विशेष क्यों
वह कौन सी बात है, जो आपको श्रेष्ठ व्यक्तियों के वर्गीकृत समूह में रखती है? टॉलस्टॉय कहते हैं- सिर्फ और सिर्फ आपका आदर्श। वह मानते थे कि जो मानव व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह समाज के लिए भयंकर है। यह...
वह कौन सी बात है, जो आपको श्रेष्ठ व्यक्तियों के वर्गीकृत समूह में रखती है? टॉलस्टॉय कहते हैं- सिर्फ और सिर्फ आपका आदर्श। वह मानते थे कि जो मानव व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह समाज के लिए भयंकर है। यह समाज की सत्ता के लिए उसी तरह अनिवार्य है, जैसे नदी के लिए नीर या पर्वत के लिए चट्टान।
दुनिया के जितने भी धर्म हैं, सामूहिक आदर्श को व्यक्त करने से अधिक कुछ भी नहीं हैं। धर्म ने कर्म को दो भागों में बांटा- साधारण और पवित्र। साधारण वह है, जो ‘क्या है’ के स्थूल बुनियाद पर टिका है, जबकि पवित्र वह है, जो ‘क्या होना चाहिए’ के सूक्ष्म मंत्र पर। यह मंत्र ही आदर्श का आधार है। निजी आदर्श कोई भी हो सकता है, किंतु सामाजिक आदर्श होने के लिए जरूरी है कि उसे एक बड़ी इकाई का समर्थन हासिल हो। आदर्श विद्वता से नहीं, सामाजिक हित में किए गए कार्य, नैतिक मूल्यों, मर्यादाओं से ही पहचाने जाते हैं। दशानन भले ही विद्वान था, किंतु मूल्यों और मर्यादाओं में राम अव्वल थे, इसीलिए आदर्श बने। गांधी, बुद्ध, महावीर, ईसा, मोहम्मद साहब सभी ने मूल्यों की बात की। नए युग में आदर्शों को अर्थशास्त्र से गढ़ने की कोशिश हो रही है। छवि निर्माण एक धंधे की तरह फैला है। लेकिन आदर्श गढ़ा नहीं जा सकता। फिल्मी हीरो, खिलाड़ी आदि प्रभावशाली हो सकते हैं, किंतु आदर्श तभी होंगे, जब समाज को वे एक सपना दें, उम्मीद दें, सामाजिक हित को स्वीकृति दें और इन सबसे अधिक जरूरी है कि वे खुद सामाजिक आदर्शों को मानें। वे आदर्श विरोधी काम वाले हुए, तो सफल भले हों, सामाजिक आदर्श के तौर पर स्वीकृति नहीं पा सकते।