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तनावों को वहीं छोड़ आइए

देर रात घर लोटे थे वह। आते ही अपना बैग जिस तरह फेंका था, उससे घर में सब सहम गए थे। किसी से कोई बात नहीं हुई थी उस रात। ‘तनाव से जल्द से जल्द छुटकारा पा लेना चाहिए। कामकाजी तनाव घर लेकर नहीं...

तनावों को वहीं छोड़ आइए
राजीव कटाराFri, 23 Jun 2017 10:50 PM
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देर रात घर लोटे थे वह। आते ही अपना बैग जिस तरह फेंका था, उससे घर में सब सहम गए थे। किसी से कोई बात नहीं हुई थी उस रात।

‘तनाव से जल्द से जल्द छुटकारा पा लेना चाहिए। कामकाजी तनाव घर लेकर नहीं जाना चाहिए।’ यह मानना है डॉक्टर ऐमी मॉरिन का। वह मशहूर साइकोथिरेपिस्ट हैं। अमेरिका की वेरी वेल हैल्थ इन्क्लूसिव की काउंसलर हैं। उनकी बेहद चर्चित बेस्टसेलर है, 13 थिंग्स मेंटली स्ट्रॉन्ग पीपुल डॉन्ट डू। 

कामकाजी जिंदगी में दबाव रहते ही हैं। दबाव कुछ ज्यादा बनता है, तो तनाव में बदल जाता है। हमें अपने दबावों और तनावों को साधना ही होता है। हम उन्हें नहीं काबू करेंगे, तो जिंदगी जी नहीं पाएंगे। हम उन दबावों में बहुत देर तक नहीं रह सकते। अब जितनी जल्दी उससे पार पा लेते हैं, उतना ही बेहतर होता है। हमें काम करते हुए न जाने कितनी चीजें साधनी पड़ती हैं। उसी तरह दबाव और तनाव भी हैं। एक हमारी निजी जिंदगी होती है और एक प्रोफेशनल। हमारे लिए दोनों ही जरूरी होती हैं। दोनों ही जिंदगी हमारी हैं, सो, एक का असर दूसरे पर पड़ता ही है। यहीं आकर हमें एक तालमेल बनाना होता है। घर की दिक्कतें कामकाज तक नहीं आनी चाहिए। उसी तरह कामकाजी दिक्कतें घर तक नहीं चली आनी चाहिए। कामकाजी जगह पर भी हमें खट से तनावों- दबावों से परे जाना होता है। तभी हम अगला काम कर पाते हैं। यानी ये तनाव-दबाव जब भी आएं, वहीं हम उनसे निपट लें। हम जब अपने तनावों-दबावों को ठीक से साध लेते हैं, तो जिंदगी आसान हो जाती है। लेकिन उसे साधने के लिए हमें भरपूर कोशिश करनी होती है।

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