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किस्मत ही खराब है

न जाने कब से भरे बैठे थे वह। दोस्त से मिलते ही वह फूट पड़े। ‘अब ये भी होना था। किस्मत ही खराब है।’ ‘अगर कुछ खराब घट गया है, तो किस्मत को नहीं कोसना चाहिए। हम नहीं जानते कि आने...

किस्मत ही खराब है
राजीव कटाराSat, 20 Jan 2018 12:56 AM
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न जाने कब से भरे बैठे थे वह। दोस्त से मिलते ही वह फूट पड़े। ‘अब ये भी होना था। किस्मत ही खराब है।’ ‘अगर कुछ खराब घट गया है, तो किस्मत को नहीं कोसना चाहिए। हम नहीं जानते कि आने वाले समय में उसका क्या असर होना है।’ यह मानना है डॉ. हैरियट लर्नर का। वह मशहूर साइकोथिरेपिस्ट हैं। मैनिंजर क्लीनिक उनकी वजह से ही चर्चा में रहा है। हैरियट की चर्चित किताब है, व्हाई वॉन्ट यू अपॉलजाइज: हीलिंग बिग बिटे्रयल्स ऐंड ऐवरीडे हट्र्स। हम सब बदलाव चाहते हैं। लेकिन कोई बदलाव अगर मन-मुताबिक नहीं होता, तो हम अपनी किस्मत को रोने लगते हैं। हमसे जरा सा झटका सहन नहीं होता। हम बहत पास देख रहे होते हैं। वह आहत सा करता दिखता है।

उस पर हम सोचना नहीं चाहते। बहुत दूर हम देख नहीं पाते। लिहाजा किस्मत का राग अलापने लगते हैं। अक्सर जिंदगी सोची हुई पटरी पर नहीं चलती। उस पटरी से उतरते ही हमें वह बर्बाद लगने लगती है। वह पटरी हमें कहीं एक जगह ले जा रही थी। वही हमें अपनी जिंदगी नजर आ रही थी। लेकिन वही पटरी तो अकेला रास्ता  नहीं है। कभी उस पटरी से उतरकर हम एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ते हैं, जो हमें किसी बड़ी मंजिल की ओर ले जा रहा होता है। 
यह भी हो सकता है कि जिसे हम जबर्दस्ती का रास्ता मान रहे हैं, वह किसी और राजमार्ग से हमें जोड़ दे। पटरी से उतर गए हैं, तो हल्का सा आगे बढ़िए। कोई पगडंडी तो मिलेगी। वह न जाने किस मंजिल तक पहुंचा दे। खुले दिमाग से नए रास्ते खोजने चाहिए। जो रास्ता छूट गया है, उसका अफसोस करने से क्या होगा? 

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