साधो रैनसमवेयर सहज भला
बवाल हुआ पड़ा है दुनिया में कि कंप्यूटरों में एक वायरस घुस आया है-रैनसमवेयर, जो मांग करता है कि 300 डॉलर दो, वरना सिस्टम ठप। काम ठप न करने के पैसे मांगता है रैनसमवेयर। मतलब एकदम मोहल्ले वाले शनि बाजार...
बवाल हुआ पड़ा है दुनिया में कि कंप्यूटरों में एक वायरस घुस आया है-रैनसमवेयर, जो मांग करता है कि 300 डॉलर दो, वरना सिस्टम ठप। काम ठप न करने के पैसे मांगता है रैनसमवेयर। मतलब एकदम मोहल्ले वाले शनि बाजार के पुलिसमैन जैसा कि रकम दो, नहीं तो अभी ठप करता हूं। या किसी टॉप पार्टी के टॉप नेता जैसे कि इत्ती रकम पहुंचा देना, वरना चुनाव में टिकट कट जाएगा। इंडिया में रैनसमवेयर को बहुत ही नॉर्मल तरीके से लिया जाता है, क्योंकि हफ्ताखोरी यहां स्वभाव में है। जो न ले, वह परेशान करता दिखता है।
आप किसी ट्रेन में जा रहे हैं, सीटें हैं, पर टीटीई ने हावभाव से स्पष्ट कर दिया है कि नहीं लूंगा, एक रुपया भी नहीं लूंगा। पब्लिक टेंशन में आ जाती है। मतलब लेगा नहीं और सीट भी नहीं देगा। इंडिया में रकम वसूली कर्मठता की निशानी मानी जाती है। औरों की क्या कहूं, अभी एक इंश्योरेंस कंपनी में मेरा क्लेम अटक गया, मैंने फौरन पूछा कि कुछ ऊपर-नीचे की बात तो नहीं है, है तो बताई जाए। मुख्यधारा से हम अलग कैसे रह सकते हैं? इंश्योरेंस कंपनी में मित्र से मैंने इतनी बार पूछा कि भई देख लो, ऊपर-नीचे की कोई बात न हो। उन्होंने मुझे चिंतित देखकर बतौर रिश्वत कुछ पैसे ले लिए, मैं निश्चिंत हुआ। बाद में क्लेम का भुगतान आ गया और मित्र ने रिश्वत के तौर पर ली रकम भी वापस कर दी। उसने बताया कि आपकी मानसिक शांति के लिए रिश्वत लेना जरूरी था, वरना आपको उदासी के दौरे पड़ सकते थे।
आम बंदा परेशान हो जाता है कि अगला काम कर रहा है, कुछ पैसे नहीं ले रहा है। एक और चिंता घेर लेती है कि कल यह कोई बड़ा काम लेकर हमारे पास आएगा। बंदा काम के बदले कैश ले ले, तो चिंता निपट लेती है। मतलब एकदम नॉर्मल टाइप बात, इस हाथ काम, उस हाथ कैश। रैनसमवेयर से वसूली पर रिपोर्ट है कि सबसे सहज तरीके से बिना चूं-चां के भुगतान भारतीयों ने दिया है। साधो रैनसमवेयर सहज भला। भारतीयों से ज्यादा इसे कौन समझ सकता है, हम इसमें बहुत सहज हैं।
आलोक पुराणिक