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झूठ का सफर

अंग्रेज विनोदी लेखक मार्क ट्वेन अपने स्मार्ट वक्तव्यों के लिए मशहूर थे। वह मजाक में भी सच का तड़का देते थे, कुछ इस तरह- ‘झूठ आधी दुनिया का सफर कर लेता है, और तब तक सच अपने जूते ही पहन रहा होता...

झूठ का सफर
अमृत साधनाMon, 19 Mar 2018 09:44 PM
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अंग्रेज विनोदी लेखक मार्क ट्वेन अपने स्मार्ट वक्तव्यों के लिए मशहूर थे। वह मजाक में भी सच का तड़का देते थे, कुछ इस तरह- ‘झूठ आधी दुनिया का सफर कर लेता है, और तब तक सच अपने जूते ही पहन रहा होता है।’ यह बात आज की ट्विटर और फेसबुक की दुनिया में बहुत अधिक सच है। झूठी खबर आंधी की तरह फैलती है और तूफान की तरह खलबली मचाती है, क्योंकि इसे फैलाने वाले आम लोग ही होते हैं। आदमी का मन झूठ पर बहुत जल्दी विश्वास कर लेता है। किसी की निंदा हो, किसी के साथ कोई अनहोनी घटी हो, किसी को असाध्य बीमारी हो, तो उस खबर पर लोग तुरंत विश्वास कर लेते हैं। उसे और मिर्च मसाला लगाकर प्रस्तुत करते हैं। उसकी सत्यता जांचते भी नहीं, वैसी बात फैलाने में उनकी दिलचस्पी अधिक होती है। 

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सच के बनिस्बत झूठ छह गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। उन्होंने पाया कि झूठ आदमी की कल्पना को सहारा देता है। लोग चाहते हैं कि ऐसा कुछ रोमांचकारी घटे, जो आम जिंदगी में नहीं घटता। आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी इतनी बेरौनक है कि दूसरों की जिंदगी में ही सही, कुछ असाधारण घटना घटे, तो लोगों को गहरी संतुष्टि मिलती है। ओशो कहते हैं, तुम्हारी छाती पर झूठ का हिमालय खड़ा है। इस हिमालय के दबाव में हमारा सच से नाता ही टूट गया है। हमारे विचार, हमारी भावनाएं, हमारे संबंध सब कुछ बहुत नकली हो गए हैं, इसलिए सत्य हमें बोझिल मालूम होता है। देर लगती है, लेकिन झूठ के गुब्बारे को सच की सुई चुभ ही जाती है और वह फूट जाता है।

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