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मन के समुंदर में पडे़ संस्कार

आदमी के मन में जो संस्कार हैं, वे कितने गहरे होते हैं? धार्मिक मान्यताएं, नैतिक नियम, विश्वास इनकी गहरी परतें अवचेतन मन के समुंदर में रहती हैं। इन्हें मनोविज्ञान में ‘कंडीशनिंग’ कहते हैं। कुछ...

मन के समुंदर में पडे़ संस्कार
Pankaj Tomarहिन्दुस्तानSun, 04 Aug 2024 10:58 PM
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आदमी के मन में जो संस्कार हैं, वे कितने गहरे होते हैं? धार्मिक मान्यताएं, नैतिक नियम, विश्वास इनकी गहरी परतें अवचेतन मन के समुंदर में रहती हैं। इन्हें मनोविज्ञान में ‘कंडीशनिंग’ कहते हैं। कुछ संस्कार दुनिया भर में समान होते हैं। जैसे स्त्री और पुरुष संबंध को लेकर पूरी मनुष्य जाति की सोच एक जैसी है। चाहे कोई देश कितना ही विकसित हो, यह विकास आर्थिक या तकनीकी ही होता है। 
स्त्री को लेकर पुरुष के मन में जो धारणाएं हैं, वे उतनी ही पुरानी हैं, जितनी यह धरती होगी। वह सोचता है, स्त्री का कर्तव्य सिर्फ बच्चे पैदा करना और घर सम्हालना है। आज जो ्त्रिरयां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं, वह पुरुष की मजबूरी है, कोई पुरुष गहरे में यह स्वीकार नहीं कर पाता कि स्त्री मेरे से आगे निकल जाए। हाल ही में इसका ताजा सबूत मिला अमेरिकी उप-राष्ट्रपति बनने के इच्छुक जेडी वेन्स के फूहड़ कटाक्ष में। मौजूदा अमेरिकी उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद की संभावित डेमोक्रेट प्रत्याशी कमला हैरिस के लिए उन्होंने कहा कि कमला जैसी ‘कैट लेडी’ औरतें अंदर से दुखी होती हैं और वे पूरे देश को दुखी करती हैं। कैट लेडी, अर्थात वे बुजुर्ग महिलाएं, जिनकी अपनी संतान नहीं होती और जो बिल्लियां पालकर उनकी कमी पूरी करती हैं। 
यह बेहद दकियानूसी सोच है कि स्त्री में कितनी ही प्रतिभा क्यों न हो, अगर वह बच्चे पैदा नहीं करती, तो जिंदगी में असफल हो गई। लेकिन लोगों को यह खबर ही नहीं है कि अब बच्चे पैदा करना या न करना, स्त्री का चुनाव है, मजबूरी नहीं। उसका व्यक्तित्व इतना विकसित हुआ है कि जैविक मां बनना उसे बंधन जैसा लगता है। उसके जीवन की सफलता बच्चा पैदा करने में नहीं, खुद को पैदा करने में है। वेन्स ने अमेरिका की जिन ‘कैट लेडीज’ का नाम लिया, वे सब प्रतिभाशाली स्त्रियां हैं। उन्होंने देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। अब एक नई किस्म की स्त्री विकसित हो रही है, जो एक शक्ति बनकर जी सकती है, व्यक्ति की तरह नहीं; जिसमें इतनी गैरत है कि वह अपनी प्राथमिकता को खुद चुने। 
ओशो की नसीहत है, ‘आदमी अंतिम जगह आ गया है। पुरुष की सभ्यता कगार पर आ गई है। स्त्री का मुक्त होना जरूरी है। स्त्री के जीवन में क्रांति होनी जरूरी है, ताकि वह स्वयं को भी बचा सके और पूरी मानव सभ्यता को भी बचा सके। स्त्री के ऊपर यह इतना बड़ा दायित्व है, जो उसके ऊपर पहले कभी भी नहीं था। अगर स्त्री अपनी पूरी हार्दिकता, अपने पूरे प्रेम, पूरे संगीत, पूरे काव्य, व्यक्तित्व के पूरे फूलों को लेकर जगत पर छा जाए, तो युद्ध आज बंद हो सकते हैं। लेकिन पुरुष जब तक हावी है दुनिया पर, तब तक युद्ध बंद नहीं हो सकते। पुरुष के भीतर युद्ध छिपा हुआ है।’
अमृत साधना