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दिल पर मत लो

उस प्रोजेक्ट की धज्जियां उड़ा दी जाएंगी, यह उन्होंने नहीं सोचा था। वह इस कदर परेशान थे, मानो यह प्रोजेक्ट उनका अकेले का हो।   ‘हर चीज को अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। यह अपने साथ ज्यादती...

दिल पर मत लो
राजीव कटाराFri, 31 Aug 2018 11:31 PM
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उस प्रोजेक्ट की धज्जियां उड़ा दी जाएंगी, यह उन्होंने नहीं सोचा था। वह इस कदर परेशान थे, मानो यह प्रोजेक्ट उनका अकेले का हो।  
‘हर चीज को अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। यह अपने साथ ज्यादती है।’ यह मानना है डॉ. टोनी बर्नहार्ड का। वह मशहूर लाइफ कोच हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर रही हैं। उनकी बेहद चर्चित किताब है हाउ टु बी सिक, हाउ टु वेक अप, हाउ टु लिव वेल विद क्रॉनिक पेन ऐंड इलनेस। 
अपने काम के लिए हम जिम्मेदार होते हैं। लेकिन कभी-कभी हम ही जिम्मेदार नहीं होते। हम एक टीम में काम करते हैं। अपनी ओर से चीजों को ठीक करने की पूरी कोशिश करते हैं। अपना हिस्सा बेहतरीन करने के बावजूद कभी चीजें ठीक नहीं हो पातीं। दरअसल, काम करने वाले हम अकेले नहीं होते। हम उससे जुड़े होते हैं। कभी हमारा काम पूरा नहीं हो पाता। या हम जैसा चाहते हैं, वैसा नहीं हो पाता। तब हम उस नाकामयाबी की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ओढ़ लेते हैं। हम अपने को कोसने लगते हैं। दिल पर ले जाते हैं। यह एकदम गलत रवैया है। हमारी ओर से अगर कोई कमी रह गई है, तो उसे हमें मानने में कहीं कोई कोताही नहीं करनी चाहिए। लेकिन अगर कहीं और गड़बड़ हुई है, तो हमें उसे अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। एक सामूहिक जिम्मेदारी की तरह उसे लेना चाहिए। टीम में हर एक की एक जिम्मेदारी होती है। और उसे हर किसी को मानना चाहिए। अपने को कोसने से बात नहीं बनती। अपनी जिम्मेदारी से हम भागें नहीं और दूसरे की ओढ़ें नहीं। यह बात हमें समझनी ही होगी।

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