहले बाहर आना। क्या पेपर को अपनी मर्जी से बाहर निकलने का अधिकार ही नहीं है? यह कौन से कानून में लिखा है कि पेपर उनकी इच्छा से ही बाहर आएगा, जिनको सरकार ने यह अधिकार दिया है? पता नहीं, यह समाज कब अपनी आदतें सुधारेगा? कभी औरतों के आने-जाने पर पाबंदी लगाता है, कभी पेपर के अंदर-बाहर होने पर। दुनिया तरक्की करके मंगल ग्रह तक पहुंच गई, और कुछ लोग हैं कि पेपर को अपनी मर्जी तक हिजाब में रखना चाहते हैं।
पेपर क्यों नहीं आ सकता निश्चित समय के पहले लिफाफे से बाहर? इस देश में कितने लोग समय की पाबंदी निभाते हैं? रेलगाड़ियां अपने निश्चित समय से घंटों देरी से आती हैं। नेता सभाओं को संबोधित करने के लिए कभी सही समय पर नहीं पहुंचते, और तो और, घरों की बिजली तक अपनी मर्जी से आती-जाती है। और, आप चाहते हैं कि परीक्षा का पेपर अपनी इच्छा से आउट न हो। यह तो बिल्कुल नाइंसाफी है साहब!
संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है। जब ट्रेनें पटरी से आउट हो जाती हैं, तो कितने लोग हंगामा करते हैं? सड़क के गड्ढे जरा सी बारिश के बाद आउट हो जाते हैं, लेकिन किसी को परेशानी नहीं होती! बेचारा, परीक्षा का पेपर, जो अपनी जाति का समूह बनाकर कभी रेल लाइन नहीं उखाड़ पाता, उसे आप अपनी मर्जी से बाहर आने के अधिकार तक से वंचित करना चाहते हैं। आखिर इस देश में कानून नाम की कोई चीज है या नहीं? 
कितने अरमान से कोई आदमी परीक्षा का पेपर आउट करता है! उसके अपने सपने होते हैं, जिनको पूरा करने के लिए वह मेहनत करता है। किसी परीक्षा का पेपर आउट करना कम मेहनत का काम नहीं है! अब आप यदि मेहनतकश लोगों का सम्मान नहीं करेंगे, तो फिर लोकतंत्र आपको माफ नहीं करेगा। इसलिए, हंगामा मचाना बंद करिए और जश्न मनाइए। 
  

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