सुखों की जुगाली
क्या आप एक ही मजाक पर दोबारा हंस सकते हैं? असंभव। हमें हंसने के लिए हमेशा एक नया मजाक चाहिए। तो फिर आप एक ही दुख पर बार-बार क्यों रोते हैं? एक बार रो लिए, बस। लेकिन मनुष्य का मन बहुत अजीब है, वह अपनी...
क्या आप एक ही मजाक पर दोबारा हंस सकते हैं? असंभव। हमें हंसने के लिए हमेशा एक नया मजाक चाहिए। तो फिर आप एक ही दुख पर बार-बार क्यों रोते हैं? एक बार रो लिए, बस। लेकिन मनुष्य का मन बहुत अजीब है, वह अपनी दुखद स्मृतियों को तो सम्हालकर रखता है और सुखद को भूल जाता है या उन्हें बहुत छोटा बना देता है।
अगर आपको दो वर्ष पहले किसी ने गाली दी थी, किसी ने अपमान किया था या आपके साथ कोई दुर्घटना घटी थी, तो आज भी ऐसे याद आती है, जैसे कल ही घटी हो। अगर आप शांत बैठ जाएं और दोबारा उन स्मृतियों की गली से गुजरें, तो वह घटना ताजी हो जाएगी। आपके शरीर में वैसी ही प्रतिक्रिया होगी, जैसी उस समय हुई थी। आप उसी तीव्रता से उस अपमान को अनुभव करेंगे। ओशो कहते हैं कि मनुष्य की भूल यह है कि जो भी गलत है, उसका तो वह स्मरण करता है, लेकिन जो भी शुभ है, उसका स्मरण नहीं करता। आपको शायद ही वे क्षण याद आते हैं, जब आप प्रेम से भरे थे, या जब आपने सौंदर्य की कोई अद्भुत अनुभूति ली थी। शायद ही वे क्षण याद आते होंगे, जब आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा था, आपके भीतर शांति गुनगुना रही थी। किसी भी तरह का अपमान आपके भीतर ऐसा गहरा घाव बना देता है कि आप उसे भुला ही नहीं पाते।
एक सकारात्मक प्रयोग करें। जो भी खाली क्षण मिलते हों, उनमें सिर्फ अच्छी बातें याद करें, जिनसे मन को सुकून मिले, मन सुंदर हो जाए। ऐसा करने से आपके भीतर शुभ का, सुंदरता का वातावरण बना रहेगा। जुगाली करनी ही हो, तो वह शुभ की करें, अशुभ की नहीं।