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Hindi News ओपिनियन नश्तरराफेलजी आए हैं, नई रोशनी लाए हैं

राफेलजी आए हैं, नई रोशनी लाए हैं

राफेल साहब आ गए। उन्हें आना था, मगर ऐसे दृष्टिगोचर हुए, जैसे एयरपोर्ट पर लगभग गुमशुदा हुआ लगेज मिल जाए; जैसे अस्त-व्यस्त बालों को संवारने के लिए जेब में छुपम-छुपाई खेलती कंघी हाथ आ जाए। राफेल...

राफेलजी आए हैं, नई रोशनी लाए हैं
निर्मल गुप्तMon, 03 Aug 2020 11:36 PM
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राफेल साहब आ गए। उन्हें आना था, मगर ऐसे दृष्टिगोचर हुए, जैसे एयरपोर्ट पर लगभग गुमशुदा हुआ लगेज मिल जाए; जैसे अस्त-व्यस्त बालों को संवारने के लिए जेब में छुपम-छुपाई खेलती कंघी हाथ आ जाए। राफेल विरोधियों को ऐसा महसूस हुआ, जैसे कोई इनामी बदमाश एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के हाथों से जिंदा भाग निकले। संक्रमण के भय से घर में फंसे उम्रदराज लोगों को राफेल का आगमन ऐसे हतप्रभ कर गया, जैसे कोई उनके बर्थडे पर वर्चुअल मिठाई की जगह होममेड जलेबी का दौना लेकर आ जाए।
पता लगा है कि राफेल साहब इस बात से बडे़ खुश हैं कि यहां पहुंचते ही उन्हें वीवीआईपी स्टेटस मिल गया है। उन्हें भद्रपुरुष के उस कहावती तीतर के समकक्ष मान लिया गया, जिसे लेकर असमंजस यह रहा कि इसे घर के बाहर रखा जाए या भीतर?
बताया गया कि मूलभूत औपचारिकताएं, जैसे कर्णछेदन, नजर उतारना, नजरिया बांधना आदि पूर्ण हो जाएं, तो फिर नामकरण समारोहपूर्वक संपन्न होगा। यह राफेल नाम तो ऐसा है, जैसे टिंकू, पिंकू, छुट्टन, लड्डन टाइप का कोई लाड़ भरा घरेलू नाम! अब प्राचीन ग्रंथों में से इनके लिए कोई मौलिक नाम छांटना होगा। हमारे तमाम यशस्वी देवताओं के हजारों नाम गाए जाते रहे हैं, इसलिए कोई गौरवशाली किंतु ओरिजनल नाम तलाशना तनिक मुश्किल तो होगा। इसके लिए कोई विरल तत्सम शब्द गढ़ना होगा, जिसे सुनकर सुनने वाले हतप्रभ रह जाएं। वैसे नाम जो भी रखा जाए, उसके आगे-पीछे कोई चार अंकों का क्रमांक जरूर दर्ज होगा। मसलन, घातकजी श्रीश्री 1008 महाराज। नाम दमदार होगा, तभी तो दुश्मन डर से कांपेंगे। कोमल या नाजुक नामकरण से कुछ न होगा। 
महामारी से उकताए लोगों ने राफेल का स्वागत यह सोच खुलकर किया कि क्या पता, यही वैक्सीन का काम कर जाए। तो आइए, खुशामदीद कहने को सब मिल-जुलकर गाएं- लल्ला-लल्ला लोरी, दूध की कटोरी/ दूध में बताशा, राफेल करे तमाशा!
    

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