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आनंद से डर

अगर कोई कहे कि आपको आनंद से डर लगता है, इसलिए आप दुख को पकड़कर रखते हैं, तो यकीन नहीं होगा। लोग सोचते हैं कि हम आनंद को तो तलाशते हैं, उसी के लिए कोशिश करते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। समय का जितना...

 आनंद से डर
 अमृत साधनाSun, 07 Jan 2018 08:30 PM
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अगर कोई कहे कि आपको आनंद से डर लगता है, इसलिए आप दुख को पकड़कर रखते हैं, तो यकीन नहीं होगा। लोग सोचते हैं कि हम आनंद को तो तलाशते हैं, उसी के लिए कोशिश करते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। समय का जितना एहसास आधुनिक मनुष्य को है, उतना पहले नहीं था। जब से जिंंदगी की रफ्तार बढ़ी है, तब से समय की कमी हो गई है। यह एक गहन विरोधाभास है? ओशो का कहना है कि समय का एहसास इसलिए तीव्र है, क्योंकि आज का आदमी दुखी, चिंतित, परेशान है। आप जितने दुख में होते हैं, उतना समय लंबा मालूम होता है। किसी बीमार की सेवा में जागना पड़े, तो रात कटती ही नहीं। रात के पहर तो उतने ही होते हैं, मन का धीरज कम हो जाता है। थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को समझाने के लिए आइंस्टीन एक सरल उदाहरण देते थे। आपको अगर एक घंटा गरम तवे पर बिठाया जाए, तो वह घंटा पूरी जिंदगी जैसा लगेगा। आप अगर अपने प्रेमी के साथ एक घंटा बैठें, तो लगेगा कि अभी तो बैठे थे, उठने का समय आ गया?

परेशान आदमी समय के दबाव में जीता है। आनंदित आदमी के लिए जैसे समय होता ही नहीं। वह हर क्षण पूरी तरह डूबकर जीता है। क्षण का पूरा रस निचोड़ लेता है। आनंद के लिए समय की लंबाई मायने नहीं रखती, समय की गहराई कीमती है। आप जितना समय में डूबते हैं, उतना समय के पार हो जाते हैं। आनंद समयातीत है। वह आपको बिल्कुल डुबो देता है, इसीलिए अहंकार को डर लगता है। अहंकारी व्यक्ति कभी आनंदित नहीं दिखाई देता। वह जैसे कोई बोझ लेकर चलता है। आनंद तो सरल, हल्के-फुल्के चित्त का ही मेहमान हो सकता है।

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